लॉकडाउन खुलने के पर स्वास्थ्य क्षेत्र में होंगे बदलाव: कोविड-19 का अलग से होगा अस्पताल, कोरोना मरीजों के लिए नया मॉडल
By एसके गुप्ता | Updated: April 24, 2020 07:02 IST2020-04-24T07:02:06+5:302020-04-24T07:02:55+5:30

प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: लॉकडाउन खुलने पर स्वास्थ्य क्षेत्र की तस्वीर अलग होगी. कोरोना संक्र मण नॉन कोविड मरीजों में न फैले इसके लिए कोविड अस्पताल और नॉन कोविड अस्पताल अलग होंगे. अस्पतालों में रोगियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर उपचार देने तक में काफी सतर्कता बरती जाएगी. एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नॉन कोविड रोगियों जिनमें कैंसर, कीमो थैरेपी, डायलिसिस और किडनी संबंधी जटिल रोग से ग्रस्त मरीज हैं. उनके उपचार को रोका नहीं जा सकता है. ऐसे में यह जरूरी है कि कोविड और नॉन कोविड अस्पताल को अलग रखा जाए.
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोविड-19 रोगियों के लिए अस्पतालों में आने-जाने का बिल्कुल अलग मॉडल बनाया गया है, जिससे नॉन कोविड मरीज कोरोना संक्रमित रोगियों से दूर रहें और संक्रमण उन तक न पहुंचे. डॉ. गुलेरिया ने कहा कि जिन मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है, ऐसे कोरोना संक्रमित रोगियों को ऑक्सीजन थैरेपी दी जाती है. उन्होंने कहा कि 80 फीसदी लोगों में साधारण लक्षण होते हैं. जबकि 15 फीसदी रोगियों को ही ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत होती है और 5 फीसदी कोरोना रोगियों को ही वेंटिलेटर पर उपचार दिया जाता है.
अस्पताल पहुंचकर उपचार कराएं संक्रमित मरीज
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए एचसीक्यू और एजिथ्रोमािइसन जैसी दवाओं का देश में पर्याप्त स्टॉक मौजूद है. फेफड़ा विशेषज्ञ डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि 90 से 95 फीसदी कोरोना रोगी ठीक हो जाते हैं. इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. जरूरत समय से उपचार लेने की है.
एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर जारी नए कानून पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बहुत से मरीज कोरोना संक्रमित होने के बावजूद उपचार के लिए अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे लोग अस्पतालों में देरी से पहुंच रहे हैं. जबकि लोगों को समय से उपचार कराना चाहिए, जिससे वह खुद की, अपने परिवार और नजदीकियों की जान को खतरें में न डालें.