आरिफ मोहम्मद खान ने 'कॉमन सिविल कोड' पर कहा, "संविधान की शपथ लेने वाले विरोध नहीं करेंगे, इसका मकसद 'बराबरी का इंसाफ' है"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: December 10, 2022 15:06 IST2022-12-10T15:04:01+5:302022-12-10T15:06:55+5:30

केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कॉमन सिविल कोड पर कहा कि हमें पहले तो इस बात को अच्छे से समझनी चाहिए कि यह किसी धर्म या मजहब के शादी-विवाह, निकाह या रीति-रिवाजों के बारे में नहीं है। इस बिल का असल मकसद सभी नागरिकों को बराबरी का इंसाफ दिये जाने के बारे में है।

Arif Mohammad Khan said on 'Common Civil Code', "Those who take oath of the constitution will not protest, its purpose is 'equal justice'" | आरिफ मोहम्मद खान ने 'कॉमन सिविल कोड' पर कहा, "संविधान की शपथ लेने वाले विरोध नहीं करेंगे, इसका मकसद 'बराबरी का इंसाफ' है"

फाइल फोटो

Highlightsकेरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कॉमन सिविल कोड बिल के विरोध को गलत बतायादेश में जिसने भी संविधान की शपथ ली है, वह कभी भी समान नागरिक संहिता का विरोध नहीं करेगाइस बिल का असल मकसद सभी नागरिकों को बराबरी का इंसाफ दिलाने के बारे में है

दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कॉमन सिविल कोड बिल की अल्पसंख्यक समाज में हो रहे विरोध को गलत बताते हुए कहा कि देश में जिस किसी ने संविधान के मूल्यों की रक्षा करने की शपथ ली है, वह कभी भी समान नागरिक संहिता का विरोध नहीं कर सकता है। बीते शुक्रवार को एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में गवर्नर खान ने कहा कि संसद में अगर इस तरह का कोई प्रस्ताव आता है तो सभी को एक स्वर में इसका समर्थन करना चाहिए और चूंकि सांसद संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होते हैं तो उनके द्वारा तो इसका विरोध किया ही नहीं जाना चाहिए।

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, "इसी मुल्क में हिंदू कोड पहले से ही है और वो संवैधानिक प्रावधानों के तहत, क्या उस हिंदू कोड के कारण हिंदुओं, सिखों और जैनियों में एकरूपता नहीं दिखाई देती किसी को? यह मुल्क विविधताओं वाला है और इसमें सभी धर्म के लोग साथ रहते हैं सदियों से, तो फिर सभी के लिए समान कानून होने में हर्ज ही क्या है।"

इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि हमें पहले तो इस बात को अच्छे से समझनी चाहिए कि कॉमन सिविल कोड किसी धर्म या मजहब के शादी-विवाह, निकाह या रीति-रिवाजों के बारे में नहीं है। इस बिल का असल मकसद सभी नागरिकों को बराबरी का इंसाफ दिये जाने के बारे में है। मैं किसी मजहब का नाम नहीं लूंगा और यह कहना तो नहीं चाहिए लेकिन सच्चाई है और हमारे सामने कई ऐसे मामले आ चुके हैं, जहां लोगों ने दो-दो शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन किया है।

गवर्नर खान ने इसी क्रम में हिजाब विवाद पर भी खुलकर बात की और कहा, "मुल्क में किसको बुर्का पहनने से कौन रोका जा रहा है? यह एक आजाद मुल्क है और इस नाते शैक्षिक संस्थानों को भी अपना ड्रेस कोड रखने का अधिकार है।" शाह बानो तलाक विवाद को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार से त्यागपत्र देने केरल के मौजूदा गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, " मैं इन्हीं सब मुद्दों पर अलग राय कायम करते हुए 1986 में कांग्रेस छोड़ दी थी और मुझे फक्र है कि मैं आज भी उन विचारों पर कायम हूं।"

उन्होंने कहा, "मैंने उस समय भी कहा था कि संसद से कानून बनाना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि बाद में मुख्तलिफ विचारों की सरकार द्वारा उन कानूनों को बदला भी जा सकता है, लेकिन कानून के विरोध में जो लोग मुल्क के खिलाफ बोलते हैं, हिंसा करते हैं या हिंसा का समर्थन करते हैं। उन लोगों के सामने झुकना मेरे लिए मुल्क के खिलाफ खड़े होने जैसा है।"

इस विवादों के लिए कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा, "यह मुल्क 1947 से पहले एक था, मजहब के आधार पर यह दो टुकड़ों में तकसीम हो गया। 1986 में सर्वधर्म संमभाव की विचारधारा के उन्हीं उत्तराधिकारियों ने हमसे कहा कि हमारी एक अलग पहचान है। मैं मुल्क की पहचान के साथ था और उनकी सोच से अलग हटते हुए मेरा स्टैंड आज भी उसी जगह पर कायम है। मैं आज भी उसी स्टैंड के साथ उसी जगह पर खड़ा हूं और मेरे विचारों में कोई बदलाव नहीं आया है।"

Web Title: Arif Mohammad Khan said on 'Common Civil Code', "Those who take oath of the constitution will not protest, its purpose is 'equal justice'"

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