हैदराबाद, छह जूनः तेलंगाना में कांग्रेस को उस समय बड़ा झटका लगा, जब उसके 18 में से 12 विधायकों ने गुरुवार को अपने समूह के सत्तारूढ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में विलय करने की मांग की। इसके कुछ ही घंटों बाद विधानसभा के स्पीकर ने इन विधायकों की मांग मानते हुए टीआरएस में उनके विलय को मान्यता दे दी। तेजी से हो रहे राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच स्पीकर पी श्रीनिवास रेड्डी ने 12 विधायकों के अनुरोध को मान लिया। उन्होंने इस तथ्य पर विचार करते हुए फैसला किया कि यह 12 विधायक कांग्रेस विधायक दल में शामिल कुल 18 विधायकों का दो-तिहाई हैं और दल-बदल निरोधक कानून के तहत विलय के लिए दो-तिहाई संख्याबल की जरूरत होती है।
गुरूवार की रात विधानसभा से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि 12 विधायकों को सदन में टीआरएस विधायक दल के सदस्यों के साथ सीटें आवंटित की गई हैं। स्पीकर का फैसला पलटे जाने तक विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी होने का दर्जा कांग्रेस से छिन जाएगा, क्योंकि अब उसके पास सिर्फ छह विधायक रह गए हैं। हैदराबाद से लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम के सात विधायक हैं जबकि भाजपा के पास सिर्फ एक विधायक है। तेलुगु देशम पार्टी के दो विधायक थे, लेकिन उनका एक विधायक भी टीआरएस में शामिल हो चुका है।
स्पीकर का फैसला ऐसे वक्त आया जब कांग्रेस ने टीआरएस पर अपने विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया और शुक्रवार को अदालत का रुख करने का ऐलान किया। स्पीकर के फैसले की निंदा करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस इसे चुनौती देने के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय का रुख करेगी। कांग्रेस को तेलंगाना में यह झटका ऐसे समय में लगा है जब लोकसभा चुनावों में लगातार दूसरी बार मिली करारी हार के बाद कई राज्यों में वह बैकफुट पर है।
इससे पहले, दिन में कांग्रेस के 12 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीनिवास रेड्डी से मुलाकात की और उन्हें इस संबंध में एक प्रतिवेदन दिया जब तंदूर से कांग्रेस विधायक रोहित रेड्डी पार्टी का साथ छोड़ने वाले 12वें विधायक बन गए। इससे दल-बदल करने वालों की संख्या प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के सदस्यों की संख्या का दो तिहाई हो गई। रोहित रेड्डी के गुरुवार को सत्तारूढ़ दल में शामिल होने से पहले मार्च की शुरुआत से कांग्रेस के 11 विधायक पाला बदलने की घोषणा कर चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उत्तर कुमार रेड्डी ने आरोप लगाया कि रोहित रेड्डी को टीआरएस के नेताओं ने धमकाया है। राज्य की 119 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या उस समय 18 रह गई थी जब पार्टी की तेलंगाना इकाई के प्रमुख उत्तम कुमार रेड्डी ने नलगोंडा से लोकसभा में चुने जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से बुधवार को इस्तीफा दे दिया था। विधायकों के दल-बदल करने के विरोध में कांग्रेस विधायक दल के नेता एम भट्टी विक्रमार्क के साथ विधानसभा परिसर में विरोध प्रदर्शन करने वाले उत्तम कुमार रेड्डी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह बिल्कुल अवैध है। केसीआर (टीआरएस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव) तेलंगाना के लोगों के जनादेश के साथ छल कर रहे हैं।’’
विधायक रोहित रेड्डी ने नाटकीय घटनाक्रम के तहत मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे और टीआरएस के कार्यवाहक अध्यक्ष के टी रामा राव से मुलाकात की और सत्तारूढ गठबंधन के प्रति अपनी वफादारी का संकल्प लिया। कांग्रेस के 11 विधायकों ने मार्च में घोषणा की थी कि वे टीआरएस में शामिल होंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक जी वेंकट रमन रेड्डी ने बताया कि 12 विधायकों ने राज्य के विकास के लिए मुख्यमंत्री के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है। रेड्डी ने बताया कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को एक प्रतिवेदन देकर टीआरएस में विलय का अनुरोध किया है। रेड्डी ने कहा, ‘‘कांग्रेस विधायक दल की हमारी एक विशेष बैठक हुई। इसके 12 सदस्यों ने मुख्यमंत्री केसीआर के नेतृत्व को समर्थन दिया और वे उनके साथ काम करना चाहते हैं। हमने अध्यक्ष को प्रतिवेदन दिया और उनसे टीआरएस के साथ हमारे विलय का अनुरोध किया।’’
राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि 12 विधायक कांग्रेस विधायक दल की संख्या का दो तिहाई है यानी उन पर दलबदल विरोधी कानून के प्रावधान लागू नहीं होंगे। यदि अध्यक्ष इन विधायकों का अनुरोध स्वीकार कर लेते हैं, तो कांग्रेस विपक्षी दल का दर्जा खो सकती है क्योंकि उसकी संख्या केवल छह रह जाएगी। विधानसभा के लिए पिछले साल दिसंबर में हुए चुनाव में टीआरएस ने 88 सीटें जीती थीं। टीआरएस के कदम को भांपते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता विक्रमार्क ने हाल में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की थी और उनसे विलय के मुद्दे पर कोई भी फैसला करने से पहले कांग्रेस को नोटिस जारी करने का अनुरोध किया था।
विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा, ‘‘लोगों ने उनके लिये---कांग्रेस के लिये मतदान किया। केसीआर का उन (कांग्रेस) विधायकों को खरीदना शर्मनाक है। तेलंगाना के लोग इस तरह की शर्मनाक गतिविधियों को स्वीकार नहीं करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप मुख्य विपक्षी पार्टी को (विधानसभा से) हटा नहीं सकते। बेहतर है कि आप (केसीआर) विधानसभा को अपने फार्महाउस में स्थानांतरित कर लें।’’ उन्होंने कहा कि बार-बार संपर्क करने का प्रयास करने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी से बातचीत नहीं हो सकी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इससे लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगे। हमने पहले ही (दल-बदल के मुद्दे पर)उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है।’’ विधानसभा मार्शलों ने उत्तम कुमार रेड्डी, विक्रमार्क और कई अन्य नेताओं को एहतियातन हिरासत में लिया और उन्हें विधानसभा परिसर के भीतर प्रदर्शन के लिये पुलिस को सौंप दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अलग से पुलिस ने विधानसभा के बाहर करीब 20 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पकड़ा।