एनसीपी प्रमुख शरद पवार का बड़ा फैसला, पार्टी के सभी विभाग और प्रकोष्ठ किए भंग
By मेघना सचदेवा | Updated: July 21, 2022 12:32 IST2022-07-21T12:32:38+5:302022-07-21T12:32:38+5:30
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार गिरने के बाद अब शरद पवार ने बड़ा फैसला लिया है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पार्टी के ढांचे को पुनर्गठित करने का फैसला किया है। उन्होंने पार्टी के सभी विभागों और प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार का बड़ा फैसला, पार्टी के सभी विभाग और प्रकोष्ठ किए भंग
मुंबई: महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे में एनसीपी ज्यादा कुछ बोलने से बचती ही नजर आई। बहरहाल अब सामने आई जानकारी के मुताबिक राकांपा के प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार को पार्टी के सभी विभागों और प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया। बुधवार को पार्टी के महासचिव प्रफुल्ल पटेल ट्वीट कर शरद पवार के इस फैसले की जानकारी दी है।
एनसीपी प्रमुख ने किया बड़ा फैसला
प्रफुल्ल पटेल ने एक बयान में कहा 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शरद पवार के अनुमोदन से राष्ट्रवादी महिला कांग्रेस को छोड़कर एनसीपी के सभी विभाग और प्रकोष्ठ तत्काल प्रभाव से भंग किए जा रहे हैं'। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरे तीन हफ्ते बीत चुके हैं।
ऐसे में इस फैसले के पीछे फिलहाल प्रफुल्ल पटेल ने कोई कारण नहीं बताया। कहा ये जा रहा है कि पार्टी के ढांचे को पुनर्गठित करने के मकसद से ये फैसला लिया गया है। अटकलें ये भी थी कि शिवसेना में टूट के चलते भी शरद पवार ने ये फैसला लिया है। हालांकि प्रफुल्ल पटेल ने अपने एक और ट्वीट में ये भी कहा कि ये फैसला महाराष्ट्र पर लागू नहीं होता।
With the approval of our National President Hon'ble Shri Sharad Pawar Saheb, all the National level Departments and Cells of @NCPspeaks excluding Nationalist Women's Congress, Nationalist Youth Congress and Nationalist Students Congress stand dissolved with immediate effect.
— Praful Patel (@praful_patel) July 20, 2022
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने शरद पवार पर लगाए थे आरोप
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री रामदास कदम ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राकांपा प्रमुख शरद पवार शिवसेना को तोड़ रहे हैं और उन्होंने इसका सबूत शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को दिया। उन्होंने कहा हमें आभारी होना चाहिए कि यह विद्रोह ठाकरे सरकार के पहले ढाई साल में हुआ। अन्यथा शिवसेना पांच साल के कार्यकाल के अंत में समाप्त हो जाती। 5-10 विधायक भी अगला विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाते।
शिंदे और विधायकों के विरोध के बाद गिर गई थी सरकार
गौरतलब है कि पवार ने एमवीए के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसमें शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी शामिल थे। पिछले महीने जब शिंदे ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह किया था तब भी कई विधायकों ने शिवसेना के एनसीपी से अलग होने की बात रखी लेकिन उनके मुताबिक उनकी सुनी नहीं गई। जिसके बाद बीजेपी के समर्थन से एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ महाराष्ट्र में सरकार बना ली।