1990 में आतंकी बनने गया ये शख्स 28 साल बाद ऐसे लौटा, आज कश्मीर घाटी की हर जुबां पर चढ़ा
By रामदीप मिश्रा | Published: July 16, 2018 12:50 PM2018-07-16T12:50:57+5:302018-07-16T12:50:57+5:30
मोहम्मद अल्ताफ मीर 1990 में घर छोड़ दिया था और इसकी वजह आतंकवादी बनने की थी। वह सीधे पीओके गए और वहां रहने लगे।
श्रीनगर, 16 जुलाई: इन दिनों कश्मीर में एक लोकगीत 'हा गुलो' धूम मचाए हुए है, जिसे अभी तक हजारों लोग देख चुके हैं। यह वीडियो उस शख्स ने गाया है जो आतंकवादी बनने के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) चला गया था, लेकिन उसने इस इरादे को बदलकर एक नए जीवन की आधारशिला रखी और आज वायरल हो गया है।
दरअसल, हम बात अनंतनाग के रहने वाले मोहम्मद अल्ताफ मीर की कर रहे हैं, जिन्होंने 'हा गुलो' गाया गाया है। इसे घाटी में खूब पसंद किया जा रहा है। उनका यह गाना कोक स्टूडिया पाकिस्तान की ओर से जारी किया गया है, जिसे अबतक तीन लाख 12 हजार से अधिक लोग देख चुके हैं।
बताया गया है कि मोहम्मद अल्ताफ मीर 1990 में घर छोड़ दिया था और इसकी वजह आतंकवादी बनने की थी। वह सीधे पीओके गए और वहां रहने लगे। घर वाले मान चुके थे कि उनकी मौत हो गई है, लेकिन वीडियो के सामने आने के बाद सभी को उनके जिंदा होने का पता चला है। अब परिजन उन्हे दोबारा घर बुलाने के लिए गुहार लगा रहे हैं।
खबरों के अनुसार, मीर एक बैंड चलाते हैं, जिसका सिलेक्शन कोक स्टूडियो ने 2018 संस्करण के लिए किया। इसके बाद कश्मीर घाटी के इस लोकगीत को रिकॉर्ड किया गया, जो वायरल होकर हर किसी की जुबां पर चढ़ गया। मीर का लोकगीत सुर्खियों में आने के बाद उनके बारे में कई अहम बातें लोगों को पता चली हैं। बताया गया है कि वे कई वर्षों तक रेडियो पाकिस्तान से भी जुड़े रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में मीर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने अपने कई दोस्तों के साथ आतंकी बनने के लिए हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली, लेकिन कुछ दिनों के बाद उनका मन नहीं लगा और उन्होंनें यह काम छोड़ कंडक्टरी करना शुरू कर दिया और साथ-साथ कपड़े पर सिलाई करना शुरू कर दिया। इसके अलावा सूफियाना महफिलों में गाना शुरू किया।
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