Armed Forces Tribunal: सैनिक की विधवा के प्रति सहानुभूति रखो, न्यायालय में मत घसीटो?, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर लगाया 50000 रुपये का जुर्माना

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 3, 2024 18:03 IST2024-12-03T18:02:14+5:302024-12-03T18:03:21+5:30

Armed Forces Tribunal: मामला नायक इंद्रजीत सिंह से संबंधित है, जिन्हें जनवरी 2013 में खराब मौसम की स्थिति में गश्त के दौरान दिल का दौरा पड़ा था।

Armed Forces Tribunal Be sympathetic towards soldier's widow Supreme Court imposes Rs 50,000 fine Center government | Armed Forces Tribunal: सैनिक की विधवा के प्रति सहानुभूति रखो, न्यायालय में मत घसीटो?, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर लगाया 50000 रुपये का जुर्माना

सांकेतिक फोटो

Highlightsप्रतिवादी को न्यायालय में नहीं घसीटा जाना चाहिए था।देय अनुग्रह राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।‘शारीरिक दुर्घटना’ के रूप में वर्गीकृत किया गया।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने पर केंद्र पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जिसमें जम्मू कश्मीर में आतंकवाद रोधी गश्त के दौरान शहीद हुए एक सैनिक की विधवा को ‘उदारीकृत पारिवारिक पेंशन’ (एलएफपी) देने का आदेश दिया गया था। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि शहीद सैनिक की पत्नी को अदालत में नहीं घसीटा जाना चाहिए था। पीठ ने कहा, ‘‘हमारे विचार में, इस तरह के मामले में प्रतिवादी को इस न्यायालय में नहीं घसीटा जाना चाहिए था।

अपीलकर्ताओं के निर्णय लेने वाले प्राधिकार को सेवाकाल के दौरान मारे गए एक सैनिक की विधवा के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए थी। इसलिए, हम 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव करते हैं, जो प्रतिवादी को देय होगा।’’ केंद्र को मंगलवार से शुरू होने वाले दो महीनों के भीतर विधवा को इस राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।

शीर्ष अदालत केंद्र द्वारा न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निर्देश दिया गया था कि शहीद सैनिक की पत्नी को जनवरी 2013 से उदारीकृत पारिवारिक पेंशन (एलएफपी) के साथ-साथ बकाया राशि का भुगतान किया जाए। यह मामला नायक इंद्रजीत सिंह से संबंधित है, जिन्हें जनवरी 2013 में खराब मौसम की स्थिति में गश्त के दौरान दिल का दौरा पड़ा था।

उनकी मृत्यु को शुरू में ‘‘युद्ध दुर्घटना’’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था, लेकिन बाद में इसे सैन्य सेवा के कारण ‘‘शारीरिक दुर्घटना’’ के रूप में वर्गीकृत किया गया। सिंह की पत्नी को विशेष पारिवारिक पेंशन सहित सभी अन्य लाभ प्रदान किए गए, लेकिन जब उन्हें एलएफपी से वंचित किया गया, तो उन्होंने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के समक्ष याचिका दायर की। न्यायाधिकरण ने उनके आवेदन को स्वीकार कर लिया और एलएफपी तथा युद्ध में मारे गए सैनिकों के मामले में देय अनुग्रह राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।

Web Title: Armed Forces Tribunal Be sympathetic towards soldier's widow Supreme Court imposes Rs 50,000 fine Center government

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