10 फीसदी आरक्षण का मकसद आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग का उत्थान करना है, केन्द्र ने न्यायालय से कहा

By भाषा | Published: July 31, 2019 07:57 PM2019-07-31T19:57:44+5:302019-07-31T19:57:44+5:30

अटार्नी जनरल दस फीसदी आरक्षण के प्रावधान संबंधी संविधान संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ के समक्ष दलील रख रहे थे।

10% reservation intended to uplift economically weaker section: Centre to SC | 10 फीसदी आरक्षण का मकसद आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग का उत्थान करना है, केन्द्र ने न्यायालय से कहा

अटार्नी जनरल ने कहा, ‘‘70 साल से अधिक समय बाद भी गरीबी यथावत है और आज भी करीब बीस करोड़ लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।’’

Highlightsपीठ ने टिप्पणी की कि गरीब लोगों को शासन से मदद की दरकार है, न कि संपन्न तबके को।उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में आरक्षण के मसले पर शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई है।

केन्द्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के मामले में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देने का मकसद उन करीब 20 करोड़ गरीब लोगों का उत्थान करना है जो आजादी के बाद से ही गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।

केन्द्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिये 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी संविधान (103वां संशोधन) कानून को न्यायोचित ठहराते हुये कहा कि किसी को भी यह कहने का अवसर नहीं मिलना चाहिए कि उनके उत्थान के लिये मदद का कोई हाथ आगे नहीं आया।

अटार्नी जनरल दस फीसदी आरक्षण के प्रावधान संबंधी संविधान संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ के समक्ष दलील रख रहे थे। पीठ ने इसके साथ ही संविधान (103वां संशोधन) कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपने के सवाल पर सुनवाई पूरी कर ली।

पीठ इस पर अपनी व्यवस्था बाद में देगी। इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि गरीब लोगों को शासन से मदद की दरकार है, न कि संपन्न तबके को।’’ पीठ ने स्पष्ट किया कि इन याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपने के सवाल पर निर्णय लेने के बाद ही 10 फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने संबंधी अंतरिम राहत के मुद्दे पर विचार किया जायेगा।

वेणुगोपाल ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है लेकिन यह सिर्फ ‘मिथ्या’ है क्योंकि तमिलनाडु में 68 प्रतिशत तक आरक्षण दिया गया है और सरकार के इस निर्णय को उच्च न्यायालय ने सही ठहराया है।

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में आरक्षण के मसले पर शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई है। अटार्नी जनरल ने कहा, ‘‘70 साल से अधिक समय बाद भी गरीबी यथावत है और आज भी करीब बीस करोड़ लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या एक भी ऐसा व्यक्ति है जो सामने आकर यह कहे कि आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े इन लोगों की मदद नहीं की जानी चाहिए?’’ उन्होंने कहा कि इसीलिए संसद ने इनके उत्थान के लिये पहल की। अंतरिम राहत के रूप में इस पर रोक लगाने के अनुरोध पर अटार्नी जनरल ने कहा कि यह संविधान संशोधन है और आमतौर पर न्यायालय इन पर रोक नहीं लगाता है।

वेणुगोपाल ने कहा कि यह संविधान संशोधन है। उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी और शोध के अनुसार राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के अलावा किसी भी अन्य संविधान संशोधन पर रोक नहीं लगाई गयी थी। शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून, 2014 को 16 अक्टूबर, 2015 को निरस्त कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिये आरक्षण संबंधी संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करते समय इस संशोधन कानून पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। 

Web Title: 10% reservation intended to uplift economically weaker section: Centre to SC

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