5जी वायरलेस पर जूही चावला को झटका, हाईकोर्ट ने 20 लाख रुपये का हर्जाना लगाया
By सतीश कुमार सिंह | Published: June 4, 2021 06:00 PM2021-06-04T18:00:20+5:302021-06-04T20:53:16+5:30
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जूही चावला की याचिका खामियों और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाली है। इससे अदालत का समय खराब हुआ।
नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिनेत्री जूही चावला द्वारा 5जी वायरलेस नेटवर्क प्रौद्योगिकी को चुनौती देने के मुकदमे को खारिज कर दिया। अदालत ने जूही पर 20 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जूही चावला की याचिका खामियों और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाली है। इससे अदालत का समय खराब हुआ। यह मुकदमा सिर्फ प्रचार के लिए दायर किया गया। मुकदमा सिर्फ प्रचार के लिए दायर किया गया। जूही चावला ने सोशल मीडिया खाते पर सुनवाई का वेब लिंक साझा किया, जिससे अज्ञात लोगों ने सुनवाई में बाधा पैदा की है।
न्यायमूर्ति जे आर मिधा ने कहा कि वादियों - चावला और दो अन्य ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है और अदालत का समय बर्बाद किया है। अदालत ने कहा कि मुकदमा प्रचार पाने के लिए दायर किया गया था जो स्पष्ट है क्योंकि चावला ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर सुनवाई के वीडियो कॉन्फ्रेंस लिंक को साझा किया।
इसके परिणामस्वरूप अज्ञात व्यक्तियों द्वारा बार-बार व्यवधान उत्पन्न किया गया। अदालत ने अज्ञात लोगों के खिलाफ अवमानना नोटिस भी जारी किया और दिल्ली पुलिस से उनकी पहचान करने को कहा। आदेश सुनाए जाने के बाद चावला के वकील ने फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया।
उच्च न्यायालय ने 5जी तकनीक के खिलाफ जूही चावला के मुकदमे को ‘दोषपूर्ण’ बताया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में 5 जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ अभिनेत्री-पर्यावरणविद् जूही चावला के मुकदमे को बुधवार को ‘‘दोषपूर्ण’’ करार दिया और कहा कि यह ‘‘मीडिया प्रचार’’ के लिए दायर किया गया है। न्यायालय ने चावला के सरकार को प्रतिवेदन दिये बिना 5जी वायरलेस नेटवर्क तकनीक को चुनौती देने के लिए सीधे अदालत आने पर भी सवाल उठाये।
उच्च न्यायालय ने तकनीक से संबंधित अपनी चिंताओं के संबंध में सरकार को कोई प्रतिवेदन दिये बगैर, देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ जूही चावला के सीधे मुकदमा दायर करने पर सवाल उठाया।
न्यायमूर्ति जे आर मिधा ने कहा कि वादी चावला और दो अन्य लोगों को पहले अपने अधिकारों के लिए सरकार से संपर्क करने की आवश्यकता थी और यदि वहां इनकार किया जाता, तब उन्हें अदालत में आना चाहिए था। अदालत ने यह भी पूछा कि वाद में 33 पक्षों को क्यों जोड़ा गया और कहा कि कानून के तहत इसकी अनुमति नहीं है।
(इनपुट एजेंसी)