एम्स में 16 महीने के बच्चे की मौत के बाद परिवार ने दान किए उसके अंग, 5 बेटियों के बाद हुआ था बेटा, पिता ने कहा- मेरी बाहें मेरे बच्चे को...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 26, 2022 10:47 IST2022-08-26T10:44:35+5:302022-08-26T10:47:18+5:30

शोकग्रस्त परिवार को ओआरबीओ, एम्स दिल्ली के डॉक्टरों और प्रत्यारोपण समन्वयकों द्वारा परामर्श दिया गया और उन्हें अंग दान के बारे में सूचित किया गया।

After the death of a 16-month-old child in AIIMS, the family donated his organs | एम्स में 16 महीने के बच्चे की मौत के बाद परिवार ने दान किए उसके अंग, 5 बेटियों के बाद हुआ था बेटा, पिता ने कहा- मेरी बाहें मेरे बच्चे को...

photo: ANI

Highlightsपिता उपिंदर ने कहा, "बेबी रिशांत छठा और सबसे छोटा बच्चा था।पिता ने कहा- मेरा दिल टूट जाता है कि हमने उसे खो दिया है। 17 अगस्त को रिशांत गिर गया था जिससे उसके सिर में गंभीर चोटें आई थीं।

नई दिल्ली: एक परिवार ने अपने 16 महीने के बच्चे की मौत के बाद उसके अंगों को दान कर दिया। दिल्ली के एम्स में ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद परिवार ने ये फैसला किया। 16 महीने का रिशांत 17 अगस्त की सुबह  गिर गया था जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे एम्स में भर्ती कराया गया था। 24 अगस्त को उन्हें ब्रेन स्टेम डेड घोषित कर दिया गया था। रिशांत अभी हाल ही में चलना शुरू किया था। बच्चे के पिता के अनुसार, 5 बेटियों के बाद इस बच्चे का जन्म हुआ था।

बच्चे के पिता उपिंदर पेशे से एक निजी ठेकेदार हैं। 17 अगस्त को रिशांत गिर गया था जिससे उसके सिर में गंभीर चोटें आई थीं। हादसे के बाद उसे वह एक निजी अस्पताल में ले गए। बेबी रिशांत को बाद में उसी दोपहर 17 अगस्त को एम्स के जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर (जेपीएनएटीसी) में भर्ती कराया गया था। लेकिन उसमें सुधार नहीं हुआ और 24 अगस्त को उन्हें ब्रेन स्टेम डेड घोषित कर दिया गया था।

शोकग्रस्त परिवार को ओआरबीओ, एम्स दिल्ली के डॉक्टरों और प्रत्यारोपण समन्वयकों द्वारा परामर्श दिया गया और उन्हें अंग दान के बारे में सूचित किया गया। काउंसलिंग सेशन के बाद, जब परिवार को पता चला कि रिशांत के अंग दूसरों में जान फूंक सकते हैं, तो वे तहे दिल से उसके अंगों और ऊतकों को दान करने के लिए तैयार हो गए।

पिता उपिंदर ने कहा, "बेबी रिशांत छठा और सबसे छोटा बच्चा था। वह हमारी आंखों का तारा था और अपने माता-पिता और पांच बड़ी बहनों से बहुत प्यार करता था। मैं उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन की सुबह काम पर निकलने में व्यस्त था और मेरी बाहें मेरे बच्चे को पकड़ भी नहीं सका। इससे मेरा दिल टूट जाता है कि हमने उसे खो दिया है। लेकिन मुझे लगा कि अगर उसके अंग अन्य लोगों की जान बचा सकते हैं, तो मुझे उन्हें दान करना चाहिए।'' रिशांत के चाचा ने कहा, अंगदान के साथ रिशांत की यादें जीवित रहेंगी।

Web Title: After the death of a 16-month-old child in AIIMS, the family donated his organs

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