'मत भूलें, संविधान की ली है शपथ', महाराष्ट्र के गवर्नर और CM उद्धव ठाकरे की जंग में असदुद्दीन ओवैसी ने मारी एंट्री
By स्वाति सिंह | Updated: October 14, 2020 12:53 IST2020-10-14T12:53:49+5:302020-10-14T12:53:49+5:30
AIMIM चीफ और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मुख्यमंत्री से इस तरह के कदम की अपेक्षा करना अप्रासंगिक है और ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था।

ओवैसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह राज्यपाल द्वारा किया जा रहा है
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच चल रहे जंग के बीच अब AIMIM चीफ और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एंट्री मारी है। राज्यपाल कोश्यारी के इस कदम की आलोचना करते हुए ओवैसी कहा है कि मुख्यमंत्री से इस तरह के कदम की अपेक्षा करना अप्रासंगिक है और ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था।
ओवैसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह राज्यपाल द्वारा किया जा रहा है, जिसने संविधान की शपथ ली है। उस शपथ के लिए 'हिंदुत्व' की आवश्यकता नहीं थी। अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सीएम की हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता अप्रासंगिक है और इसे उठाया भी नहीं जाना चाहिए था।'
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले को देखते हुए उद्धव ठाकरे सरकार ने धार्मिक स्थलों को अभी बंद रखने का फैसला किया। इस मामले में प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर मंदिर खोलने को कहा ।
राज्यपाल ने अपने पत्र में सीएम उद्धव ठाकरे को ये लिखा-
मिल रही जानकारी के मुताबिक, उन्होंने अपने पत्र में सीएम को लिखा कि मुझे आश्चर्य है कि आप मंदिरों व धर्मस्थलों का खोलना टालते क्यों जा रहे हैं? क्या ऐसा कोई दैवीय आदेश आपको मिला है या फिर आप अचनाक सेक्यूल हो गए हैं, जिस शब्द से आपको नफरत थी?
इस पत्र के जवाब में सीएम उद्धव ठाकरे ने ये जवाब दिया है-
सीएम उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल को जवाब में चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र में धार्मिक स्थल खोलने की चर्चा के साथ कोरोना के बढ़ते मामलों का भी ध्यान रखना चाहिए। जैसे हमलोगों पर अचानक लॉकडाउन लगाना सही नहीं था, वैसे ही अचानक लॉकडाउन हटाना भी सही नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'मुझे अपना हिंदुत्व साबित करने के लिए आपसे सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। जो लोग हमारे राज्य की तुलना PoK से करते हैं उनका स्वागत करना मेरे हिंदुत्व में फिट नहीं बैठता है। सिर्फ मंदिर खोलने से ही क्या हिंदुत्व साबित होगा?'
