लॉन्च के बाद चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक कक्षा में हुआ स्थापित, अगले महीने होनी है चंद्रमा पर लैंडिंग
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 14, 2023 15:13 IST2023-07-14T15:07:33+5:302023-07-14T15:13:29+5:30
चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित हो गया है। इसकी लैंडिंग अगले महीने चांद के सतह पर कराने की कोशिश की जाएगी। चंद्रयान-3 को शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया।

लॉन्च के बाद चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक कक्षा में हुआ स्थापित, अगले महीने होनी है चंद्रमा पर लैंडिंग
श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को यहां एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ का प्रक्षेपण किया। इसके कुछ मिनटों बाद तमाम चरणों को पार करते हुए चंद्रयान कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया। इसकी पुष्टी इसरो की ओर से की गई है।
इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3, रॉकेट एलवीएम3-एम4 से सफलतापूर्वक अलग हुआ। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश के बाद कहा, 'चंद्रयान-3’ ने चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा शुरू कर दी है। एलवीएम-3एम4 रॉकेट ने ‘चंद्रयान-3’ को सटीक कक्षा में स्थापित किया है।'
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) July 14, 2023
LVM3 M4 vehicle🚀 successfully launched Chandrayaan-3🛰️ into orbit.
कल शुरू हुई 25.30 घंटे की उलटी गिनती के अंत में एलवीएम3-एम4 रॉकेट यहां स्थित अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र के दूसरे ‘लॉन्च पैड’ से अपराह्न 2.35 बजे निर्धारित समय पर धुएं का घना गुबार छोड़ते हुए शानदार ढंग से आकाश की ओर रवाना हुआ। प्रक्षेपण के सोलह मिनट बाद प्रक्षेपण माड्यूल रॉकेट से अलग हो जाएगा। एलवीएम3-एम4 रॉकेट अपनी श्रेणी में सबसे बड़ा और भारी है जिसे वैज्ञानिक 'फैट बॉय' कहते हैं।
Chandrayaan-3, India’s third lunar exploration mission takes off from Sriharikota,Andhra Pradesh.
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 14, 2023
🚀LVM3 Launch Vehicle Mk III takes the Chandrayaan-3 spacecraft to Geo Transfer Orbit (GTO).
🌝#Chandrayaan3 consists of an indigenous propulsion module, lander module, and a rover… pic.twitter.com/pbhxmZO0Eq
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग देखने जुटे थे हजारों लोग
प्रक्षपेण देखने के लिए मौजूद हजारों दर्शक चंद्रयान-3 के रवाना होते ही खुशी से झूम उठे। आज रवाना हुआ ‘चंद्र मिशन’ 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है। ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था। यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा।
इसरो ने पूर्व में कहा था कि ‘चंद्रयान-3’ कार्यक्रम के तहत इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल की मदद से चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ और चंद्र भूभाग पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करके नई सीमाएं पार करने जा रहा है। एलवीएम3एम4 रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था। अगस्त के अंत में ‘चंद्रयान-3’ की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की योजना बनाई गई है।
उम्मीद है कि यह मिशन भविष्य के अंतरग्रही अभियानों के लिए सहायक होगा। चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है। शुक्रवार का मिशन एलवीएम3 की चौथी अभियानगत उड़ान है जिसका उद्देश्य ‘चंद्रयान-3’ को भू-समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करना है।
इसरो ने कहा कि एलवीएम3 रॉकेट ने कई उपग्रहों को प्रक्षेपित करने, अंतरग्रही अभियानों सहित अधिकतर जटिल अभियानों को पूरा करने करने की अपनी विशिष्टता साबित की है। इसने कहा कि यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ग्राहक उपग्रहों को ले जाने वाला सबसे बड़ा और भारी प्रक्षेपण यान भी है।