अनुच्छेद 370ः जरा याद कीजिए, पांच अगस्त से पहले कश्मीर बदहाल स्थिति में था, पाबंदियां लगाने की मंशा जनहानि रोकना

By भाषा | Published: September 26, 2019 04:45 PM2019-09-26T16:45:40+5:302019-09-26T16:45:40+5:30

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ‘‘एक विकल्प यह था कि आपके पास नीतियों का एक ऐसा सेट था, जो पिछले 70 साल से था। लेकिन पिछले 40 साल से यह प्रदर्शित हो रहा था कि ये काम नहीं कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि दूसरा विकल्प जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करना था।

Article 370: Just remember, before August 5, Kashmir was in a bad state, the intention of imposing sanctions, to stop the loss of life. | अनुच्छेद 370ः जरा याद कीजिए, पांच अगस्त से पहले कश्मीर बदहाल स्थिति में था, पाबंदियां लगाने की मंशा जनहानि रोकना

आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं।

Highlightsमेरा मतलब है कि कश्मीर में समस्याएं पांच अगस्त को शुरू नहीं हुई। विदेश मंत्री ने कहा कि लैंडलाइन सेवा पहले ही बहाल कर दी गई है, मोबाइल टावरों को भी शुरू कर दिया है, स्कूल खुल गये हैं।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत द्वारा पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिये जाने से पहले कश्मीर ‘बदहाल’ स्थिति में था।

जयशंकर ने कहा कि क्षेत्र में आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य में बदलाव लाने के लिये कुछ बहुत अलग करने की कोशिश के तहत यह फैसला लिया गया। ‘थिंक टैंक’ काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के एक परिचर्चा सत्र के दौरान मंत्री ने यहां कहा कि जब जनादेश मिलने के बाद मई में मोदी सरकार सत्ता में फिर से आई, तब उसने कश्मीर मुद्दे की समीक्षा की और यह महसूस किया कि उसके समक्ष दो विकल्प हैं।

जयशंकर ने कहा, ‘‘एक विकल्प यह था कि आपके पास नीतियों का एक ऐसा सेट था, जो पिछले 70 साल से था। लेकिन पिछले 40 साल से यह प्रदर्शित हो रहा था कि ये काम नहीं कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि दूसरा विकल्प जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करना था।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जरा याद कीजिए, पांच अगस्त से पहले कश्मीर बदहाल स्थिति में था। मेरा मतलब है कि कश्मीर में समस्याएं पांच अगस्त को शुरू नहीं हुई। पांच अगस्त को तो उन समस्याओं से निपटने का तरीका माना जाना चाहिए। इसलिए, यही विकल्प थे कि या तो आप उस चीज को जारी रखें जो स्पष्ट तौर पर काम नहीं कर रहा था। या फिर, कुछ बहुत अलग करें और कुछ बहुत अलग करने की कोशिश करने का फैसला लिया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब हमें महसूस हो रहा है कि यह कोई आसान काम नहीं है क्योंकि इसमें कुछ निहित स्वार्थी तत्व हैं जो प्रतिरोध करेंगे। इसलिए जब हमने यह बदलाव किया, तब हमारी पहली चिंता यही थी कि वहां हिंसा होगी, प्रदर्शन होंगे और आतंकवादी इन प्रदर्शनों का (अपने मंसूबों के लिये) इस्तेमाल करेंगे।’’

अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत सरकार के इस फैसले पर पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस्लामाबाद ने नयी दिल्ली के साथ (राजनयिक) संबंधों को कमतर करते हुए भारतीय राजदूत को निष्कासित कर दिया। इसके अलावा, पाकिस्तान ने इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की भी कोशिश की, लेकिन भारत ने कहा कि यह (कश्मीर मुद्दा) उसका (भारत का) ‘‘आंतरिक मामला’’ है।

जयशंकर ने कहा कि सरकार को यह उम्मीद है कि (संविधान के) एक अस्थायी प्रावधान को हटाने के बाद कश्मीर में निवेश और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद जम्मू कश्मीर में संचार सुविधाओं पर रोक सहित अन्य पाबंदियां लगाये जाने का उद्देश्य जनहानि रोकना तथा हालात को स्थिर बनाना था। इनमें से ज्यादातर पाबंदियां हटा ली गयी हैं।

विदेश मंत्री ने कहा कि लैंडलाइन सेवा पहले ही बहाल कर दी गई है, मोबाइल टावरों को भी शुरू कर दिया है, स्कूल खुल गये हैं और आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं। वर्ष 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी (पाबंदियां लगाने की) मंशा बदलाव की इस स्थिति में जनहानि रोकने की है।’’ गौरतलब है कि वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ी थी। 

Web Title: Article 370: Just remember, before August 5, Kashmir was in a bad state, the intention of imposing sanctions, to stop the loss of life.

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