अंतागढ़ गांव प्राथमिक स्कूलः 137 वर्षों से आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा का मंदिर बन ज्ञान की अखल जलाए?, निकले विधायक और अधिकारी, इतिहास जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 6, 2025 10:47 IST2025-09-06T10:46:22+5:302025-09-06T10:47:31+5:30
Antagarh Village Primary School: ब्रिटिश काल में बुनियादी शिक्षा प्रदान करने की एक पहल के रूप में शुरू हुआ यह विद्यालय स्थानीय समुदाय के लिए विरासत और गौरव का एक प्रतीक बन गया है।

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कांकेरः छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के अंतागढ़ गांव का प्राथमिक स्कूल पिछले 137 वर्षों से इस आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा का मंदिर बन ज्ञान की अखल जलाए हुए है। इस स्कूल से पढ़ने वाले कई छात्रों ने राजनीति और प्रशासन के क्षेत्र में अपनी धाक जमाई, वहीं ऐसे भी छात्र रहे हैं जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी। एक जुलाई, 1888 को स्थापित अंतागढ़ नगर पंचायत स्थित बालक प्राथमिक विद्यालय शिक्षा का प्रतीक बना हुआ है और आज भी बाल मन को आकार दे रहा है। ब्रिटिश काल में बुनियादी शिक्षा प्रदान करने की एक पहल के रूप में शुरू हुआ यह विद्यालय स्थानीय समुदाय के लिए विरासत और गौरव का एक प्रतीक बन गया है। कृषक और आदिवासी परिवारों के बच्चों की कई पीढ़ियां यहां शिक्षा प्राप्त करती रही हैं।
जिनमें से कई आगे चलकर शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस अधिकारी और जनप्रतिनिधि बने। इस स्कूल से पढ़ने वाले प्रमुख छात्रों में कांग्रेस के पूर्व विधायक अनूप नाग, अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान बस्तर जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय भुवनेश्वर नाग और नक्सली हमले में शहीद हुए राजेश पवार शामिल हैं। स्कूल के रजिस्टर में पहले छात्र का नाम चंदन हल्बा दर्ज है।
इस स्कूल के पूर्व छात्र और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई के मीडिया संयोजक हेमंत पाणिग्रही ने बताया, ''इस संस्थान ने 137 वर्ष पूरे कर लिए हैं और यहां से पढ़ने वाले अनगिनत छात्रों ने अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है।'' पाणिग्रही ने बताया, ''शुरुआत में स्कूल में केवल चौथी कक्षा तक की कक्षाएं थीं।
उस समय पूरे इलाके में कोई दूसरा स्कूल नहीं था और बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए कोंडागांव जाना पड़ता था। बाद में इसे कक्षा पांच तक उन्नत कर दिया गया।'' उन्होंने बताया, ''चूंकि अंतागढ़ एक रियासत का हिस्सा था, इसलिए इस इलाके में एक विश्राम गृह और तहसील से लेकर एक छोटी जेल तक की व्यवस्था थी, जिसके केंद्र में यह स्कूल था।''
भाजपा नेता ने बताया कि नक्सली खतरे का सामना करने के बावजूद, स्कूल ने अपनी पहचान बनाए रखी और बच्चों को शिक्षा प्रदान करता रहा। इन वर्षों में, इस संस्थान ने कई प्रतिष्ठित हस्तियां दी हैं। इनमें वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष राधेलाल नाग, पूर्व सरपंच स्वर्गीय रिजवानुल हक खान और कई वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं।
पाणिग्रही ने बताया कि पूर्व छात्रों में डॉक्टर अब्दुल हक खान भी शामिल हैं, जिन्होंने 1980 में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, रायपुर से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और एमडी की उपाधि प्राप्त करने से पहले दो स्वर्ण पदक जीते।
उन्होंने बताया कि बाद में उन्होंने सर गंगा राम अस्पताल, नयी दिल्ली में काम किया और 2018 में भिलाई इस्पात संयंत्र में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने बताया कि एक अन्य पूर्व छात्र, डॉक्टर अब्दुल खालिक खान ने दुर्गा कॉलेज, रायपुर से एमए की पढ़ाई पूरी की और 1985 से दुर्ग विज्ञान महाविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
उन्होंने बताया कि 2005 में अखिल भारतीय इंजीनियरिंग सेवा में चयनित राजीव नगाइच वर्तमान में नागपुर में दूरसंचार विभाग में कार्यरत हैं। पाणिग्रही ने बताया कि यह विद्यालय राजेश पवार को भी गर्व से याद करता है, जो मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग में चयनित हुए और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत रहे।
मई 2011 में गरियाबंद जिले में नक्सलियों द्वारा एक ट्रैक्टर को विस्फोट से उड़ा दिए जाने पर वे आठ पुलिसकर्मियों के साथ शहीद हो गए थे। उनकी स्मृति में, अंतागढ़ के शासकीय हाई स्कूल का नाम उनके नाम पर रखा गया है। राज्य में भाजपा के मीडिया संयोजक हेमंत पाणिग्रही स्वयं छत्तीसगढ़ में एक दशक से अधिक समय तक पत्रकार रहे और उन्होंने देश के प्रतिष्ठित सिनेमा संस्थानों, भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान तथा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उनके दो भाइयों प्रमोद और तुषार ने भी अपनी प्रारंभिक शिक्षा इसी विद्यालय से प्राप्त की।
प्रमोद जहां दिल्ली में देश की एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माण और मीडिया कंपनी में शीर्ष पद पर कार्यरत हैं, वहीं तुषार एक कृषि वैज्ञानिक हैं। इस विद्यालय के छात्र रहे अंतागढ़ क्षेत्र के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) संजय ठाकुर ने बताया कि विद्यालय में वर्तमान में 20 छात्र और तीन शिक्षक हैं। उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में पुनर्निर्मित इस स्कूल में तीन बड़े कक्षा, दो बरामदे और एक स्टाफ रूम है।