प्रिंस आफ वेल्स के पटना दौरे के 100 वर्ष: स्वागत को बांकीपुर मैदान में आयोजित हुआ था दरबार

By भाषा | Updated: December 22, 2021 13:51 IST2021-12-22T13:51:48+5:302021-12-22T13:51:48+5:30

100 years of the visit of the Prince of Wales to Patna: The darbar was held at Bankipur ground to welcome | प्रिंस आफ वेल्स के पटना दौरे के 100 वर्ष: स्वागत को बांकीपुर मैदान में आयोजित हुआ था दरबार

प्रिंस आफ वेल्स के पटना दौरे के 100 वर्ष: स्वागत को बांकीपुर मैदान में आयोजित हुआ था दरबार

(कुणाल दत्त)

पटना, 22 दिसंबर ठीक 100 साल पहले आज के ही दिन, तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स भारत की अपनी शाही यात्रा के दौरान पटना आये थे और ऐतिहासिक बांकीपुर मैदान में आयोजित एक दरबार में उनका भव्य स्वागत किया गया था। स्वागत भाषण बिहार के आधुनिक प्रांत के वास्तुकारों में से एक सच्चिदानंद सिन्हा ने दिया था।

ब्रिटेन के राजकुमार एडवर्ड (बाद में राजा एडवर्ड अष्टम) की 22-23 दिसंबर, 1921 की शहर की पहली यात्रा, बिहार और उड़ीसा के नये प्रांत के गठन के लगभग 10 साल बाद हुई थी जिसकी राजधानी पटना थी। इसकी घोषणा 1911 के प्रतिष्ठित दिल्ली दरबार के दौरान उनके पिता और राजा जॉर्ज पंचम द्वारा की गई थी।

प्रकाशित संस्करणों और अभिलेखीय अभिलेखों में उपलब्ध उनके शाही यात्रा कार्यक्रम के अनुसार, राजकुमार ने नवंबर 1921 से मार्च 1922 तक पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की थी। वह 17 नवंबर को बम्बई (अब मुंबई) पहुंचे थे।

वह 22 दिसंबर, 1921 की सुबह नेपाल की तराई में संक्षिप्त प्रवास के बाद ट्रेन और विशेष स्टीमर से पटना पहुंचे थे। उनके एक घाट पर पहुंचने पर प्रांत के तत्कालीन कार्यवाहक गवर्नर हैविलैंड ली मेसुरियर ने उनका स्वागत किया था।

अभिलेखीय अभिलेखों के अनुसार, राजकुमार सुबह पटना में ‘कमिश्नर्स घाट’ पर उतरने के बाद, बांकीपुर मैदान (अब गांधी मैदान) में आयोजित एक भव्य स्वागत दरबार पहुंचे थे।

स्वागत कार्यक्रम के दौरान स्वागत कमेटी की ओर से स्वागत भाषण अपने समय के जानेमाने बैरिस्टर सच्चिदानंद सिन्हा ने पढ़ा था। सिन्हा को आधुनिक बिहार के वास्तुकारों में से एक माना जाता है।

स्वागत भाषण के अपने जवाब में प्रिंस ऑफ वेल्स ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि मैंने पटना का दौरा किया। हालांकि आपका प्रांत भारत का सबसे नवीनतम प्रांत है, पटना और राजगीर प्राचीन इतिहास, पुरानी सभ्यताओं और साम्राज्यों से जुड़े हैं।’’

अभिलेखीय अभिलेखों के अनुसार राजकुमार एडवर्ड ने अपने भाषण में लॉर्ड सत्येंद्र पी. सिन्हा की भी प्रशंसा की थी, जिन्हें लॉर्ड सिन्हा के नाम से जाना जाता है। उन्हें 1920 में बिहार और उड़ीसा प्रांत का गवर्नर नियुक्त किया गया था। वह ब्रिटिश शासन के दौरान उच्च पद संभालने वाले पहले भारतीय बने। अस्वस्थता के कारण, लॉर्ड सिन्हा ने अगले वर्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

22 अक्टूबर, 1921 के एक आधिकारिक पत्र के अनुसार, प्रिंस ऑफ वेल्स की यात्रा की व्यवस्था करने के लिए अग्रिम रूप से गठित कार्यकारी समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि राजकुमार की यात्रा के मौके पर ‘‘इस प्रांत के लोगों के लिए स्थायी उपयोगिता वाले किसी संस्था की नींव रखी जाए।’’

शुरु में दो सुझाव दिए गए थे: ‘‘पटना में एक मेडिकल कॉलेज की योजना को पूरा किया जाए’’ और दूसरा एकत्रित धन का इस्तेमाल ‘‘बिहार स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के दर्जे को एक कॉलेज तक बढ़ाने’’ पर किया जाए।

पत्र के अनुसार तत्कालीन बैंक ऑफ बंगाल की पटना शाखा में ‘‘द प्रिंस ऑफ वेल्स विजिट फंड’’ के नाम से एक खाता खोला गया था और अंशदान आमंत्रित किया गया था।

राजकुमार की यात्रा के चार साल बाद, बिहार और उड़ीसा के पहले मेडिकल कॉलेज की स्थापना 1925 में पटना में हुई थी और इसे प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज का नाम दिया गया था।

आजादी के कुछ दशकों बाद, इसका नाम बदलकर पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल कर दिया गया।

कॉलेज का पुराना नाम कॉलेज के प्रिंसिपल के कार्यालय के ठीक बाहर लगी एक विशाल संगमरमर पट्टिका पर अंकित है। हालांकि, इस धरोहर को खतरा है क्योंकि इसकी प्रतिष्ठित पुरानी इमारतों को बिहार सरकार की पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में कई चरणों में ध्वस्त करना प्रस्तावित है।

बांकीपुर में 96 साल पुराना कॉलेज उस मैदान से बहुत दूर नहीं है जहां ठीक एक सदी पहले दरबार आयोजित किया गया था। दरबार में आमंत्रित अतिथियों में पटना के किला हाउस के राय बहादुर राधा कृष्ण जालान भी शामिल थे।

उनके परपोते 44 वर्षीय आदित्य जालान ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हमारे अभिलेखागार में, हमारे पास मेरे परदादा को भागलपुर के एक व्यक्ति और अन्य स्थानों के व्यक्तियों द्वारा लिखे गए पत्र भी हैं जो पटना में दरबार में शामिल होने के लिए आ रहे थे। उन पत्रों में वे ठहरने की व्यवस्था करने के लिए उन्हें धन्यवाद दे रहे थे।

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