World Birth Defects Day 2024: विश्व जन्मजात विकार दिवस, 2024 की पूर्व संध्या पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शनिवार को जन्मजात विकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने और गर्भ में शिशु को होने वाली विसंगतियों को रोकने, उनका पता लगाने तथा उनके उपचार के लिए कार्यों में तेजी लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया मामलों की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजिद ने एक बयान में कहा, ‘‘हमें याद दिलाया जाता है कि हर यात्रा मायने रखती है और स्वास्थ्य की यात्रा वास्तव में जन्म से पहले शुरू होती है।’’ वाजिद ने कहा कि इस अवसर पर सदस्य देशों के क्षमता निर्माण के लिए तीन स्थितियों - श्रवण बाधा, नेत्र विसंगतियां और नवजात ‘हाइपरबिलिरुबिनीमिया’ की जांच के लिए एक क्षेत्रीय मार्गदर्शन दस्तावेज जारी किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि दुनियाभर में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत में जन्मजात विकार बड़ा कारण रहे हैं। वाजिद ने कहा कि 2000 से 2021 के बीच डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में बाल मृत्यु दर में जन्म विकार का योगदान चार फीसदी से बढ़कर 11 फीसदी हो गया और दुनियाभर में यह योगदान 4.6 फीसदी से बढ़कर आठ फीसदी हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे क्षेत्र में पांच साल तक की आयु के बच्चों में मौत की तीसरी आम वजह अब दुखद रूप से जन्मजात विकार है जो कुल वजहों का 11 फीसदी है। यह हर दिन पांच साल तक के 300 बच्चों की मौत के बराबर है।’’ जन्मजात विकारों का न केवल व्यक्तियों पर गहरा असर पड़ता है बल्कि इसका परिवारों, मित्रों, समुदाय और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर काफी बोझ पड़ता है।
डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि आनुवंशिकी किसी बीमारी के कारणों के अध्ययन में एक बड़ी भूमिका निभाती है लेकिन कई जन्मजात विकार पर्यावरणीय कारकों को हल करके रोके जा सकते हैं। इसमें प्रदूषकों के संपर्क में आना, जीवनशैली के विकल्प और सामाजिक-आर्थिक स्थितियां शामिल हैं जो गर्भवती महिलाओं और भ्रूण पर असर डालती है।
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व जन्मजात विकार दिवस 2024 पर डब्ल्यूएचओ इन स्थितियों को रोकने, उनका पता लगाने और प्रबंधित करने के लिए कार्यों में तेजी लाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है - जो महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य के लिए वैश्विक रणनीति के अनुरूप है।’’ विश्व जन्मजात विकार दिवस हर साल तीन मार्च को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2015 में हुई थी।