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2021 : पुडुचेरी के लिए निर्वाचित सरकार के गिरने से नयी सरकार के बनने तक का सफर

By भाषा | Updated: December 26, 2021 11:00 IST

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पुडुचेरी, 26 दिसंबर कांग्रेस नीत गठबंधन सरकार का गिरना, थोड़े-से वक्त के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना, विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बढ़त, मुख्यमंत्री के तौर पर एन रंगासामी की वापसी और मूसलाधार बारिश- छोटे-से केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में 2021 की प्रमुख घटनाएं रहीं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पीडब्ल्यूडी मंत्री ए नम:शिवायम के नेतृत्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री वी नारायणसामी के मंत्रिमंडल में दलबदल के कारण इस साल 22 फरवरी को कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन सरकार ढह गयी और इसके तीन महीने बाद भाजपा ने केंद्र शासित प्रदेश में पहली चुनावी जीत हासिल की तथा एआईएनआरसी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सत्ता में आया।

नम:शिवायम ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के. लक्ष्मीनारायणन समेत तीन और लोगों के साथ अचानक इस्तीफा दे दिया, जिससे 25 जनवरी को राजनीतिक संकट पैदा हो गया। द्रमुक विधायक के. वेंकटेशन ने भी इस्तीफा दे दिया था।

गहराते राजनीतिक संकट के कारण उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने नारायणसामी को 22 फरवरी को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के निर्देश दिए। हालांकि, नारायणसामी ने बहुमत न होने के कारण पहले ही इस्तीफा दे दिया और इसके बाद पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।

छह अप्रैल को हुए विधानसभा चुनावों में एआईएनआरसी और भाजपा ने कुल 30 सीटों में से 16 पर जीत दर्ज की। कांग्रेस को महज दो सीटें ही मिल सकी जबकि द्रमुक और निर्दलीयों ने छह-छह सीटों पर जीत हासिल की।

राजग के लिए मंत्रिमंडल के गठन की राह इतनी आसान नहीं रही और मई की शुरुआत में अकेले शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री एन रंगासामी कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के कारण अस्पताल में भर्ती रहे। बाद में उनके और भाजपा के बीच खींचतान शुरू हुई क्योंकि भाजपा नम:शिवायम को उपमुख्यमंत्री बनाना चाहती थी। हालांकि रंगासामी अपने रुख पर अडिग रहे।

बाद में भाजपा को अध्यक्ष पद और मंत्रिमंडल में दो सीटें दी गयी और इस साल जून के अंत तक मंत्रिमंडल का गठन हो गया। भाजपा को केंद्र शासित प्रदेश से इकलौती राज्यसभा सीट भी दे दी गयी। संयोग से मंत्रिमंडल में 38 वर्षों के बाद किसी महिला को जगह दी गयी।

इस साल पुडुचेरी और करईकल क्षेत्रों में भारी बारिश होने से कई हिस्से जलमग्न हो गए। एक केंद्रीय दल ने नुकसान का आकलन करने के लिए प्रभावित इलाकों का दौरा किया और प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक आपदा से पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए 300 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत मांगी।

प्रदेश निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव कराने की असफल कोशिश की। पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जनजाति के लिए वार्डों का आरक्षण किए बिना चुनाव कराने के उसके कदम के खिलाफ याचिकाएं दायर की गयी।

केंद्र शासित प्रदेश के 2020 में कोविड-19 महामारी की गिरफ्त में रहने के बाद उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने टीकाकरण पर जागरूकता की बागडोर खुद संभाली और नागरिकों को टीके की खुराक लेने के लिए राजी करने के वास्ते वह घर-घर गयीं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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