कभी मोदी के करीबी रहे नीति आयोग के पूर्व अरविंद पनगढ़िया ने सरकारी बैंकों पर तोड़ी चुप्पी

By भाषा | Updated: March 25, 2018 20:11 IST2018-03-25T20:11:11+5:302018-03-25T20:11:11+5:30

वर्तमान में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एक के बाद एक घोटालेऔर कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) ही इनके निजीकरण की पर्याप्त वजह हो सकते हैं।

Arvind Panagariya makes strong case for privatisation of public sector banks | कभी मोदी के करीबी रहे नीति आयोग के पूर्व अरविंद पनगढ़िया ने सरकारी बैंकों पर तोड़ी चुप्पी

कभी मोदी के करीबी रहे नीति आयोग के पूर्व अरविंद पनगढ़िया ने सरकारी बैंकों पर तोड़ी चुप्पी

नई दिल्ली, 25 मार्च: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनग‌ढ़िया ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की बढ़ चढ़कर वकालत की है। हालांकि, स्टेट बैंक को उन्होंने इससे अलग रखा है।

उन्होंने कहा कि2019 में सरकार बनाने को लेकर गंभीर राजनीतिक दलों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव अपने घोषणा पत्र में शामिल करना चाहिये।

वर्तमान में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एक के बाद एक घोटालेऔर कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) ही इनके निजीकरण की पर्याप्त वजह हो सकते हैं।

पनगढ़िया ने पीटीआई- भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘पूरी शिद्दत से मेरा मानना है कि शायद भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों का निजीकरण राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र का हिस्सा होना चाहिये। जो भी राजनीतिक दल2019 में सरकार बनाने को लेकर अपने आप को गंभीर उम्मीदवार मानते हैं उन्हें अपने घोषणा पत्र में यह प्रस्ताव शामिल करना चाहिये।’’ 

पनगढ़िया से सरकारी क्षेत्र के बैंकों में हाल में सामने आये घोटालों के बारे में सवाल किया गया था। उनसे पंजाब नेशनल बैंक में सामने आये13,000 करोड़ रुपये के नीरव मोदी घोटाले के बारे में भी पूछा गया।

जाने माने अर्थशास्त्री ने कहा कि जहां तक दक्षता और उत्पादकता की बात है यह समय की मांग है कि सरकार बड़ी संख्या में बैंकों से अपना नियंत्रण समाप्त कर दे। इस तथ्य के बावजूद कि ज्यादातर जमा पूंजी इन्हीं बैंकों में है, इनके बाजार पूंजीकरण में उतार चढाव होता रहता है।

अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा व्यापार के मामले में भारत पर निशाना साधे जाने के बारे में पूछे जाने पर पनगढ़िया ने कहा कि अमेरिका भारतीय उत्पादों के लिये अपना बाजार बंद करे इस तरह का जोखिम उठाने के बजाय वह भारत के व्यापार को और उदार बनाने की बात कहने से नहीं हिचकिचायेंगे।

नोबेल पुरस्कार विजेता पाल क्रुगमेंस की हाल की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा, ‘‘ बड़ी संख्या में बेरोजगारी से बचने के बजाय उत्पादक और बेहतर वेतन वाली नौकरियां पैदा करने के लिये मेरा मानना है कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि जरूरी है।’’ 

अर्थव्यवस्था की सकल स्थिति के बारे में पनगढ़िया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था, वृहद आर्थिक मामले में स्थिर बनी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ आखिरी दो तिमाहियों में जो आंकड़े उपलब्ध हैं-- भारतीय अर्थव्यवस्था2017- 18 की पहली तिमाही में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि से आगे बढ़कर दूसरी तिमाही में6.5 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ी है। मेरा मानना है कि वृद्धि की गति बढ़ने का क्रम जारी रहेगा।’’ 

Web Title: Arvind Panagariya makes strong case for privatisation of public sector banks

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