केरल के बैकवाटर्स का प्रवेश द्वार ‘अष्टमुडी झील’ मलजल का ढलाव घर बनी

By भाषा | Published: October 1, 2021 12:20 PM2021-10-01T12:20:26+5:302021-10-01T12:20:26+5:30

'Ashtamudi Lake', the gateway to Kerala's backwaters, becomes a sewage dump | केरल के बैकवाटर्स का प्रवेश द्वार ‘अष्टमुडी झील’ मलजल का ढलाव घर बनी

केरल के बैकवाटर्स का प्रवेश द्वार ‘अष्टमुडी झील’ मलजल का ढलाव घर बनी

कोल्लम (केरल), एक अक्टूबर केरल में कभी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही और बैकवाटर्स का प्रवेश द्वार मानी जाने वाली अष्टमुडी झील अब सीवर की गंदगी का ढलाव घर बन गयी है जो धीरे-धीरे इसे खत्म कर रही है। केरल उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य के विधि सेवा प्राधिकरण (केएलएसए) द्वारा किए गए निरीक्षण में यह बात कही गयी है।

इस रिपोर्ट में करीब 1,700 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैली और लहराते नारियल तथा ताड़ के पेड़ों और कई छोटे द्वीपों से घिरी झील की खस्ता हालत की जानकारी दी गयी है। इसमें यह भी कहा गया है कि झील में प्रदूषण की मुख्य वजह नजदीक में स्थित घरों और सरकारी प्रतिष्ठानों से आने वाला मलजल है।

केरल की पर्यटन वेबसाइट पर दावा किया गया है, ‘‘अष्टमुडी झील का नाम उससे निकलने वाली आठ धाराओं पर पड़ा। यह केरल में प्रसिद्ध बैकवाटर्स का प्रवेश द्वार है और यहां की हाउसबोट सवारी बहुत ज्यादा लोकप्रिय हैं। बैकवाटर्स में कोल्लम से अलप्पुझा के रास्ते को सबसे अच्छा माना जाता है। यहां क्रूज आपको बैकवाटर्स की खूबसूरती का व्यापक दृश्य देंगे।’’

बहरहाल, स्थानीय निवासी के एम सलीम के अनुसार जमीनी हकीकत कुछ और ही है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कोई भी ‘‘हद से ज्यादा प्रदूषित’ झील के किनारे चलना भी नहीं चाहेगा, ‘‘क्रूज’’ पर जाने की बात तो दूर की है। दशकों से इस झील में ठोस कचरा और मलजल बहाया जा रहा है।

केरल उच्च न्यायालय को भेजे उनके पत्र पर ही उसने केएलएसए को जलाशय का निरीक्षण करने का निर्देश दिया। अष्टमुडी झील राज्य की दूसरी सबसे बड़ी झील है।

सलीम ने कहा कि पर्यटन ने भी इस झील को प्रदूषित करने में योगदान दिया क्योंकि हाउस बोट से निकलने वाला कचरा भी इस जलाशय में छोड़ा जाता है।

झील का निरीक्षण करने वाले जिला न्यायाधीश और केएलएसए के सदस्य सचिव के टी निसार अहमद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि झील में गंदगी और कूड़ा करकट तैर रहा है और उसकी पारिस्थितिकी को बर्बाद कर रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को यह अहसास नहीं है कि जलाशय को प्रदूषित करने का असर इलाके में भूजल पर भी हो सकता है और लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह स्थिति केवल अष्टमुडी झील तक सीमित नहीं है, यह राज्य के कई हिस्सों में व्याप्त है। लोगों को यह अहसास नहीं है कि पहाड़ों के उत्खनन और नदियों तथा झीलों में गंदगी बहाने के पर्यावरण पर गंभीर असर होंगे। इस मुद्दे पर जागरूकता होनी चाहिए।’’

उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले सरकार ने झील की सफाई के लिए निधि की मंजूरी दी थी लेकिन यह कभी शुरू नहीं हुआ और अब इसी उद्देश्य के लिए 100 करोड़ रुपये की एक अन्य परियोजना है।

सलीम ने कहा कि इस इलाके में वर्षों से कचरा और गंदगी फेंकी जा रही है, जिसके कारण मछलियों, मैंग्रोव, नारियल तथा ताड़ के पेड़ों की 100 से अधिक प्रजातियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

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Web Title: 'Ashtamudi Lake', the gateway to Kerala's backwaters, becomes a sewage dump

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