अनुच्छेद 370ः कश्मीर में सार्वजनिक वाहन सड़कों से दूर, निजी गाड़ियों से ‘लिफ्ट’ मांग रहे लोग

By भाषा | Published: August 8, 2019 05:54 PM2019-08-08T17:54:02+5:302019-08-08T17:54:02+5:30

केंद्र ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस लेने की घोषणा की थी। इसके साथ ही राज्य को जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के रूप में दो केंद्रशासित क्षेत्रों में विभाजित करने का भी प्रस्ताव किया था। उसके एक दिन पहले से ही घाटी में वस्तुत: संचार व्यवस्था ठप है और कुछ ही फोन काम कर रहे हैं। इंटरनेट सेवाएं भी ठप हैं।

article-370 Public vehicles away from roads, people seeking 'elevators' from private vehicles in Kashmir | अनुच्छेद 370ः कश्मीर में सार्वजनिक वाहन सड़कों से दूर, निजी गाड़ियों से ‘लिफ्ट’ मांग रहे लोग

निषेधाज्ञा लागू है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि कर्फ्यू नहीं लगाया गया है।

Highlightsलोग सड़कों के किनारे कोई भी यातायात का साधन मिलने का इंतजार करते देखे जा सकते हैं। कई स्थानों पर ऐसे लोग दो या तीन की संख्या में घूमते दिख जाते हैं।

कश्मीर की अनिश्चित और अशांत स्थिति के कारण सार्वजनिक वाहन सड़कों से दूर हैं। ऐसे में घाटी के लोगों के पास सुनसान राजमार्गों पर गुजरने वाली निजी गाड़ियों से ‘लिफ्ट’ मांगने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है।

अपने घर लौटने या अपने बच्चों से मिलने के लिए नजदीकी शहर या गांव जाने वाले लोग सड़कों के किनारे कोई भी यातायात का साधन मिलने का इंतजार करते देखे जा सकते हैं। कई स्थानों पर ऐसे लोग दो या तीन की संख्या में घूमते दिख जाते हैं।

केंद्र ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस लेने की घोषणा की थी। इसके साथ ही राज्य को जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के रूप में दो केंद्रशासित क्षेत्रों में विभाजित करने का भी प्रस्ताव किया था। उसके एक दिन पहले से ही घाटी में वस्तुत: संचार व्यवस्था ठप है और कुछ ही फोन काम कर रहे हैं। इंटरनेट सेवाएं भी ठप हैं।

निषेधाज्ञा लागू है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। समय के साथ लोगों की हताशा बढ़ रही है और उनका कहना है कि वे फंसे हुए हैं तथा हमेशा ही घर के अंदर रहना संभव नहीं है। श्रीनगर के बाहरी इलाके में नरबल रोड पर किसी गाड़ी की बेचैनी से उम्मीद कर रहे लोगों में निघट नसीर भी शामिल थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बारामूला (करीब 60 किमी दूर) पहुंचना है और अपने बच्चों से मिलना है।’’ वे श्रीनगर स्थित अपने घर से पैदल चलकर नरबल रोड पहुंचे जो वहां से 17 किलोमीटर दूर है। उनकी मेहनत रंग लायी और उन्हें एक एम्बुलेंस मिली जिससे उन्होंने आधी दूरी तय की।

अब, श्रीनगर के बाहरी इलाके बेमिना के एक अस्पताल में भर्ती मोहम्मद रमजान ने लिफ्ट मिलने का इंतजार नहीं किया। श्रीनगर के लाल बाज़ार इलाके के निवासी रमजान को रविवार की रात अपनी बेटी का फोन मिला जिसमें उसके मुसीबत में होने की बात की गयी थी।

रमजान सोमवार को तड़के ही अपने घर से निकल गए। उन्हें 35 किलोमीटर दूर जाना था। उन्हें कोई बस या टैक्सी नहीं मिली और वह पैदल ही चल पड़े। 12 किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद वह बेहोश होकर गिर पड़े। बेमिना अस्पताल के डा शफकत भट्ट ने कहा कि सुरक्षा बलों की गाड़ी से लाकर रमजान को यहां अस्पताल में भर्ती कराया गया। ऐसी कई घटनाएं हैं।

मोहम्मद शहीम ने कहा कि उन्होंने दक्षिण कश्मीर में खरयू से श्रीनगर तक की 65 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए तीन अलग-अलग लोगों से लिफ्ट ली। शहीम ने अर्धसैनिक बल के एक जवान से पूछा, ‘‘क्या कोई कर्फ्यू है? हम कहीं क्यों नहीं जा सकते? हम कोई गड़बड़ी नहीं कर रहे, फिर हम क्यों परेशान हो रहे हैं।’’

एक निजी फैक्ट्री में काम करने वाले शहीम ने कहा कि तीन अलग-अलग लोगों से लिफ्ट लेने के बाद 65 किलोमीटर की दूरी तय की लेकिन अब सुरक्षाकर्मी उन्हें अपने इलाके में नहीं जाने दे रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद शहीम को जाने की अनुमति दी गई। अधिकारी ने शहीम से कहा, ‘‘यह मुश्किल समय है, कृपया सहयोग करें।’’उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे अपने मोबाइल फोन से फोटो नहीं लें। 

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