असम के सीएम हिमंत विस्वा सरमा ने कहा, 'मेरी बेटी के लिए कॉमन सिविल कोड है तो फिर मुस्लिम बेटियों के लिए क्यों नहीं हो?'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 1, 2022 06:01 PM2022-05-01T18:01:45+5:302022-05-01T18:06:44+5:30

कॉमन सिविल कोड लागू किये जाने पर बल देते हुए असम के भाजपाई मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि तीन तलाक कानून की तरह यह भी मुस्लिम महिलाओं को आत्म सम्मान और गर्व के साथ जीवन जीने का मौका देगा।

Assam CM Himanta Biswa Sarma demanded the implementation of the Common Civil Code in the country, said - there is a common civil code for my daughter, then why not for Muslim daughters? | असम के सीएम हिमंत विस्वा सरमा ने कहा, 'मेरी बेटी के लिए कॉमन सिविल कोड है तो फिर मुस्लिम बेटियों के लिए क्यों नहीं हो?'

फाइल फोटो

Highlightsअसम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने की देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने की मांग सरमा ने कहा तीन तलाक कानून की तरह इससे भी मुस्लिम महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगावहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कॉमन सिविल कोड को अल्पसंख्यक विरोधी बताया

दिल्ली: देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने की जबरदस्त वकालत करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि देश ने जिस तरह से तीन तलाक के मामले में मुस्लिम महिलाओं को सम्मान दिलाने का काम किया है, ठीक उसकी तरह से कॉमन सिविल कोड के जरिये मुस्लिम महिलाओं में आत्मसम्मान की भावना पैदा होगी।

कॉमन सिविल कोड लागू किये जाने पर बल देते हुए असम के भाजपाई मुख्यमंत्री ने कहा कि कौन सी मुस्लिम महिला है जो चाहती हो कि उसके शौहर के पास तीन पत्नियां हों।

सरमा ने कहा कि तीन तलाक कानून ने मुस्लिम महिलाओं पर हो रहे अत्याचार तो खत्म करने के लिए भारी योगदान दिया है। ठीक उसी तरह से कॉमन सिविल कोड भी मुस्लिम महिलाओं को आत्म सम्मान और गर्व के साथ जीवन जीने का मौका देगा।

हिमंत विस्वा सरमा ने यह बात शनिवार को दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा। वहीं रविवार को सरमा ने दिल्ली में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात की।

उत्तरखंड के सीएम धामी ने हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में घोषणा की थी कि अगर राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी तो वो सूबे में कॉमन सिविल कोड को लागू करेगी और अब चुनाव जीतने के साथ धामी सरकार कॉमन सिविल कोड का मसौदा तैयार करने जा रही है।

असम के सीएम सरमा ने कहा कि वे राज्य में जिन भी मुसलमानों से मिलते हैं वो सभी उनसे कॉमन सिविल कोड लागू किये जाने की मांग करते हैं।

शनिवार की पत्रकार वार्ता में हिमंत विस्वा सरमा ने कहा, "कोई भी मुस्लिम महिला नहीं है, जो यह चाहती कि उसका शौहर तीन-तीन पत्नियां रखे। भला सभ्य समाज में कौन इस तरह की बात चाहता है।"

इसके साथ ही सीएम सरमा ने कहा कि अगर देश वाकई में मुस्लिम महिलाओं को समाज में सम्मान और बराबरी का दर्जा देना चाहता है तो तीन तलाक कानून के बाद कॉमन सिविल कोड को भी लागू करना चाहिए।

स्वयं का उदाहरण देते हुए असम के मुख्यमंत्री ने कहा, "मैं हिंदू हूं और मुझ पर कॉमन सिविल कोड लागू है। मेरी बहन और बेटी के लिए कॉमन सिविल कोड है लेकिन मुस्लिम बेटियों के साथ ऐसा नहीं है, आखिर क्यों? क्यों नहीं मुस्लिम बेटियों को भी वही सुरक्षा मिलनी चाहिए, जो मेरी बेटी को मिल रही है।"

वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वा सरमा के इस दलील के इतर बीते 26 अप्रैल को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने के विषय में कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के प्रयास को "असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम" बताया था।

दरअसल एआईएमपीएलबी का इशारा उत्तरखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस फैसले पर था, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड में कॉमन सिविल कोड लागू करने की बात कही है।  (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

Web Title: Assam CM Himanta Biswa Sarma demanded the implementation of the Common Civil Code in the country, said - there is a common civil code for my daughter, then why not for Muslim daughters?

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