नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के गुजरात की एक अदालत द्वारा 'मोदी उपनाम' मामले में दोषी पाए जाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा, "हमारे कांग्रेस से मतभेद हैं मगर राहुल गांधी जी को इस तरह मानहानि के मुकदमें में फसाना ठीक नहीं।"
दरअसल, मोदी उपनाम मामले में गुजरात की एक अदालत ने कांग्रेस सांसद को दो साल जेल की सजा सुनाई थी हालांकि, कोर्ट ने फिर उन्हें जमानत देते हुए 30 दिनों के लिए सजा पर रोक लगा दी है। इसी मुद्दे पर सीएम केजरीवाल ने गुजरात सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार पर साजिश रचने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस के समर्थन में उतरी 'आप'
'आप' संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को ट्वीट कर लिखा, "गैर बीजेपी नेताओं और पार्टियों पर मुकदमें करके उन्हें खत्म करने की साजिश हो रही है। हमारे कांग्रेस से मतभेद हैं मगर राहुल गांधी को इस तरह मानहानि मामले में फसाया जाना ठीक नहीं है। जनता और विपक्ष का काम है सवाल पूछना। हम अदालत का सम्मान करते है पर इस निर्णय से असहमत हैं।"
अरविंद केजरीवाल के इस ट्वीट से साफ है कि वह राहुल गांधी के कोर्ट द्वारा दोषी पाए जाने के समर्थन में नहीं है और बीजेपी पर निशाना साधते हुए साजिश का आरोप लगा रहे हैं।
वहीं, दूसरी कोर्ट के फैसले के कुछ समय बाद ही खुद राहुल गांधी ने भी ट्वीट करते हुए कहा, "मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा इसे प्राप्त करने का साधन है।"
राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला 2019 के राष्ट्रीय चुनाव से पहले का है, जिस पर कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है। गुजरात के सूरत में पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी द्वारा आपराधिक मानहानि मामले को लेकर ये फैसला आया है।
कांग्रेस सांसद पर आरोप है कि उन्होंने 13 अप्रैल 2019 को एक चुनावी रैली के दौरान मोदी समाज पर आपत्तिजनक बयान दिया था। उन्होंने मोदी उपनाम पर विवादित टिप्पणी की जिसके बाद इस पर आपत्ति जताई गई और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई। इस मामले में राहुल गांधी साल 2021 में आकर अपना बयान भी दर्ज करा चुके हैं जिसके बाद अब जाकर मामले में फैसला आया है।
बता दें कि इस मामले में कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी पाया है और उन्हें 30 दिनों के लिए उनकी सजा को निलंबित कर दिया। ऐसे में राहुल गांधी कोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकते हैं। इस समय वह गुजरात के उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटा सकते क्योंकि यह एक आपराधिक मामला है, लेकिन कोई तीसरा पक्ष - सूरत अदालत के फैसले की प्रक्रिया और तरीके के आधार पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए याचिका दायर कर सकता है।