Ambedkar Jayanti 2025: बाबासाहेब के बहाने भाजपा का मिशन 2027 शुरू?, भाजपा पहली बार 13 दिनों तक मनाएगी जयंती
By राजेंद्र कुमार | Updated: April 14, 2025 17:43 IST2025-04-14T17:42:17+5:302025-04-14T17:43:39+5:30
Ambedkar Jayanti 2025: कुल 403 विधानसभा सीटों में से 86 सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश में सोमवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर की 135वीं जयंती पर प्रदेश के सभी 75 जिलों में तमाम कार्यक्रम आयोजित किए गए. लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने बाबा साहब की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनके कार्यों का उल्लेख किया. इस अवसर पर सीएम योगी ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर प्रदेश में जीरो पॉवर्टी कार्यक्रम शुरू किए जाने का ऐलान किया. जबकि मायावती ने भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरह भजस्पा शासनकाल में भी आरक्षण के संवैधानिक अधिकार पर सुनियोजित कुठाराघात होने से अब बहुजन समाज की स्थिति अच्छे दिन के बजाए बुरे दिन वाली ही बन रही है. यह चिंताजनक है. जबकि अखिलेश यादव ने यह कहा कि देश संविधान से चलना चाहिए, साजिशों के तहत प्रतिमाओं को खंडित किए जाने की प्रथा पर रोक लगाई जानी चाहिए.
भाजपा यूपी में 13 दिन आंबेडकर जयंती मना रही
नेताओं के ऐसे कथनों के बीच उत्तर प्रदेश में पहली बार भाजपा ने राज्य के हर जिले में डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती मानते हुए वंचितों को जोड़ने की कोशिश की. इसके लिए पहली बार आंबेडकर जयंती के कार्यक्रमों में उनका पूरा नाम डॉ.भीमराव 'रामजी' आंबेडकर का इस्तेमाल किया गया. यह सब करते हुए भाजपा ने दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के साथ ही आरक्षण समाप्त करने व संविधान बदलने के विपक्ष के नैरेटिव को भी तोड़ने का प्रयास शुरू किया. यही कारण है कि भाजपा प्रदेश में पहली बार 13 दिनों तक डॉ. आंबेडकर जयंती मना रही है.
इसके लिए 13 अप्रैल को लखनऊ में केंद्रीय रक्षामंत्री के पुत्र नीरज सिंह के जरिए दलित व अति पिछड़े युवाओं को साथ लाने के लिए पार्टी ने मैराथन का भी आयोजन किया. इस कार्यक्रम में पार्टी के सीनियर नेता धर्मपाल भी शामिल हुए. इसी क्रम में भाजपा ने सोमवार को प्रदेश के सभी प्रमुख अखबारों में भारत रत्न बाबासाहेब डॉ.भीमराव रामजी आंबेडकर जी के नाम का विज्ञापन देकर आंबेडकर की उस छवि को भी बदलने का प्रयास किया जो विपक्षी दलों ने बनाई है. यही वजह है कि उनके मूल नाम का इस्तेमाल कर उसे राम से भी जोड़ने की कोशिश की गई.
यही नहीं बाबासाहेब के साथ नीले रंग का इस्तेमाल बसपा और दलित वोट बैंक पर आधारित अन्य पार्टियां करती हैं, उस छवि को भी सोमवार को भाजपा ने बदलने का प्रयास किया. जिसके तहत हर जिले में आयोजित सरकारी कार्यक्रमों में नीले रंग के बजाए केसरिया कलर में सजाए गए पंडाल में बाबा साहब के नाम से शुरू की गई योजनाओं को प्रचार-प्रसार किया गया.
भाजपा का प्लान
कुल मिलकर भाजपा ने आंबेडकर जयंती के जरिए दलित समाज को एकजुट करते हुए उत्तर प्रदेश में सपा के पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूले को चुनौती देने की ठान ली है. बीते लोकसभा चुनाव इंडिया गठबंधन ने पीडीए फार्मूले और संविधान के नाम पर वोट मांगे कर योगी सरकार को तगड़ा झटका दिया था.
इस कारण भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए यूपी में 36 सीटों पर सिमट गया. लोकसभा चुनाव में मिले इस झटके से उबरने के लिए ही अब भाजपा वंचितों और अति पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने के नए तरीके अपना रही है. इसके लिए सीएम योगी सहित पार्टी के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह वंचितों तथा पिछड़ों के बीच पार्टी के विचारों को ले जाने और उनके मन से गलतफहमी दूर करने की कोशिश में जुटे हैं.
बसपा को प्रदेश में कमजोर होता देख उसके परंपरागत वोट बैंक को अपने पाले में करना भाजपा को संभव लग रहा है. इसलिए अब आंबेडकर जयंती के बहाने से भाजपा ने 15 से 25 अप्रैल तक दलित बस्तियों में जाकर कांग्रेस-सपा को आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर कठघरे में खड़ा करेगी. मोदी योगी सरकार की दलितों के लिए किए गए कार्यों को भी इस दौरान बताया जाएगा. ताकि राज्य में दलित समाज को भाजपा के पक्ष में एकजुट किया जा सके. इसका लाभ विधानसभा के चुनाव में उठाया जा सके.
प्रदेश में करीब 300 सीटों पर है दलितों का प्रभाव है. प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 86 सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. भाजपा चाहती हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों में वंचित समाज के वोट बैंक में सेंधमारी कर वह यूपी की सत्ता पर फिर से काबिज हो, इसलिए अब भाजपा आंबेडकर का नाम लेते हुए अपनी सियासी चाल चल रही है.