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आर्या राजेन्द्रन: 21 वर्ष की उम्र में भारत की सबसे कम उम्र की मेयर बन चर्चा में आईं

By भाषा | Updated: January 3, 2021 12:19 IST

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नयी दिल्ली, तीन जनवरी महज छह साल की उम्र से राजनीतिक विचारधारा का ‘ककहरा’ सीखने की शुरुआत करने वाली एक बच्ची 15 साल बाद युवावस्था की दहलीज पर कदम रखने के कुछ साल में ही भारत की सबसे कम उम्र की मेयर बन जाए तो उसकी चर्चा लाजिमी है। केरल की 21 वर्षीय आर्या राजेन्द्रन अभी ऑल सेंट्स कॉलेज में बीएससी गणित की द्वितीय वर्ष की छात्रा होने के साथ ही तिरुवनंतपुरम नगर निगम की मेयर भी हैं।

पिछले दिनों इस पद की शपथ लेकर उन्होंने सबसे कम उम्र की मेयर बनने का तमगा हासिल करने वाली सबीता बेगम को पीछे छोड़ दिया। सबीता बेगम कोल्लम नगर निगम की मेयर थीं और उस समय उनकी उम्र 23 साल थी। इसी प्रकार रेखा प्रियदर्शिनी 24 साल की उम्र में तमिलनाडु के सलेम की मेयर बनीं जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 27 साल की उम्र में नागपुर नगर निगम के मेयर बने थे।

पेशे से इलेक्ट्रिशियन पिता और एलआईसी एजेंट मां के घर पैदा हुईं राजेन्द्रन जब छह वर्ष की थीं तभी वह ‘बालसंगम’ से जुड़ गई थीं। उनके माता-पिता दोनों लंबे समय से माकपा के सक्रिय सदस्य हैं।

राजेन्द्रन का कहना है कि ‘बालसंगम’ के बाद एसएफआई और माकपा के सदस्य के रूप में मिले ‘‘सांगठनिक अनुभव’’ उनके चुनाव प्रचार के दौरान काम आए और इनकी ही बदौलत वह अपने ‘‘स्पष्ट विचारों’’ से लोगों को प्रभावित कर सकीं।

मेयर बनते ही राजेन्द्रन ने अपनी प्राथमिकताएं भी स्पष्ट कर दीं। उन्होंने कहा कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता राजधानी में अपशिष्ट प्रबंधन की होगी और मेयर पद के दायित्व का निर्वहन करने के साथ ही वह अपनी पढ़ाई भी जारी रखेंगी।

उनका कहना है कि युवा और छात्र होने की ही वजह से उनके वार्ड की जनता ने उन्हें भारी मतों से जिताया। अपने वार्ड में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र स्थापति करने के साथ वह छात्रों, युवाओं और महिलाओं पर केंद्रित कार्यक्रम करना चाहती हैं।

तिरुवनंतपुरम के मुदवनमुगल वार्ड से चुनाव जीतने के बाद केरल की सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मेयर पद के लिए राजेन्द्रन को अपना उम्मीदवार बनाया और इसके लिए हुए चुनाव में उन्होंने 100 सदस्यीय निगम में निर्दलीयों समेत 54 मत हासिल किए।

माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा को नगर निगम चुनाव में 51 सीटें, भाजपा को 34, यूडीएफ को दस सीट और अन्य को चुनाव में पांच सीट मिली थीं। राजेन्द्रन ने शहर के मुदवनमुगल वार्ड से कांग्रेस के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 549 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की।

राजेन्द्रन माकपा की छात्र इकाई स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की राज्य कमेटी की सदस्य हैं और वाम दल की बाल शाखा ‘बालसंगम’ की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।

वह केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा को अपनी प्रेरणा बताती हैं तथा कहती हैं कि वह पार्टी की आदर्श ‘‘कॉमरेड’’ बनी रहेंगी क्योंकि उन्हें उनके पिता ने बचपन से ही यह सीख दी है कि व्यक्ति नहीं, पार्टी सर्वोच्च है।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक पार्टी के प्रति राजेन्द्रन की प्रतिबद्धता और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए माकपा ने उन्हें मेयर पद के उम्मीदवार के रूप में चुना। उनके मुताबिक इससे राज्य के युवाओं का पार्टी के प्रति आकर्षण बढ़ेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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