Yoga Tips: कैसे करें अनुलोम-विलोम, क्या है प्राणायाम करने का सही तरीका, कैसे मिलता है शरीर को फायदा, जानिए यहां
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 12, 2024 07:31 AM2024-02-12T07:31:04+5:302024-02-12T16:37:33+5:30
योग में एक क्रिया है, जिसे हम अनुलोम-विलोम प्राणायाम कहते हैं। प्रतिदिन सुबह में इसके अभ्यास से मन शांत और तन निरोगी बना रहता है।
Anulom Vilom Yoga Benefits: योग मनुष्य के शरीर और मन को केंद्रीत करके उर्जा को जागृत करने का कार्य करता है। मनुष्य योग के जरिये शरीर और आत्मा के बीच आंतरिक सामंजस्य स्थापित करके खुद को तनाव मुक्त कर सकता है। भारतीय व्यायाम पद्धति में केवल योग ही नहीं अन्य क्रियाओं से भी शरीर को स्वस्थ्य रखते हैं लेकिन शरीर को निरोग रखने में योग को सबसे ज्यादा प्रमुखता दी जती है। यही कारण है कि हम जब भी शारीरिक व्यायम के विषय में चिंतन करते हैं तो योग का विचार हमारे मन में सर्वप्रथम आता है।
योग में एक क्रिया है, जिसे हम अनुलोम-विलोम प्राणायाम कहते हैं। प्रतिदिन सुबह में इसके अभ्यास से मन शांत और तन निरोगी बना रहता है। इसमें अनुलोम का मतलब सीधा और विलोम का मतलब उल्टा होता है। अनुलोम-विलोम में सीधे का अर्थ है दाहिनी नाक और उल्टे का अर्थ बाईं नाक से लिया जाता है। इसका सीधा अर्थ हुआ कि अनुलोम प्राणायाम में हम दाहिनी नाक से सांस शरीर के अंदर लेते हैं और कुछ देर के ठहराव के बाद शरीर के अंदर की सांस को बाईं नाक से बाहर निकाल देते हैं।
वहीं विलोम प्राणायाम में हम बाईं नाक से सांस को शरीर के अंदर लेते हैं और ठीक उसी प्रकार से प्रक्रिया को दोहराते हुए दाईं नाक से सांस को शरीर से बाहर निकाल देते हैं। अगर अनुलोम-विलोम का अभ्यास रोजाना सही तरीके से किया जाए तो इसके कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।
योग में अनुलोम-विलोम प्राणायाम को 'नाड़ीशोधक प्राणायाम' भी कहा जाता है। जिसका अर्थ है कि इसके रोजाना अभ्यास से मानव के शरीर की सभी नाड़ियों शुद्ध होती है। जिससे रक्त का प्रवाह अच्छा होता है और नाड़ी स्वस्थ रहती हैं। सुबह के समय अनुलोम-विलोम का अभ्यास करने से दिन की शुरुआत बेहतर होती है और शरीर पूरे दिन ऊर्जावान बना रहता है। इस योगासन को रोजाना करने से शरीर को कई फायदे भी मिलते हैं।
कैसे करें अनुलोम-विलोम प्राणायाम
इसके लिए सबसे पहले योग के आसन पर सीधे बैठना है फिर उसके बाद कुछ भी गहन ध्यान की मुद्रा में शरीर को ले जाना है। कुछ सेकंड के बाद दाहिनी नासिका को बंद करने के लिए दाहिने अंगूठे को नाक पर ले जाएं और फिर उस बंद करके बाईं नासिका से स्वांस को शरीर में भरें। कुथ समय तक स्थिर रहने के बाद अपनी दाहिनी नासिका से अंगूठा हटाएं और सांस को शरीर से बाहर निकाल दें।
उसके बाद वहीं क्रिया बाईं नाक से करें। बाईं नासिका को मध्यमा उंगली से बंद करें और अपनी दाहिनी नासिका से सांस को शरीर में भरें। कुछ समय स्थिर रहने के बाद बाईं नासिका छिद्र से अंगूठा हटाएं और सांस को शरीर से बाहर निकाल दें।
अनुलोम-विलोम में एक बात का ध्यान रखें कि इसमें सांस लेते समय एक नथुने को बंद करें और फिर सांस छोड़ते समय दूसरे नथुने को बंद करना शामिल है। रोजाना पांच से दस मिनट अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से शरीर ऊर्जावान होता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम से होने वाले लाभ
- अनुलोम-विलोम से तनाव और चिंता को दूर होती है
- बेहतर सांस लेने और परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है
- अनुलोम-विलोम आसन करने से मन में नकारात्मकता दूर हो जाती है
- इस प्राणायाम के अभ्यास से एकाग्रता, धैर्य, ध्यान, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है
- पूरे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है और पाचन तंत्र को ठीक करता है