महाराष्ट्र की चुनावी सियासत में कदम रखने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य बने आदित्य

By भाषा | Published: October 24, 2019 08:49 PM2019-10-24T20:49:33+5:302019-10-24T20:49:33+5:30

शिवसेना शासित बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जो अब मुख्यमंत्री की मंजूरी के इंतजार में अटका है। युवा नेता अपने दादा, पिता और चाचा की तरह ही रचनात्मक पक्ष भी रखते हैं।

Aditya becomes first member of Thackeray family to enter Maharashtra's electoral politics | महाराष्ट्र की चुनावी सियासत में कदम रखने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य बने आदित्य

ठाकरे परिवार की युवा पीढ़ी के 29 वर्षीय नेता ने मुंबई के वरली निर्वाचन क्षेत्र से शानदार बहुमत से जीत दर्ज की।

Highlightsआदित्य ठाकरे अपने परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्होंने चुनावी सियासत में खाता खोलकर इतिहास रच दियावह राज्य में अगली सरकार बनाने तथा अपनी पार्टी का आधार बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

मराठी राजनीति में अपना सिक्का जमाने वाली शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे अपने परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्होंने चुनावी सियासत में खाता खोलकर इतिहास रच दिया और वह राज्य में अगली सरकार बनाने तथा अपनी पार्टी का आधार बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ठाकरे परिवार की युवा पीढ़ी के 29 वर्षीय नेता ने मुंबई के वरली निर्वाचन क्षेत्र से शानदार बहुमत से जीत दर्ज की।

उनकी पार्टी उन्हें भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाना चाहती है। युवा शिवसेना नेता अपनी पार्टी को अधिक समावेशी बनाकर उसका आधार बढ़ाना चाहते हैं। चुनाव प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने कई रोड शो किए, पैदल मार्च निकाले और आरे कॉलोनी में पेड़ों को काटे जाने तथा मुंबई की नाइटलाइफ जैसे मुद्दे उठाए।

साथ ही उन्होंने कहा कि वह इस निर्वाचन क्षेत्र को ‘‘विकास का मॉडल’’ बनाना चाहते हैं। उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में गैर-मराठी मतदाताओं तक भी पहुंच बनायी थी। उपनगर माहिम में बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से पढ़ाई करने वाले आदित्य सेंट जेवियर कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक हैं तथा उन्होंने के सी कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की है।

उन्होंने हमेशा अपने आप को राज्य में जनता से जुड़े मुद्दों और युवाओं की चिंताओं के प्रति सचेत रखा। महाराष्ट्र सरकार के प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का आंशिक रूप से श्रेय इसके खिलाफ चलायी उनकी मुहिम को दिया गया। युवाओं को आकर्षित करने की कवायद के तौर पर उन्होंने मॉल्स और रेस्त्रां को पूरी रात खुले रखने की बात कहकर मुंबई की नाइटलाइफ में भी जान फूंकने का प्रस्ताव रखा।

शिवसेना शासित बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जो अब मुख्यमंत्री की मंजूरी के इंतजार में अटका है। युवा नेता अपने दादा, पिता और चाचा की तरह ही रचनात्मक पक्ष भी रखते हैं। उनके दादा दिवंगत बाल ठाकरे एक कार्टूनिस्ट थे जबकि उनके चाचा एवं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे भी कार्टूनिस्ट हैं। बाल ठाकरे ने 1966 में शिवसेना की स्थापना की थी।

वहीं, आदित्य के पिता शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे एक पेशेवर फोटोग्राफर हैं। आदित्य में भी अपने पिता की तरह फोटोग्राफी कला के प्रति झुकाव है। बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने कविताओं की उनकी पहली किताब ‘‘माय थोट्स इन ब्लैक एंड व्हाइट’’ का 2007 में विमोचन किया था।

उन्होंने निजी एल्बम ‘उम्मीद’’ के बोल भी लिखे। वह मुंबई विश्वविद्यालय के अंग्रेजी साहित्य के पाठ्यक्रम में लेखक रोहिंगटन मिस्त्री की किताब ‘‘सच अ लॉन्ग जर्नी’’ के खिलाफ एक प्रदर्शन का नेतृत्व करने को लेकर 2010 में सुर्खियों में आए। तब से वह ऐसे कई प्रदर्शनों और अभियानों के केंद्र में रहे हैं।

आदित्य ने मुंबई के खुले स्थानों पर ओपन जिम की अपनी योजनाओं को लागू करने की कोशिश की। हालांकि यह योजना तब परेशानी में घिर गयी जब महानगरपालिका की मंजूरी के बिना इन्हें खोला गया। उनके नेतृत्व में युवा शिवसेना का पिछले दो कार्यकाल से मुंबई विश्वविद्यालय सीनेट में पलड़ा भारी रहा है। पीढ़ियों से राजनीति करने वाले परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद वह राज्य विधानसभा का सदस्य बनने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं।

शिवसेना के एक नेता ने कहा कि उनकी जीत से शिवसेना के लिए ‘‘अच्छे दिन’’ आने की उम्मीद है जो पिछले कुछ वर्षों से वरिष्ठ सहयोगी दल भाजपा की सहायक की भूमिका निभाने के लिए विवश रही है। युवा सेना प्रमुख किताबें पढ़ने के भी काफी शौकीन हैं और उनमें महानगर तथा राज्य के बारे में अपने दम पर बहस करने की क्षमता है तथा उनका जमीनी स्तर पर शिवसैनिकों से भी जुड़ाव है।

उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी बातों ने उनकी शख्सियत को मजबूत बनाया है।’’ आदित्य ठाकरे ने 2009 में राजनीति में कदम रखा था और तब से वह संगठन में सक्रिय तौर पर काम करते रहे हैं। उन्होंने नये युवा नेताओं की एक सेना तैयार की। शिवसेना अध्यक्ष के करीबी सहायक हर्षल प्रधान ने कहा, ‘‘पिछले दस वर्षों में वह जमीन पर मुद्दों को समझने तथा उनकी नब्ज पकड़ने के लिए राज्यभर में घूमे।

इसलिए उन्होंने चुनाव न लड़ने की परिवार की परंपरा को तोड़ने का फैसला किया।’’ शिवसेना के अनुसार वह ‘‘देश में इकलौते नेता है जो 30 वर्ष से कम उम्र की आयु के हैं’’ जो अपनी ‘जन आशीर्वाद’ यात्रा से पूरा राज्य घूम चुके हैं और जिन्होंने 75 से अधिक ‘आदित्य संसद’ (युवाओं के साथ दोतरफा संवाद) को संबोधित किया। 

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