अनुच्छेद 370: क्या जम्मू-कश्मीर में गुजरात मॉडल आजमाएगी सरकार?

By महेश खरे | Published: August 11, 2019 08:03 AM2019-08-11T08:03:26+5:302019-08-11T08:03:48+5:30

भाजपा की वेबसाइट में जो गुजरात मॉडल की व्याख्या की गई है उससे तो यही आभास हो रहा है. भाजपा के अनुसार गुजरात मॉडल एक विजन है जिसका लक्ष्य है भरपूर रोजगार, कम महंगाई, ज्यादा कमाई, तेज गति से विकिसत होती अर्थव्यवस्था, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, चुस्त दुरु स्त सुरक्षा और बेहतरीन जीवन.

Article 370: Will the government try the Gujarat model in Jammu and Kashmir? | अनुच्छेद 370: क्या जम्मू-कश्मीर में गुजरात मॉडल आजमाएगी सरकार?

गुजरात कैडर के 26 आईएएस अधिकारी महत्वपूर्ण विभागों की बागडोर सम्हाले हुए हैं.

Highlightsगुजरात कैडर को मिली तवज्जो दिल्ली में मोदी का राजकाज अपनों के सहारे चला. दसवां गुजरात इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल कश्मीर में आयोजित करने का निर्णय ले लिया गया है.

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति और केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद सबसे बड़ी चुनौती वहां की फिजा को बदलने की है. आजादी मिले 72 साल बीत गए लेकिन घाटी की आबादी के ज्यादातर साल आतंकवाद से जूझते हुए बीते. जम्मू हो या कश्मीर अथवा लद्दाख सब दूर वातावरण में एक अनकहा सन्नाटा पसरा है. हर शख्स के सामने एक ही सवाल है अब क्या होगा?

संसद के फैसले पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मोहर के बाद अजीत डोभाल कश्मीर की वादियों में कश्मीरियों से चाय पर चर्चा के साथ साथ लंच भी कर आए. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कश्मीरियों को सहज होने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है.

यह भी सच है कि संवाद एक ऐसा जरिया है जो मन के मैल को धोने और बीते समय के घावों को भरने में कारगर मरहम का काम करता है. गुजराती फिल्म फेस्टीवल कश्मीर में राष्ट्रीय एकता को मजबूती देने में संवाद के साथ साथ सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्ते भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस दृष्टि से भी गुजराती सिने कलाकारों का कश्मीर की ओर विश्वास भरे कदम बढ़ाने से विश्वास के भाव को बल ही मिलेगा. दसवां गुजरात इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल कश्मीर में आयोजित करने का निर्णय ले लिया गया है.

कश्मीर वैसे भी सिने कलाकारों का पसंदीदा स्थल रहा है. जैसे जैसे स्थिति सामान्य होती जाएगी कश्मीर को कला का केंद्र बनने में देर नहीं लगेगी. विकास के सहारे बढ़ेगी सरकार सरकार घाटी में रोजगार और विकास के मार्ग से शांति और सद्भाव के लक्ष्य को पाने का इरादा रखती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संदेश में खुल कर यही बात कही भी है. तो क्या मिशन कश्मीर गुजरात मॉडल के सहारे आगे बढ़ेगा?

भाजपा की वेबसाइट में जो गुजरात मॉडल की व्याख्या की गई है उससे तो यही आभास हो रहा है. भाजपा के अनुसार गुजरात मॉडल एक विजन है जिसका लक्ष्य है भरपूर रोजगार, कम महंगाई, ज्यादा कमाई, तेज गति से विकिसत होती अर्थव्यवस्था, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, चुस्त दुरु स्त सुरक्षा और बेहतरीन जीवन.

आज इसी की तो जम्मू कश्मीर और लद्दाख को जरूरत है. गुजरात कैडर को मिली तवज्जो दिल्ली में मोदी का राजकाज अपनों के सहारे चला. गुजरात कैडर को दिल्ली में तवज्जो मिली. आज मोदी की दूसरी इनिंग में प्रशासनिक गलियारों पर नजर डालें तो वहां गुजरात कैडर के 26 आईएएस अधिकारी महत्वपूर्ण विभागों की बागडोर सम्हाले हुए हैं. नॉन आईएएस की तो गिनती ही नहीं.

यहां तक कि पीएमओ में भी गुजरातियों का वर्चस्व है. भाजपा नेता भी यह मानते हैं कि इसी वर्चस्व की वजह से दिल्ली की प्रशासनिक कार्यसंस्कृति में बदलाव संभव हो पाया. वरना दिल्ली का दिल जीतना क्या इतना आसान था? दिल्ली पैटर्न ही चलेगा घाटी में!

पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबियों का तो यही संकेत है कि घाटी में दिल्ली पैटर्न ही चलाया जाएगा. वैसे भी यह स्थापित तथ्य है कि अगर भरोसे की फौज हो तो युद्ध आसानी से फतह किया जा सकता है. फिर मिशन कश्मीर अगर युद्ध नहीं तो किसी युद्ध से कम भी नहीं है. जिसमें कदम कदम पर भरोसेमंद चेहरों की जरूरत पड़ेगी.

Web Title: Article 370: Will the government try the Gujarat model in Jammu and Kashmir?

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