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हंगामे के बीच लोकसभा और राज्य सभा में कृषि कानूनों की वापसी का बिल पास, कांग्रेस ने पूछा- चर्चा से क्यों डर रही सरकार

By विनीत कुमार | Updated: November 29, 2021 14:35 IST

लोकसभा के बाद राज्य सभा में भी सोमवार को तीन कृषि कानूनों की वापसी का बिल पास हो गया। इस दौरान हंगामा होता रहा। दोनों ही सदनों में बिना चर्चा के ये विधेयक पास हुआ।

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ठळक मुद्देसंसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्य सभा कृषि कानूनों की वापसी का बिल पास।विपक्ष इन पर चर्चा की मांग कर रहा था, हालांकि दोनों सदनों में ये बिना चर्चा के पास हुआ।कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को दिन में सबसे पहले लोकसभा में रखा गया, इसके बाद राज्य सभा से यह पास हुआ।

नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्य सभा दोनों ही सदनों में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने का बिल पास हो गया। इस दौरान दोनों ही सदनों में हंगामा देखने को मिला। कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को दिन में सबसे पहले लोकसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से रखा गया था और कुछ ही मिनटों में इसे पास कर लिया गया।

इसके बाद दिन में दो बजे विधेयक को सरकार की ओर से राज्य सभा में भी पेश किया गया। यहां भी बिना चर्चा के ये पारित हुआ। विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा किया लेकिन इसे नजरअंदाज करते हुए दोनों ही सदनों में सरकार की ओर से विधेयक को पास करा लिया गया।

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने चर्चा नहीं कराने पर उठाए सवाल

दूसरी ओर कांग्रेस ने लोकसभा में चर्चा के बिना कृषि विधि निरसन विधेयक को पारित कराए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि आखिर सरकार को इस विधेयक पर चर्चा करने से डर क्यों लग रहा है? 

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, 'कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक पर चर्चा करने से सरकार को परेशानी क्या है? अतीत में जितने भी कानून निरस्त किए गए हैं, उन पर चर्चा हुई है। फिर सरकार को चर्चा से क्या परेशानी है? सरकार को किस बात का डर है?'

दोपहर दो बजे जैसे ही राज्य सभा की कार्यवाही शुरू हुई वैसे ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विधेयक को पेश करते हुए इसे पारित करने का प्रस्ताव रखा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह कृषि विधि निरसन विधेयक का स्वागत करते हैं और कोई इसके विरोध में नहीं है क्योंकि यह किसानों का मुद्दा है। 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने निरस्त किए गए तीनों कानूनों को ‘काला कानून’ करार देते हुए कहा, ‘एक साल तीन महीने के बाद आपको (सरकार) ज्ञान प्राप्त हुआ और आपने कानूनों को वापस लेने का फैसला किया।’ इसी बीच तोमर ने कहा कि सरकार किसानों की भलाई के लिए यह तीनों कानून लेकर आई थी लेकिन दुख की बात है कि वह किसानों को समझा नहीं सकी। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ। 

(भाषा इनपुट)

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