नई दिल्ली, 27 जुलाई: भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह की सुरक्षा में कितना पैसा खर्च होता है ये हर कोई जानना चाहता है लेकिन सेंट्रल इंफ्रनेशन कमीशन (सीआइसी) ने इसका ब्योरा देने से मना कर दिया है। आरटीआई के निजी और सुरक्षा संबंधी छूट का हवाला देते हुए सीआइसी ने जानकारी देने से मना कर दिया है। याचिकाकर्ता की अपील को खारिज करते हुए किसी व्यक्ति को सुरक्षा घेरा प्रदान करने संबंधी नियमों के बारे में पूछा था।
जब अमित शाह राज्यसभा के सदस्य नहीं थे उस समय 2014 में दीपक जुनेता नाम के एक सख्श ने जानकारी मांगी थी। दीपक ने सरकार से सुरक्षा पाने वालों के बारे में जानकारी मांगी थी। इस पर गृह मंत्रालय ने धारा 8 (1) (जी) का हवाला देते हुए सूचना देने से मना कर दिया जो किसी व्यक्ति की जान या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालने वाली जानकारी को उजागर करने से छूट प्रदान करती है। इतना ही नहीं आरटीआई के कानून धारा 8(1) के बारे में बताते हुए कहा गया है कि किसी की भी व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी जा सकती है, सुरक्षा में कितना खर्चा होता है नहीं बताया जा सकता हैष
इसके बाद दीपक जुनेजा ने सीआईसी के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी जहां सुरक्षा आयोग ने इसको रद्द करते हुए कहा कि आयोग को पहले इस बात का अध्ययन करना था कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गयी जानकारी को आरटीआई कानून की धारा 8 (1) की उपधाराओं (जी) और (जे) के तहत छूट प्राप्त है या नहीं।
जिसके बाद फिर से कहा गया है कि सुरक्षा देने और सुरक्षा रखना सरकार का काम और जिम्मेदारी है। जहां लाभार्थी उच्च पद पर है और खतरे की आशंका के चलते जरूरी कामकाज नहीं कर सकता। दरअसल याचिकाकर्ता का मानना है कि इन्हें जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा का खर्च सरकारी खजाने से नहीं किया जाना चाहिए।याचिकाकर्ता के मुताबिक अमित शाह को जुलाई 2014 से गृह मंत्रालय ने जेड प्लस श्रेणी का सुरक्षा घेरा प्रदान कर रखा है जबकि वे किसी संवैधानिक या वैधानिक पद पर नहीं हैं।