हिंदू महिला-पुरुष के बीच आर्य समाज मंदिर में वैदिक रीति रिवाज विवाह वैध?, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा-विवाह स्थल मंदिर हो, घर हो या खुली जगह, यह मायने नहीं रखता

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 17, 2025 22:52 IST2025-04-17T22:51:22+5:302025-04-17T22:52:39+5:30

टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने महाराज सिंह नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। महाराज सिंह ने बरेली के हफीजगंज पुलिस थाने में दर्ज दहेज की मांग के आपराधिक मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था।

Allahabad High Court said marriage Hindu woman man in Arya Samaj temple Vedic rituals valid not matter whether marriage venue temple house or open space | हिंदू महिला-पुरुष के बीच आर्य समाज मंदिर में वैदिक रीति रिवाज विवाह वैध?, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा-विवाह स्थल मंदिर हो, घर हो या खुली जगह, यह मायने नहीं रखता

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Highlightsयाचिकाकर्ता की दलील थी कि आर्य समाज मंदिर में उसका विवाह हिंदू रीति रिवाज के साथ नहीं हुआ।संबंधित आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र फर्जी है। उच्च न्यायालय की खंडपीठ के निर्णय के मुताबिक, विवाह वैध नहीं था।

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा है कि हिंदू महिला और पुरुष के बीच आर्य समाज मंदिर में यदि वैदिक रीति रिवाज के मुताबिक विवाह होता है तो हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत वह वैध है। इसने कहा कि विवाह स्थल मंदिर हो, घर हो या खुली जगह, यह मायने नहीं रखता। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने महाराज सिंह नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। महाराज सिंह ने बरेली के हफीजगंज पुलिस थाने में दर्ज दहेज की मांग के आपराधिक मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था।

याचिकाकर्ता की दलील थी कि आर्य समाज मंदिर में उसका विवाह हिंदू रीति रिवाज के साथ नहीं हुआ और संबंधित आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र फर्जी है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि इस आपराधिक मुकदमे को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि आशीष मौर्य बनाम अनामिका धीमान के मामले में इस उच्च न्यायालय की खंडपीठ के निर्णय के मुताबिक, विवाह वैध नहीं था।

खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा था कि विवाह का पंजीकरण अपने आप में वैध विवाह का प्रमाण नहीं है और विवाह की वैधता के संबंध में यह निर्धारक कारक नहीं होगा। हालांकि, न्यायमूर्ति देशवाल की अदालत ने कहा, “आर्य समाज मंदिर में वैदिक रीति रिवाज के मुताबिक विवाह होते हैं जिसमें कन्यादान, सात फेरे लगाना और मंत्रोच्चार के बीच दुल्हन की मांग में सिंदूर लगाना शामिल है।

ये प्रक्रियाएं 1955 के अधिनियम की धारा 7 की जरूरतें पूरी करती हैं।” अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यद्यपि आर्य समाज द्वारा जारी प्रमाण पत्र, विवाह की वैधता को कानूनी बल नहीं प्रदान करते, लेकिन ये प्रमाण पत्र रद्दी के कागज नहीं होते क्योंकि इन्हें शादी कराने वाले पुरोहित द्वारा मुकदमे की सुनवाई के दौरान भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के प्रावधानों के मुताबिक सिद्ध किया जा सकता है।

Web Title: Allahabad High Court said marriage Hindu woman man in Arya Samaj temple Vedic rituals valid not matter whether marriage venue temple house or open space

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