154 साल पहले आज ही के दिन तबाह हुआ था कोलकाता, देश के सबसे संपन्न शहर में गूंज रही थीं चीखें, जानिए क्यों

By जनार्दन पाण्डेय | Published: October 5, 2018 07:27 AM2018-10-05T07:27:54+5:302018-10-05T07:27:54+5:30

Today's History: इस घटना में 60,000 लोगों की जान गई थी। अन्य रिपोर्ट अनुसार इस महा-तबाही के बाद भी लोगों की मरने की संख्या कम नहीं हुई थी।

5 October 1864 Most of Calcutta destroyed by cyclone | 154 साल पहले आज ही के दिन तबाह हुआ था कोलकाता, देश के सबसे संपन्न शहर में गूंज रही थीं चीखें, जानिए क्यों

लंदन के अखबार में आपदा के बाद की प्रकाशित एक तस्वीर

आज 5 अक्टूबर, 2018 के ठीक 154 साल पहले यानी 5 अक्टूबर, 1864 को कोलकाता (तब कलकत्ता, देश का सबसे संपन्न शहर) तबाह हो गया था। हिन्दुस्तान के सबसे संपन्न शहर में चीख-पुकारें मच गई थीं। आपदा प्रबंधन विभाग की ‌एक रिपोर्ट के अनुसार उस पूरी आपदा में करीब 60,000 लोगों की जान गई थी। अन्य रिपोर्ट अनुसार इस महा-तबाही के बाद भी लोगों की मरने की संख्या कम नहीं हुई थी। काफी समय तक लोग मरते रहे थे।

इस यह तबाही थी हूगली नदी के रास्ते आंध्र प्रदेश के शहर मछलीपट्टनम से होते हुए कोलकाता पर आ गिरी थी। इसे 1864 के चक्रवर्ती तूफान के नाम से जानते हैं। बंगाल की खाड़ी में उठे इस तूफान ने 5 अक्टूबर, 1864 को सुबह 10 बजे से कोलकाता में घुसना शुरू किया था।

40 फ‌िट की ऊंची पानी की दीवार लेकर आया था तूफान

डेवस्टेटिंग डिजास्टर डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार यह तूफान पानी के करीब 40 फट ऊंची दीवार के रूप में कोलकाता में दाखिल हुआ था। जानलेवा पानी का ऐसा भयानक मंजर हिन्दुस्तान ने पहले कभी नहीं देखा था।

कुछ ‌पलों में तूफान पूरे शहर को जलमग्न कर दिया। ऐसा लगता था जेसे समुद्र ने किसी द्वीप को अपनी आगोश में समा लिया हो।

117 किलोमीटर प्रति घंटा से तेज थी रफ्तार

अलग-अलग देश तूफानों को मापने के अलग-अलग पैमाने मानते हैं। भारत में अगर 39 मील प्रति घंटे की चाल से कोई आंधी-पानी जैसी घटना आती है तो उसे आंधी में गिनते हैं। इसे कीलोमीटर प्रति घंटा में मांपे तो हमारे यहां करीब 63 किलोमीटर प्रति घंटे से आने वाली पानी से संबंधित आपदा को आंधी मानते हैं। इसके ऊपर को तूफान कहते हैं।

लेकिन कोलकाता में 1864 में आई आपदा 73 मील प्रति घंटे की रफ्तार से आई थी। यानी करीब 117 किलोमीटर प्रति घंटा की चाल से इस तूफान आतंक मचाया था। इसे साल 2004 में आई सुनामी से भी बड़े तूफान के तौर पर देखा जाता है।

कोलकाता को दोबारा खड़ा करने में अंग्रेजों की भूमिका

साल 1864 में भारत में अंग्रेजों का राज था। हालांकि 1857 की क्रांति ने अंग्रेजों को हिन्दुस्तानियों को लेकर कुछ पूर्वाग्रह दिए थे। लेकिन अंग्रेजी शासन का काफी काम कोलकाता से ही चलता था। इसल‌िए अंग्रेजी शासन तब शिप से सामान लाकर और भी कई तरीकों से हिन्दुस्तानियों को दोबारा कोलकाता को खड़ा करने में मदद की। 

इस उस घटना के रूप में भी याद किया जाता है जिसने हिन्दुस्तान को बंदरगाहों पर समुद्री तूफानों के लिए चेतावनी सिस्टम लगाने की सीख दे गया। क्योंकि उस वक्त कोलकाता के बंदरगाह पर ऐसा कोई सिस्टम नहीं था इसलिए शहर का बंदरगाह भी ध्वस्त हो गया। चूंकि कोलकता तब देश का अमीर शहर था, ऐसे में बंदरगाह समेत पूरे शहर का उजड़ना, देश को भयानक पीड़ा दे गया था। सबसे ज्यादा दुख पश्चिम बंगाल के भावनात्मक लोगों के लिए 60,000 से भी ज्यादा लोगों की मौतें थीं।

Web Title: 5 October 1864 Most of Calcutta destroyed by cyclone

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