थल सेना के बाद Navy में महिलाओं को स्थाई कमीशन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 101 बहाने नहीं हो सकते, भेदभाव सही नहीं

By सतीश कुमार सिंह | Published: March 17, 2020 08:15 PM2020-03-17T20:15:26+5:302020-03-17T20:28:39+5:30

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कहा कि देश की सेवा करने वाली महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से इनकार करने पर न्याय को नुकसान होगा।

After Army, Supreme Court grants permanent commission to women officers in Navy | थल सेना के बाद Navy में महिलाओं को स्थाई कमीशन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 101 बहाने नहीं हो सकते, भेदभाव सही नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका को खारिज करते हुए नेवी (नौसेना) में भी महिलाओं को स्थायी कमीशन के दिया है।

Highlightsनौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने में लैंगिक भेदभाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि महिलाएं अधिकारी भी पुरुष अधिकारियों की तरह काम कर सकती हैं।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने नौसेना में महिला अधिकारियों के लिये स्थाई कमीशन का रास्ता साफ करते हुये मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि ‘भेदभाव के इतिहास’ से बाहर निकलने के लिये महिलाओं के लिये समान अवसर सुनिश्चित करना जरूरी है।

न्यायालय ने इसके साथ ही नौसेना में पुरुष और महिला अधिकारियों के साथ समान व्यवहार किए जाने पर जोर देते हुए महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन को मंजूरी दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि लैंगिक समता का संघर्ष विचारों के बीच टकराव का सामना करने के बारे में है और इतिहास में ऐसे उदाहरणों की भरमार है जहां कानून के तहत महिलाओं को उनके हक और कार्यस्थल पर निष्पक्षता तथा समान व्यवहार से वंचित किया गया है। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने थल सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन प्रदान करने के ऐतिहासिक निर्णय के ठीक एक महीने बाद नौसेना की महिला अधिकारियों को यह अधिकार देने की व्यवस्था दी।

पीठ ने कहा कि गरिमा के संवैधानिक अधिकार कार्य की निष्पक्ष और समान शर्तो तथा समान अवसर प्रदान करने के लिये 101 बहाने कोई जवाब नहीं है। न्यायलय ने केन्द्र को इस महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन की सुविधा प्रदान करने के तौर तरीके तैयार करने के लिये तीन महीने का वक्त दिया है। पीठ ने समुद्र में कतिपय ड्यूटी महिला अधिकारियों के अनुरूप नहीं होने संबंधी केन्द्र की दलील के बारे में कहा कि इसका आधार यह है कि शारीरिक संरचना की वजह से पुरुष अधिकारी ऐसे कार्य के लिये अधिक उपयुक्त होते हैं और इसे स्वीकार करने का तात्पर्य लैंगिक भूमिका के बारे में सामाजिक मान्यता को मंजूरी देना होगा।

पीठ ने केन्द्र की सितंबर, 2008 की विवादास्पद नीति के उस भावी प्रभाव को निरस्त कर दिया जो स्थाई कमीशन के लिये कतिपय श्रेणियों तक ही सीमित करती थी। पीठ ने इस पर अमल के लिये तीन दिसंबर, 2008 को जारी दिशानिर्देशों को रद्द करते हुये कहा कि कहा कि छह सितंबर, 2008 के नीति पत्र में भविष्य में नौसेना के विर्निदिष्ट काडर और प्रकोष्ठों में ही प्रभावी होने संबंधी प्रावधान लागू नहीं किया जायेगा। पीठ ने कहा कि देश की सेवा करने वाली महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से इनकार करने पर न्याय को नुकसान होगा।

पीठ ने कहा कि केन्द्र द्वारा वैधानिक अवरोध हटा कर महिलाओं की भर्ती की अनुमति देने के बाद नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने में लैंगिक भेदभाव नहीं किया जा सकता। पीठ ने केन्द्र की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि नौसेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारियों को समुद्र में जाने की ड्यूटी नहीं दी जा सकती है क्योंकि रूस में निर्मित जहाजों में उनके लिये अलग से वाशरूम नहीं है। पीठ ने कहा कि इस तरह की दलीलें केन्द्र की 1991 और 1998 की नीति के विपरीत है।

इन्हीं नीति के तहत केन्द्र ने नौसेना में महिला अधिकारियों को शामिल करने पर लगी कानूनी पाबंदी हटा ली थी। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘ जब एक बार महिला अधिकारियों की भर्ती के लिए वैधानिक अवरोध हटा दिया गया तो स्थायी कमीशन देने में पुरुष और महिलाओं के साथ समान व्यवहार होना चाहिए।’’

पीठ ने नीति के तहत 2008 से पहले नौसेना में शामिल की गयी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर पड़ने वाले प्रभाव को निरस्त कर दिया। पीठ ने सेवानिवृत्त हो चुकी उन महिला अधिकारियों को पेंशन का लाभ भी प्रदान किया जिन्हें स्थाई कमीशन नहीं दिया गया था। न्यायालय ने कहा कि ऐसे पर्याप्त दस्तावेजी साक्ष्य हैं जिनसे पता चलता है कि नौसेना में महिला अधिकारियों ने सेना के लिये ढेरों उपलब्धियां प्राप्त की हैं।

सुप्रीम कोर्ट के नौसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने पर भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि बहुत खुशी की बात है। हम पूरे दावे के साथ कह सकते हैं कि महिलाएं हर क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर रही हैं। आर्मी, नेवी, एयर फोर्स हर जगह आ रही हैं बहुत अच्छी बात है।

Web Title: After Army, Supreme Court grants permanent commission to women officers in Navy

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