विश्लेषकों ने कहा- राजकोषीय घाटे का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण, 2020 में रिजर्व बैंक बढ़ायेगा दरें
By भाषा | Updated: February 4, 2020 06:03 IST2020-02-04T06:03:23+5:302020-02-04T06:03:23+5:30
विश्लेषकों का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट काफी कुछ विनिवेश प्राप्ति पर टिका है। जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान इस मोर्चे पर सरकार को असफलता हाथ लगी जिसकी वजह से राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत के बजट अनुमान से बढ़कर 3.8 प्रतिशत पर पहुंच गया।

विश्लेषकों ने कहा- राजकोषीय घाटे का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण, 2020 में रिजर्व बैंक बढ़ायेगा दरें
विश्लेषकों का मानना है कि 2020- 21 के लिये 3.5 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा और राजकोषीय घाटा बढ़ने से संभावित मुद्रास्फीति प्रभाव के चलते आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक दरें बढ़ा सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट काफी कुछ विनिवेश प्राप्ति पर टिका है। जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान इस मोर्चे पर सरकार को असफलता हाथ लगी जिसकी वजह से राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत के बजट अनुमान से बढ़कर 3.8 प्रतिशत पर पहुंच गया।
अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत रहने का बजट में रखा गया है। गोल्डमैन साक्श के विश्लेषकों का कहना है कि सरकार की पूरी योजना काफी कुछ निजीकरण प्रयासों पर टिकी है। उन्होंने कहा कि यदि राजस्व वसूली के मामले में भी लक्ष्य हासिल नहीं हुआ तो सरकार को एक बार फिर खर्चों में कटौती करनी पड़ सकती है।
यह गौर करने की बात है कि जब भी राजकोषीय घाटा बढ़ता है उसके साथ मुद्रास्फीति भी बढ़ती है। और मुद्रास्फीति इस समय पहले से ही रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे से बाहर निकल चुकी है। गोल्डमैन साक्श ने कहा है कि इस सप्ताह पेश होने वाली रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में केन्द्रीय बैंक अपने रुख को ‘‘सामंजस्य बिठाने’’ वाले से बदलकर ‘‘तटस्थ’’ कर सकता है।
इसके साथ ही 2020 में मुख्य ब्याज दर में वृद्धि की संभावना बनती है। इस मामले में हालांकि सिंगापुर स्थित डीबीएस बैंक का मत अलग लगता है। उसने कहा है कि केन्द्रीय बैंक मुख्य दर के मामले में यथास्थिति बनाये रख सकता है। पूंजी की लागत को स्थिर और अनुकूल बनाये रखने के लिये बैंक अपने रुख को तालमेल बिठाने वाला रख सकता है।
इस बीच प्रमुख रेटिंग एजेंसी फिच ने सोमवार को कहा है कि अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत ही रह सकती है। यह दर सरकार की आर्थिक समीक्षा में दिये गये 6 से 6.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के अनुमान से काफी कम है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2020- 21 का बजट पेश करने के एक दिन पहले पेश आर्थिक समीक्षा में अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि बढ़कर 6 से 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। चालू वित्त वर्ष 2019- 20 में आर्थिक वृद्धि पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है।
फिच रेटिंग के भारत के लिये प्राथमिक सावरेन विश्लेषक और निदेशक थामस रूकमाकर ने कहा, ‘‘सरकार के 2020- 21 के नये बजट में राजकोषीय फिसलन इसके पिछले लक्ष्य के मुकाबले हल्की रही है। इसके साथ ही यह हमारी उम्मीदों के ही अनुरूप है जब हमने भारत की रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी-’’ पर यथावत रखा।’’