छत्तीसगढ़ के 7 जिलों वाले बस्तर संभाग को अगले 5 वर्षों में सबसे विकसित आदिवासी क्षेत्र बनाने का संकल्प, अमित शाह बोले- नक्सलवाद से किसी को फायदा नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 13, 2025 20:38 IST2025-12-13T20:37:31+5:302025-12-13T20:38:35+5:30

बस्तर के हर व्यक्ति को रहने के लिए घर, बिजली, शौचालय, नल से पीने का पानी, गैस सिलिंडर, पांच किलो अनाज और पांच लाख तक का मुफ्त इलाज, बस्तर के घर—घर में पहुंचाने का संकल्प हमारी सरकार का संकल्प है। हमने अगले पांच साल में बस्तर को देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग बनाने का संकल्प लिया है।

Amit Shah said No one benefits from Naxalism Resolve make Bastar division 7 districts Chhattisgarh most developed tribal region next 5 years | छत्तीसगढ़ के 7 जिलों वाले बस्तर संभाग को अगले 5 वर्षों में सबसे विकसित आदिवासी क्षेत्र बनाने का संकल्प, अमित शाह बोले- नक्सलवाद से किसी को फायदा नहीं

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Highlights31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो जाएगा।प्रोसेसिंग के लिए कोऑपरेटिव आधार पर यूनिट्स लगाए जाएंगे। आत्मसमर्पण किया है और जो नक्सलवाद के कारण घायल हुए हैं।

रायपुरः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने छत्तीसगढ़ के सात जिलों वाले बस्तर संभाग को अगले पांच वर्षों में देश का सबसे विकसित आदिवासी क्षेत्र बनाने का संकल्प लिया है। शाह ने कहा कि नक्सलवाद से किसी को फायदा नहीं होता- न तो हथियार उठाने वालों को और न ही सुरक्षाकर्मियों को, और केवल शांति ही विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। उन्होंने एक बार फिर इस बात पर बल दिया कि 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

शाह ने राज्य के बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर में इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम में बस्तर ओलंपिक-2025 खेल आयोजन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए माओवादियों से अनुरोध किया कि वे हथियार डाल दें और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 31 मार्च, 2026 से पहले पूरे देश से ‘लाल आतंक’ को खत्म करने का फैसला किया है, यह लक्ष्य अब प्राप्ति के करीब है।

शाह ने कहा,‘‘आज मैं बस्तर में आया हूं तब मुझसे ज्यादा आनंद किसी व्यक्ति को नहीं हो सकता है। हमने तय किया था कि 31 मार्च 2026 के पहले पूरे देश से लाल आतंक को खत्म कर देंगे, और आज बस्तर ओलंपिक 2025 में हम इसके कगार पर खड़े हैं। मैं 2024 में भी आया था, 2025 में भी आया हूं और 2026 में भी आऊंगा, यह मेरा वादा है।

परंतु, जब मैं 2026 में बस्तर ओलंपिक के लिए पहुंचूंगा, तब तक छत्तीसगढ़ और पूरे देश से नक्सलवाद का सफाया हो चुका होगा।’’ केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बस्तर संभाग के सात जिलों - कांकेर, कोंडागांव, बस्तर, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा - को दिसंबर 2030 तक देश के सबसे विकसित आदिवासी जिलों के रूप में विकसित किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ''बस्तर के हर व्यक्ति को रहने के लिए घर, बिजली, शौचालय, नल से पीने का पानी, गैस सिलिंडर, पांच किलो अनाज और पांच लाख तक का मुफ्त इलाज, बस्तर के घर—घर में पहुंचाने का संकल्प हमारी सरकार का संकल्प है। हमने अगले पांच साल में बस्तर को देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग बनाने का संकल्प लिया है।

इसमें प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार और विष्णुदेव साय जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार कंधे से कंधा मिलाकर बस्तर को विकसित बस्तर बनाने के लिए मिलकर आगे बढ़ेंगे।'' केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ''बस्तर का हर गांव सड़क से जुड़ेगा, वहां बिजली होगी, पांच किलोमीटर के क्षेत्र में बैंकिंग सुविधाएं होंगी तथा सबसे घने प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नेटवर्क बनाने का काम भी हमारी सरकार करेगी। छत्तीसगढ़ में वन उपज की प्रोसेसिंग के लिए कोऑपरेटिव आधार पर यूनिट्स लगाए जाएंगे।

बस्तर के सातों जिले सभी आदिवासी जिलों में सबसे अधिक दूध उत्पादन कर डेयरी के माध्यम से अपनी आय बढ़ाने वाले जिले बनेंगे।'' उन्होंने कहा कि बस्तर में नए उद्योग, उच्च शिक्षा की व्यवस्था, भारत में सबसे अच्छा स्पोर्ट्स संकुल और अत्याधुनिक अस्पताल की व्यवस्था भी की जाएगी। कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए यहां विशेष योजना भी शुरू की जाएगी।

शाह ने कहा, ''जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है और जो नक्सलवाद के कारण घायल हुए हैं, उनके लिए एक बहुत आकर्षक पुनर्वसन योजना भी हम लाएंगे। हमारा लक्ष्य है कि नक्सलवाद समाप्त हो क्योंकि नक्सलवादी इस क्षेत्र के विकास पर नाग बनकर फन फैलाए बैठे हैं। नक्सलवाद समाप्त होने के साथ ही इस क्षेत्र में विकास की एक नई शुरुआत होगी और प्रधानमंत्री मोदी जी तथा विष्णु देव जी के नेतृत्व में यह सबसे विकसित क्षेत्र बनेगा।'' केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ''मैं इस मंच से जितनी दृढ़ता के साथ यह कहना चाहता हूं कि 31 मार्च 2026 को यह देश नक्सलवाद से मुक्त होगा,

इतनी ही विनम्रता से मैं अपील करना चाहता हूं कि अभी भी गुमराह होकर हमारे ही लोग हाथ में हथियार लेकर बैठे हैं। हथियार डाल दीजिए पुनर्वास नीति का फायदा उठाइए। अपने और अपने परिवार के कल्याण में जुट जाइए, विकसित बस्तर के संकल्प के साथ आप लोग जुड़ जाइए।'' उन्होंने कहा, ‘‘नक्सलवाद से किसी का भला नहीं होना है।

ना नक्सलवाद के लिए हथियार उठाने वाले लोगों का भला होना है, ना आदिवासियों का होना है, ना सुरक्षाबलों का होना है। शांति ही विकास का रास्ता प्रशस्त कर सकती है।’’ शाह ने गुमराह युवाओं से पुनर्वास नीति का फायदा उठाने और सम्मानजनक जीवन जीने का आग्रह किया। बस्तर में बदलाव को रेखांकित करते हुए शाह ने कहा कि डर की जगह अब उम्मीद ने ले ली है,

जहां कभी गोलियों की आवाजें गूंजती थी, वहां अब स्कूलों की घंटियां बजती हैं, और जहां विकास कभी एक दूर का सपना था, वहां अब सड़कें, रेलवे और राजमार्ग बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'लाल सलाम' के नारों की जगह 'भारत माता की जय' के नारे लग रहे हैं, जो एक बड़े बदलाव का संकेत है। शाह ने कहा, ‘‘हम सब विकसित बस्तर के लिए संकल्पित है।

इस अभियान में, छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार ने सिर्फ़ हथियारबंद कैडरों के साथ मुठभेड़ करने और उन्हें मारने का लक्ष्य नहीं रखा था। पिछले दो वर्षों में दो हजार से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। मैं आज आपको कहना चाहता हूं, हमारे आदिवासी समाज के प्रमुखों ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।

उनके मार्गदर्शन ने नक्सली युवाओं को हथियार छोड़ने का साहस और ताकत दी है, और राज्य सरकार ने भी आगे बढ़कर मदद की है। आज, मैं समुदाय के सभी नेताओं से अपील करता हूं कि जो लोग अभी भी हथियार लिए हुए हैं, उन्हें समझा-बुझाकर मुख्यधारा में वापस लाने के लिए काम करें।’’

बस्तर ओलंपिक को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आत्मसमर्पण कर चुके सात सौ नक्सलियों ने इन खेलों में खिलाड़ी के रूप में सामने आकर पूरे देश के लिए बहुत बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है। इन खिलाड़ियों ने भय की जगह आशा चुनी, विभाजन की जगह एकता का रास्ता चुना और विनाश की जगह विकास का रास्ता चुना है और यही प्रधानमंत्री मोदी की नए भारत और विकसित बस्तर की संकल्पना है।

उन्होंने कहा कि हमारे बस्तर की संस्कृति दुनियाभर में सबसे अधिक समृद्ध संस्कृति है। उन्होंने कहा कि सभी जनजातियों का खानपान, परिवेश, कला, वाद्य, नृत्य और पारंपरिक खेल सिर्फ छत्तीसगढ़ की नहीं बल्कि पूरे भारत की सबसे समृद्ध विरासत है। शाह ने कहा कि हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने आधुनिक रिकॉर्डिंग स्टूडियो बनाकर यहां के पारंपरिक गीतों को सहेजने का काम किया है।

ऐसे कई परंपरागत उत्सव और त्योहार जो नक्सलवाद के लाल आतंक के साए में समाप्त होने की कगार पर थे, उन्हें भी आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि आज जिन खिलाड़ियों ने बस्तर ओलंपिक में भाग लिया है, उनकी प्रतिभा को पहचानने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) के अधिकारियों की एक टीम यहां आई है।

इन खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचान कर आने वाले राष्ट्रमंडल खेलों और ओलंपिक खेलों में बस्तर के खिलाड़ी खेलें, वहां तक ले जाने की व्यवस्था सरकार ने की है। शाह ने कहा कि पिछले वर्ष बस्तर ओलंपिक में एक लाख 65 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, जबकि इस वर्ष तीन लाख 91 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है, जो लगभग ढाई गुना की वृद्धि है और बहनों की प्रतिभागिता में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि यह उत्साह देखकर आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री मोदी ने खेलो इंडिया ट्राइबल गेम्स के लिए छत्तीसगढ़ को चुना है।

शाह ने कहा, ''बस्तर बदल रहा है, और जब 2026 में फिर से ओलंपिक होंगे, तो वे नक्सलवाद-मुक्त बस्तर में आयोजित किए जाएंगे।'' इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा तथा अन्य लोग मौजूद थे। 

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