आप सरकार द्वारा हटाए गए अधिकारी आशीष मोरे ने सौरभ भारद्वाज पर धमकाने और अपमानित करने का आरोप लगाया
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: May 20, 2023 05:22 PM2023-05-20T17:22:34+5:302023-05-20T17:24:06+5:30
आशीष मोरे ने मुख्य सचिव को 16 मई को पत्र लिखा था। पत्र में मोरे ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज पर उन्हें धमकाने और अपमान करने का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली: दिल्ली के सेवा सचिव रहे आशीष मोरे ने आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज पर उन्हें धमकाने और अपमान करने का आरोप लगाया है। आशीष मोरे को नौकरशाहों की पोस्टिंग और ट्रांसफर पर नियंत्रण देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आप सरकार ने हटा दिया था।
इस संबंध में आशीष मोरे ने मुख्य सचिव को 16 मई को पत्र लिखा था। आईएएस और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के केंद्र के अध्यादेश पर विवाद के बीच अब ये पत्र सामने आया है।
मोरे के पत्र में कहा गया है कि भारद्वाज द्वारा उनके कक्ष में उनका अपमान किया गया था जब मंत्री ने 2014 में जारी सिविल सेवा बोर्ड (सीएसबी) की अधिसूचना से संबंधित एक फाइल मांगी थी। मोरे ने कहा, "मैंने उन्हें सूचित किया कि मैंने सेवा विभाग के संबंधित अधिकारियों को पहले ही माननीय मंत्री के कार्यालय को सभी फाइलें उपलब्ध कराने के लिए निर्देश दे दिया है। इसके बाद उन्होंने एक और अधिकारी किन्नी सिंह को अपने कक्ष में बुलाया और उन्हें एक और अधिकारी को बुलाने के लिए मजबूर किया।"
मुख्य सचिव को लिखे शिकायती पत्र में आशीष मोरे ने कहा है कि सौरभ भारद्वाज ने कहा, "क्या कार्यवाही बना रहे हो … कागज ही काले करने है तुमको। आपने 11.05.2023 से सारा समय बर्बाद किया है और आप अपने कर्तव्य से भाग गए हैं और जानबूझकर आप चुनी हुई सरकार के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।"
बता दें कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम निर्णय में कहा था कि दिल्ली सरकार अधिकारियों की तैनाती और तबादला कर सकती है। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। इसे केजरीवाल सरकार ने अपनी जीत के रूप में लिया था। लेकिन अब केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर संविधान बेंच के फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया है।