World No Tobacco Day: भारत में हर साल तंबाकू से मरते हैं 1 करोड़ लोग, जानें कैसे सिगरेट नहीं पीने वालों को भी है मौत का खतरा

By उस्मान | Published: May 30, 2019 03:18 PM2019-05-30T15:18:34+5:302019-05-30T15:18:34+5:30

World No Tobacco Day: सिगरेट पीते हुए उसकी राख को एशट्रे में झाड़ना, खत्म होने पर सिगरेट के बट को एशट्रे में कुचल देना या बच्चों के आसपास सिगरेट ना पीना दरसअल सिगरेट के नुकसान को कुछ हद तक ही कम कर पाते हैं, पूरी तरह नहीं क्योंकि राख के कण, अधबुझी सिगरेट और धुएं का असर बहुत लंबे वक्त तक वातावरण को प्रभावित करते हैं।

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फोटो- पिक्साबे

World No Tobacco Day:  धूम्रपान न करने वाले लोग यह सोचकर संतोष कर सकते हैं कि वह भारत में तंबाकू का सेवन करने वाले करोड़ों लोगों में शामिल नहीं हैं, उन्हें यह बात भी तसल्ली दे सकती है कि वह धूम्रपान करने वालों के आसपास नहीं बैठते इसलिए परोक्ष रूप से धुएं के संपर्क में आकर हर साल जान गंवाने वाले लाखों पैसिव स्मोकर्स में भी शुमार नहीं हैं, लेकिन उन्हें यह बात परेशान कर सकती है कि वह थर्ड हैंड स्मोकिंग के खतरे में हो सकते हैं क्योंकि सिगरेट पीने के घंटों बाद भी वातावरण और सिगरेट के अवशेषों में 250 से ज्यादा घातक रसायन होते हैं।

सिगरेट की राख और बट भी है खतरनाक

आम तौर पर सिगरेट पीने वाले और धुएं के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों को धूम्रपान के दुष्प्रभाव का सामना करने वालों की श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन अब नुकसान का यह दायरा बढ़ गया है। इसमें एक तीसरी कड़ी जुड़ गई है और यह तीसरी श्रेणी है, ‘थर्ड हैंड स्मोकर्स’ की। थर्ड हैंड स्मोकिंग दरअसल सिगरेट के अवशेष हैं, जैसे बची राख, सिगरेट बट, और जिस जगह तंबाकू सेवन किया गया है, वहां के वातावरण में उपस्थित धुंए के रसायन। बंद कार, घर, आफिस का कमरा और वहां मौजूद फर्नीचर, आदि धूम्रपान के थर्ड हैंड स्मोकिंग एरिया बन जाते हैं।

सिगरेट पीते हुए उसकी राख को एशट्रे में झाड़ना, खत्म होने पर सिगरेट के बट को एशट्रे में कुचल देना या बच्चों के आसपास सिगरेट ना पीना दरसअल सिगरेट के नुकसान को कुछ हद तक ही कम कर पाते हैं, पूरी तरह नहीं क्योंकि राख के कण, अधबुझी सिगरेट और धुएं का असर बहुत लंबे वक्त तक वातावरण को प्रभावित करते हैं।

थर्ड हैंड स्मोकर्स का शिकार बन रहे हैं लोग

धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में सर्जिकल ओन्कोलॉजी निदेशक, डॉ अंशुमन कुमार थर्ड हैंड स्मोकिंग के बारे में जानकारी देते हुए कहते हैं, ‘‘तंबाकू के सेवन के विषय में अक्सर दो तरह के उपभोक्ता चर्चा में रहते हैं। एक तो वह लोग जो सीधे धूम्रपान करते हैं और दूसरे धुएं के संपर्क में आने वाले, जिन्हें पैसिव स्मोकर कहते हैं। तीसरी श्रेणी थर्ड हैंड स्मोकर्स की है जो सिगरेट के अवषेशों जैसे बची राख, सिगरेट बट, और जिस जगह तंबाकू सेवन किया गया है, वहां के वातावरण में उपस्थित धुएं के रसायन के संपर्क में आकर इसके शिकार बनते हैं।

स्मोकिंग से 90 प्रतिशत लोगों को फेफड़े के कैंसर

श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट में सीनियर कंसलटेंट, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, डॉ ज्ञानदीप मंगल बताते हैं कि एक मोटे अनुमान के अनुसार 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 30 प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर, 80 प्रतिशत ब्रोंकाइटिस, इन्फिसिमा एवं 20 से 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है।

भारत में जितनी तेज़ी से धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन किया जा रहा है उससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हर साल तंबाकू सेवन के कारण कितनी जानें खतरे में हैं। तंबाकू पीने का जितना नुकसान है उससे कहीं ज़्यादा नुकसान इसे चबाने से होता है।

भारत में तंबाकू से हर साल 1 करोड़ लोगों की मौत 

तंबाकू में कार्बन मोनोऑक्साइड, और टार जैसे जहरीले पदार्थ पाये जाते हैं और यह सभी पदार्थ जानलेवा हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों का 12 प्रतिशत भारत में है। देश में हर वर्ष एक करोड़ लोग तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा देते हैं।

किशोरों की बात करें तो 13 से 15 वर्ष के आयुवर्ग के 14.6 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। 30.2 प्रतिशत लोग इंडोर कार्यस्थल पर पैसिव स्मोकिंग के प्रभाव में आते हैं, 7.4 प्रतिशत रेस्टोरेंट में और 13 प्रतिशत लोग सार्वजनिक परिवहन के साधनों में धुएं के सीधे प्रभाव में आते हैं। धूम्रपान न करने वाले किशोरों की बात करें तो इनमें 36.6 प्रतिशत लोग सार्वजनिक स्थानों पर और 21.9 प्रतिशत लोग घरों में पैसिव स्मोकिंग के दायरे में आते हैं।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम

विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने वाले विषयों के प्रति जागरुकता अभियान चलाने में अग्रणी रहा है। दुनिया को तंबाकू से मुक्त करने के संकल्प के साथ सात अप्रैल 1988 को पहली बार डब्ल्यूएचओ की वर्षगांठ पर विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया। बाद में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई। इस वर्ष इसकी थीम ‘तंबाकू और लंग कैंसर’ है।

तंबाकू छोड़ देने के बाद भी कैंसर की आशंका

जेपी हास्पिटल, नोएडा में असिस्टेंट डायरेक्टर सर्जिकल आंकोलॉजी डा. आशीष गोयल का कहना है कि तंबाकू का असर केवल लंग कैंसर तक ही सीमित नहीं है। यह मुंह के कैंसर, खाने की नलीका प्रभावित होना और फेफड़ों के संक्रमण का कारण भी हो सकता है। इसके अलावा एक डराने वाला तथ्य यह भी है कि तंबाकू छोड़ देने के बाद भी कैंसर की आशंका बनी रहती है। इसलिए यह जरूरी है कि इसके दुष्प्रभावों से बचने या उन्हें कम करने के उपाय करने की बजाय सिगरेट और तंबाकू के इस्तेमाल की बुरी लत को छोड़ने के उपाय किए जाएं। 

English summary :
The World Health Organization has been a leader in promoting healthcare in the world and creating an awareness campaign against those who are at risk for health. World Anti-Tobacco Day was celebrated on the seventh anniversary of the 1988 WHO anniversary, with the determination to release the world from tobacco.


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