Interview: दिल्ली में नई शराब नीति को वापस क्यों लिया गया? मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोपों पर क्या बोले संजय सिंह, पढ़ें पूरा इंटरव्यू

By शरद गुप्ता | Published: September 7, 2022 08:51 AM2022-09-07T08:51:08+5:302022-09-07T09:18:43+5:30

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने लोकमत मीडिया ग्रुप को दिए इंटरव्यू में मनीष सिसोदिया पर लग रहे आरोपों को लेकर कई सवालों के जवाब दिए। पढ़ें उनका पूरा इंटरव्यू...

Aap leader Sanjay Singh full Interview, reveals why new liquor policy withdrawn in Delhi | Interview: दिल्ली में नई शराब नीति को वापस क्यों लिया गया? मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोपों पर क्या बोले संजय सिंह, पढ़ें पूरा इंटरव्यू

घोटाले करने वाला आदमी डरता है, हम नहीं डरते: संजय सिंह

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार की शराब नीति सवालों के घेरे में है. शिक्षा और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच कर रही है. इन आरोपों पर लोकमत मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह से तीखे सवाल पूछे. प्रस्तुत हैं मुख्य अंश...

- मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई का केस कितना मजबूत है?

सीबीआई की एफआईआर में मनीष सिसोदिया का कोई जिक्र नहीं है. न ही भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों का कोई जिक्र है. न 144 करोड़ का, न 30 करोड़ का, न 1000 करोड़ का और न ही डेढ़ लाख करोड़ का. ये वो आंकड़े हैं जो भाजपा अलग-अलग मौकों पर इस मामले में उछालती रही है. पूरी दिल्ली का बजट 70000 करोड़ का है और भाजपा का आरोप है कि यह घोटाला डेढ़ लाख करोड़ का है. समझ सकते हैं कि भाजपा ने अपने को कितनी हास्यास्पद स्थिति में ला खड़ा किया है.

- इस मामले में चार मुख्य बातें आ रही हैं. 144 करोड़ रुपए का खजाने को नुकसान हुआ, शराब व्यापारियों को पैसा वापस कर दिया गया, ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को ठेका दिया गया और प्रतिबंधित इलाकों में दुकानें खोली गईं. इन पर आपका क्या कहना है?

इन आरोपों का कोई आधार नहीं है. पुरानी शराब नीति में 849 ठेके थे. नई नीति में एक भी दुकान नहीं बढ़ाई गई. तत्कालीन उपराज्यपाल द्वारा जताई गई आपत्तियों के कारण कुल 468 दुकान ही खोली जा सकीं. यानी पहले के मुकाबले 400 दुकानें कम खोली गईं. लेकिन फिर भी प्रचार ऐसा हो रहा है जैसे दिल्ली की गली-गली में शराब की दुकानें खुल गई हों.

- यानी आपकी सरकार ने कोई अनियमितता नहीं की?

दुष्प्रचार का कोई आधार नहीं होता. दिल्ली में 468 दुकानें खुलीं लेकिन पड़ोस के नोएडा में 525 शराब की दुकानें हैं, गोवा में 2200 शराब की दुकानें हैं और बेंगलुरु में 1700 ठेके हैं. यह सभी शहर भाजपा शासित राज्य में हैं और इन सब की आबादी दिल्ली से बहुत कम है.

- कम दुकानें खोलने से आपकी सरकार को क्या फर्क पड़ा?

हमारा राजस्व आधा भी नहीं रह गया. उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के राजस्व का 21 प्रतिशत आबकारी से आता है जबकि मध्य प्रदेश सरकार की 20.8 प्रतिशत आमदनी शराब की बिक्री से है. लेकिन दिल्ली सरकार के 70000 करोड़  के बजट का महज 6000 करोड़ यानी 9 प्रतिशत हिस्सा ही शराब की बिक्री से आता है. नई नीति ला कर हम इसे 9000 करोड़ तक ले जाना चाहते थे लेकिन भाजपा के अड़ंगों की वजह से बहुत नुकसान हुआ है.

- क्या आपकी सरकार ने शराब पीने की उम्र भी घटा दी है?

एक और झूठ है जो भाजपा प्रवक्ता सुबह-शाम फैला रहे हैं. आज भी दिल्ली में शराब पीने की वैध उम्र सीमा 25 वर्ष है जबकि पड़ोस के भाजपा शासित गुड़गांव और नोएडा में 21 वर्ष है.

- यदि आपकी नई नीति में कोई कमी नहीं थी तो आखिर उसे वापस क्यों ले लिया?

एकदम सही सवाल है. दरअसल नई नीति में भाजपा की आपत्तियों के कारण हम केवल 468 दुकानें ही खोल पाए. हमें राजस्व का नुकसान हो रहा था. इसीलिए हम पुरानी पॉलिसी लाए जिसमें 849 दुकानें खोलने का प्रावधान है.

- लेकिन ताजा सामने आए स्टिंग वीडियो में सीबीआई की एफआईआर में नामजद व्यक्ति के पिता पैसों के लेन-देन की बात कर रहे हैं?

क्या उन्होंने अरविंद केजरीवाल या मनीष सिसोदिया या आम आदमी पार्टी सरकार के किसी भी मंत्री का नाम लिया? ऐसे मैं कितने ही वीडियो बना और दिखा सकता हूं जिसमें लोग प्रधानमंत्री को पैसे देने की बात कर रहे हों. इन आरोपों का कोई आधार और सबूत भी तो होना चाहिए. हम तो कह रहे हैं कि जितनी जांच करनी है, कर लो कुछ भी नहीं मिलेगा. घोटाले करने वाला आदमी डरता है. हम नहीं डरते.

- लेकिन आप लोग बार-बार शिक्षा की उपलब्धियों, ऑपरेशन लोटस, विधायकों की खरीद-फरोख्त और विधानसभा के विशेष सत्र के जरिए उल्टे भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं. क्या यह ध्यान भटकाने के लिए नहीं है?

इन्होंने अरविंद केजरीवाल के दफ्तर पर छापा मारा, मनीष सिसोदिया के घर छापा मारा, शुंगलू कमेटी के जरिये हमें फंसाने की कोशिश की. हमारी 450 फाइलों की जांच केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं. कुछ नहीं निकला. इन्होंने हमारे 40 विधायकों के खिलाफ तरह-तरह के मुकदमे लगाए. अदालत से सभी खारिज हो गए. अब इनकी हालत भेड़िया आया वाली हो गई है. लेकिन हम यदि इनके बारे में सच भी बोलते हैं तो मीडिया उसे ध्यान भटकाने की कोशिश से करार देता है.

- आप दिल्ली में अपने खिलाफ लगे मुकदमों और छापा को राजनीतिक कार्रवाई करार दे रहे हैं लेकिन  पंजाब में आपकी सरकार भी राजनीतिक विरोधियों पर मुकदमा कायम कर रही है. क्या यह पाखंड नहीं है?

हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी पार्टी बनाई थी. हम किसी भी भ्रष्टाचारी को नहीं छोड़ेंगे. पंजाब में अभी तक भू माफिया के खिलाफ कार्रवाई कर हमने 6000 एकड़ जमीन मुक्त करा ली है. उन जमीनों पर अनधिकृत कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है चाहे वह किसी भी दल के हों. हमने तो बिना शिकायत अपने दो मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की है. क्या भाजपा ने अपने किसी भी नेता या मंत्री के खिलाफ आज तक भ्रष्टाचार के आरोपों में कार्रवाई की है?

- आपका इशारा किस ओर है?

मैं तो खुलकर कहता हूं असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के पानी घोटाले में भ्रष्टाचार के खिलाफ खुद भाजपा नेताओं ने एक बुकलेट निकाली थी जब वे कांग्रेस में थे. अब भाजपा उन्हीं का बचाव कर रही है. उनके खिलाफ सीबीआई और ईडी की जांच क्यों नहीं कराते? देवेंद्र फडणवीस जिन अजित पवार के लिए चक्की पीसिंग, चक्की पीसिंग बोलते नहीं थकते थे और सुबह 6 बजे उन्हीं के साथ सरकार बना रहे थे. जिस संजय राठौर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कराने के लिए देवेंद्र फडणवीस ने आसमान सिर पर उठा लिया था उन्हीं को अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया. क्या व्यापम में किसी को सजा हुई जिसमें अनेक लोगों ने आत्महत्या कर ली या येदियुरप्पा के भ्रष्टाचार में कोई जांच हुई? ईमानदारी का पाखंड इनका है. 

Web Title: Aap leader Sanjay Singh full Interview, reveals why new liquor policy withdrawn in Delhi

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे