#KuchhPositiveKarteHain:हॉकी टीम का 'स्वर्णिम युग', आजादी से पहले ही दुनिया में बजाया था भारत का डंका, 28 साल अजेय रहते हुए जीते लगातार 6 ओलंपिक गोल्ड

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: July 18, 2018 12:01 IST2018-07-18T12:01:24+5:302018-07-18T12:01:24+5:30

Indian Hockey Team: भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से 1956 तक 28 सालों तक अजेय रहते हुए लगातार छह ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते थे

Indian Hockey Team unbelievable Story, who won six olympics gold medals in a row from 1928 to 1956 | #KuchhPositiveKarteHain:हॉकी टीम का 'स्वर्णिम युग', आजादी से पहले ही दुनिया में बजाया था भारत का डंका, 28 साल अजेय रहते हुए जीते लगातार 6 ओलंपिक गोल्ड

भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से 1956 तक जीते लगातार छह गोल्ड मेडल

आज भले ही भारत में लोग क्रिकेट के दीवाने हों लेकिन अतीत में हॉकी टीम की सफलता के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से लेकर 1956 तक लगातार छह ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते और इन 28 सालों तक कोई भी टीम भारत को एक भी मैच में नहीं हरा पाई थी और 1960 के रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने तक भारतीय टीम का ओलंपिक में रिकॉर्ड 30-0 था, जो दिखाता है कि उस दौर में दुनिया में भारतीय हॉकी का दबदबा किस कदर कायम था। 

उस दौर में भारतीय हॉकी का जादू पूरी दुनिया के सिर चढ़कर बोला। आज भले ही भारत को आखिरी बार ओलंपिक गोल्ड जीते 37 साल बीत चुके हों लेकिन एक दौर वो भी था जब भारतीय हॉकी टीम की आंधी को रोक पाना किसी के बस की बात नहीं थी। आइए एक नजर डालते हैं भारतीय हॉकी टीम के उसी गौरवशाली इतिहास पर।

1.1928 एम्सटडर्म ओलंपिकः भारतीय हॉकी टीम ने इस ओलंपिक में बिना कोई मैच गंवाए गोल्ड मेडल जीता। इस जीत में हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का अहम योगदान रहा। भारत ने ओलंपिक इतिहास के अपने पहले मैच में ऑस्ट्रिया को 6-0 से धोया, इसमें ध्यानचंद ने 3 गोल दागे, बेल्जियम को 9-0 से हराया, जिसमें ध्यानचंद ने 2 गोल दागे, डेनमार्क को 5-0 से रौंदा जिसमें ध्यानचंद का योगदान 3 गोलों का था। सेमीफाइनल में भारत ने ध्यानचंद के 4 गोलों की मदद से स्विट्जरलैंड को 6-0 से शिकस्त दी। फाइनल में भारत का मुकाबला मेजबान नीदरलैंड्स से हुआ और
 
2.1932 लॉस एंजिलिस ओलंपिकः इस ओलंपिक में ध्यानचंद और उनके भाई रूप सिंह का जादू चला और भारत ने 5 मैच जीतते हुए गोल्ड मेडल जीत लिया। इस ओलंपिक में कुल दो ही मैच खेले गए थे। पहले मैच में भारत ने जापान को 11-1 से मात दी, ध्यानचंद, रूप सिंह और गुरमीत सिंह ने 3-3 गोल दागे। फाइनल में भारत की भिड़ंत मेजबान अमेरिका से हुई और भारत ने ये मैच 24-1 के विशाल अंतर से जीतते हुए गोल्ड पर कब्जा जमाया। भारत के लिए फाइनल में ध्यानचंद ने 8, रूप सिंह ने 10 और गुरमीत सिंह 5 गोल दागे। इस ओलंपिक में भारत की तरफ से दागे गए 35 में से 25 गोल ध्यानचंद और उनके भाई रूप सिंह ने दागे थे।   

3.1936 बर्लिन ओलंपिकः इस ओलंपिक में ध्यानचंद भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे। भारत ने पहले मैच में हंगरी को 4-0 से हराया। अगले मैच में अमेरिका को 7-0 से (ध्यानचंद के 2 गोल), जापान को 9-0 से (ध्यानचंद के 4 गोल), सेमीफाइनल में फ्रांस को 10-0 से रौंदा (ध्यानचंद के 4 गोल) और फिर फाइनल में जर्मनी को 8-1 से मात देते हुए गोल्ड जीत लिया जिसमें ध्यानचंद ने 3 गोल दागे। 

4.1948 लंदन ओलंपिकः इस ओलंपिक में भारत के पास ध्यानचंद तो नहीं थे लेकिन लेस्ली क्लॉडियस और बलबीर सिंह सीनियर के जादुई प्रदर्शन के दम पर भारत ने बिना एक भी मैच गंवाए 5 मैच जीतते हुए लगातार तीसरा ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता। भारत ने ग्रुप मैचों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और स्पेन को मात दी और 3 मैचों में 19 गोल किए जबकि सिर्फ एक गोल खाया। सेमीफाइनल में भारत ने नीदरलैंड्स को 2-1 से हराया और फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से हराते हुए लगातार चौथा ओलंपिक गोल्ड जीत लिया।

5.1952 हेलसिंकी ओलंपिकः ओलंपिक में भारतीय हॉकी जादुई प्रदर्शन इस वर्ल्ड कप में भी बदस्तूर जारी रहा और भारत ने बलबीर सिंह सीनियर के बेहतरीन खेल की बदौलत अपना लगातार पांचवां ओलंपिक गोल्ड जीता। भारत ने इस ओलंपिक में तीन मैच जीतते हुए ये कारनामा किया। भारत ने ऑस्ट्रिया को 4-0, ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से मात देते हुए फाइनल में जगह बनाई और फिर फाइनल में नीदरलैंड्स को 6-1 से रौंदते हुए एक और गोल्ड मेडल जीत लिया। फाइनल में बलबीर सिंह ने भारत की जीत में रिकॉर्ड 5 गोल दागे।

6.1956 मेलबर्न ओलंपिकः भारत ने इस ओलंपिक गेम्स में उधम सिंह की बदौलत लगातार छठा गोल्ड मेडल जीता। भारत ने इस ओलंपिक में लगातार 5 मैच जीतते हुए गोल्ड पर कब्जा जमाया। भारत ने पहले मैच में अफगानिस्तान को 14-0 से, अमेरिका को 16-0 से और सिंगापुर को 6-0 से हराया। सेमीफाइनल में भारत ने जर्मनी को 1-0 से और फाइनल में चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 1-0 से हराते हुए लगातार छठा ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता।

7.1960 रोम ओलंपिकः इस ओलंपिक के फाइनल में पाकिस्तान के हाथों हार के साथ ही भारत का 28 सालों से ओलंपिक में अजेय रहने के सिलसिले का अंत हो गया। भारत ने अपने पहले मैच में डेनमार्क को 10-0 से, नीदरलैंड्स को 4-1 से और न्यूजीलैंड को 3-0 से हराया। सेमीफाइनल में भारत ने ग्रेट ब्रिटेन को 1-0 से हराते हुए फाइनल में जगह बनाई। लेकिन फाइनल में एक रोचक मुकाबले में पाकिस्तान ने भारत को 1-0 से हराते हुए उसका गोल्ड मेडल जीतने का सपना तोड़ दिया। ये भारत की 30 मैचों के बाद ओलंपिक में पहली हार थी।

8.1964 टोक्यो ओलंपिक: भारतीय हॉकी टीम ने इस ओलंपिक में अपना खोया हुआ रुतबा फिर से हासिल किया और 7 में से 5 मैच जीतते हुए सातवां ओलंपिक गोल्ड मेडल जीत लिया। भारत ने सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 3-1 से मात दी और फाइनल में पाकिस्तान को 1-0 से हराते हुए पिछले ओलंपिक की हार का बदला लेते हुए गोल्ड जीत लिया।

9.1968 से 1976 ओलंपिकः भारतीय हॉकी टीम इन तीन ओलंपिक खेलों में लगातार दो में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 1968 मैक्सिको ओलंपिक और 1972 के म्युनिख ओलंपिक में भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीता लेकिन 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक में वह सातवें नंबर पर रही।

10.1980 मॉस्को ओलंपिकः भारतीय हॉकी टीम ने इस ओलंपिक में 6 में से 4 मैच जीतते हुए 16 साल बाद गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। भारत ने फाइनल में स्पेन को 4-3 से हराते हुए अपना आठवां ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता।

1980 के मॉस्को ओलंपिक के बाद से 2016 के रियो ओलंपिक तक नौ ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम कोई मेडल नहीं जीत पाई, यहां तक कि 2008 के बीजिंग ओलंपिक के लिए तो वह क्वॉलिफाई तक नहीं कर पाई। 

लेकिन 1928 से 1956 के दौरान लगातार छह ओलंपिक में अपराजेय रहते हुए 6 गोल्ड मेडल जीतने के भारतीय हॉकी के स्वर्णिम दौर का कोई दूसरा उदाहरण मिलना मुश्किल है। न सिर्फ हॉकी बल्कि किसी भी खेल में दुनिया में कोई भी टीम वैसा दबदबा नहीं बना पाई जैसा भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से 1956 तक के दौर में बनाया।  

Web Title: Indian Hockey Team unbelievable Story, who won six olympics gold medals in a row from 1928 to 1956

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