'मजदूरों से नहीं राज्य सरकारों से लिया जा रहा 15% किराया', आलोचनाओं के बीच रेलवे ने दी सफाई

By स्वाति सिंह | Updated: May 4, 2020 11:49 IST2020-05-04T11:49:07+5:302020-05-04T11:49:07+5:30

रेल यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों से किराया वसूलने को लेकर चल रही राजनीती ने बीच रेलवे ने सफाई दी है। रेलवे ने साफ किया है कि उसने प्रवासी मजदूरों को कोई टिकट नहीं बेचा है।

'15% charging only standard to state governments not to laborers', the railway clarified amid criticism | 'मजदूरों से नहीं राज्य सरकारों से लिया जा रहा 15% किराया', आलोचनाओं के बीच रेलवे ने दी सफाई

रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के टिकट का किराया, 30 रुपए सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगा रही है।

Highlightsरेल यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों से किराया वसूलने के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष में राजनीति शुरू गई हैरेलवे ने सफाई देते हुए कहा कि उसने प्रवासी मजदूरों से कोई किराया नहीं वसूला है।

नई दिल्ली: रेल यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों से किराया वसूलने के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष में राजनीति शुरू गई है। इसी बीच सोमवार (4 मई)  को रेलवे ने सफाई देते हुए कहा कि उसने प्रवासी मजदूरों से कोई किराया नहीं वसूला है। रेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक रेलवे ने प्रवासी मजदूरों को कोई टिकट नहीं बेचा है। सूत्रों के मुताबिक रेलवे राज्य सरकारों से केवल मानक किराया वसूल रहा है, जो रेलवे की कुल लागत का महज 15% है। रेलवे ने केवल राज्यों द्वारा प्रदान की गई सूचियों के आधार पर यात्रियों को ट्रेनें में यात्रा की अनुमति दी है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक रेल मंत्रालय के सूत्रों के बताया है कि रेलवे ने देश के विभिन्न हिस्सों से अब तक 34 श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाई हैं और संकट के इस समय में विशेष रूप से गरीब से गरीब लोगों को सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा प्रदान करने की अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को पूरा कर रही है। बता दें कि रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के टिकट का किराया, 30 रुपए सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगा रही है।

कांग्रेस की प्रदेश इकाइयां प्रवासी मजदूरों के घर लौटने का खर्च वहन करेंगी: सोनिया गांधी 

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी श्रमिकों से रेलवे द्वारा किराया वसूले जाने पर दुख प्रकट करते हुए सोमवार को कहा कि अब इन मजदूरों के लौटने पर होने वाले खर्च का वहन पार्टी की प्रदेश इकाइयां करेंगी। उन्होंने यह सवाल भी किया कि जब रेल मंत्रालय ‘पीएम केयर्स’ कोष में 151 करोड़ रुपये का योगदान दे सकता है तो श्रमिकों को बिना किराये के यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकता। सोनिया ने एक बयान में कहा, ‘‘श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए।’

राहुल गांधी का रेलवे पर निशाना 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को ट्वीट किया, 'एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से किराया वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपये का चंदा दे रहा है। जरा ये गुत्थी सुलझाइए!'  वहीं, राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट  ने कहा, 'कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के चलते श्रमिक, मजदूर पहले से ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। लॉकडाउन के चलते लोगों की नौकरियां छिन गई है, उनके रोजगार समाप्त हो गये हैं और काम-धंधे ठप्प हो गये हैं। श्रमिकों, मजदूरों एवं कामगारों ने जो थोड़ी-बहुत बचत की थी, वर्तमान परिस्थिति के चलते वह भी राशन एवं रोजमर्रा की जरूरत की चीजों में खर्च हो चुकी है। इस दौरान उनकी कोई आमदनी भी रही नहीं है। ऐसे विपरीत हालातों में उन्हें अपने-अपने घरों तक पहुंचाने के लिए उनसे रेल किराया नहीं लिया जाना चाहिए जिससे वे अतिरिक्त आर्थिक बोझ से बच सके।' पायलट कहा है कि कोरोना महामारी के चलते श्रमिकों एवं मजदूरों को आर्थिक सम्बल देते हुए केन्द्र सरकार को चाहिए कि उनको अपने-अपने घरों तक पहुंचाने के लिए रेल किराया भारतीय रेल या पी।एम। केयर फण्ड द्वारा वहन किया जाये।

महाराष्ट्र CM ठाकरे ने मोदी सरकार से  किया अनुरोध 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र को भेजे गए एक पत्र में रविवार देर रात कहा कि राज्य के विभिन्न केंद्रों में 40 दिनों तक करीब पांच लाख प्रवासी कामगारों को खाना और रहने की जगह दी गई और अब उन्होंने मौजूदा हालात को देखते हुए अपने घर जाने की इच्छा व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने कहा, “इन लोगों के पास बीते कुछ हफ्तों से आय का कोई स्रोत नहीं है। इसलिये मानवीय आधार पर केंद्र को उनसे यात्रा का किराया नहीं लेना चाहिए।” उन्होंने कहा कि कई गैर सरकारी संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता आदि प्रवासी कामगारों की ट्रेन टिकटों का खर्च उठाने के लिये आगे आ रहे हैं। ठाकरे ने संबंधित प्रदेश अधिकारियों से भी कहा कि अगर केंद्र मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे शहरों से प्रवासी कामगारों को उनके घर भेजने के लिये ट्रेन चलाने का फैसला करता है तो उन्हें बड़े पैमाने पर प्रवासी कामगारों के समूहों को संभालने के लिये तैयार रहना होगा। महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने पहले ही रेल मंत्रालय से अनुरोध किया था कि वह प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने में आने वाले खर्च को वहन करे। 

राज्यों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का किराया वसूलने के लिए कहने पर नेताओं ने की रेलवे की आलोचना    

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘‘यदि आप कोविड-19 संकट के दौरान विदेश में फंसे हुए हैं तो यह सरकार आपको विमान से निशुल्क वापस लायेगी लेकिन यदि आप एक प्रवासी श्रमिक हैं और किसी अन्य राज्य में फंसे हैं तो आप यात्रा का किराया (सामाजिक दूरी की कीमत के साथ) चुकाने के लिए तैयार रहें। ‘पीएम केयर्स’ कहां गया? 

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्यों पर भार डालने के लिए केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों की जो स्थिति हुई है, वह केन्द्र द्वारा लॉकडाउन की अचानक घोषणा करने के कारण हुई है। येचुरी ने कहा, ‘‘यह बहुत ही अनुचित है कि पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी गई है। राज्यों के कारण यह समस्या खड़ी नहीं हुई है। संसद में सरकार ने कहा था कि विदेशों में फंसे हुए भारतीयों को स्वदेश वापस लाने की पूरी लागत वहन की जायेगी। इसी तरह प्रवासी श्रमिकों को भी वापस लाया जाना चाहिए।’’ 

यात्रा के लिए शुल्क लिये जाने के निर्णय की निंदा करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि आपदा के समय गरीबों का शोषण करना साहूकारों का काम है न कि सरकार का।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा सरकार द्वारा गरीबों, असहाय श्रमिकों से उन्हें ट्रेन से वापस भेजने के लिए पैसे लेने की खबरें शर्मनाक है। आज यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा, जो पूंजीपतियों का अरबों का कर्ज माफ कर देती है, वह अमीरों के साथ है और गरीबों के खिलाफ है । आपदा के समय साहूकारों का काम होता है शोषण करना न कि सरकार का।' कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने कहा कि उनकी पार्टी श्रमिकों के ट्रेन किराये के भुगतान के लिए राज्य सरकार को मदद उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। 

Web Title: '15% charging only standard to state governments not to laborers', the railway clarified amid criticism

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