वैक्सीन कारगर पर कोविड-19 से निपटने के लिए क्यों पड़ रही है एक के बाद एक बूस्टर डोज की जरूरत? जानिए
By भाषा | Published: April 17, 2022 03:20 PM2022-04-17T15:20:23+5:302022-04-17T15:22:25+5:30
कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन पूरी दुनिया में दी जा रही है। साथ ही कई देशों में वैक्सीन की बूस्टर डोज भी दी जा रही है। आखिर क्यों बूस्टर डोज की बार-बार जरूरत है, जानिए
कोलंबिया: अमेरिका में संवेदनशील आबादी के लिए कोविड-19 रोधी एक और बूस्टर खुराक उपलब्ध होने के साथ ही अनेक लोग इस सोच में पड़ गए हैं कि अब आगे और क्या-क्या होने वाला है। अमेरिका में फिलहाल कोविड-19 के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे मॉडर्ना के टीके अस्पताल में भर्ती होने और मौत से बचाने के मामले में काफी सफल रहे हैं।
कॉमनवेल्थ फंड ने हाल में बताया था कि अकेले अमेरिका में टीकों ने 20 लाख से अधिक लोगों को मौत के मुंह में जाने और एक करोड़ 70 लाख से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती होने से बचा लिया।
हालांकि टीके लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा प्रदान करने और 'ब्रेकथ्रू' संक्रमण यानी टीकाकरण पूरा होने के बाद भी संक्रमित होने से रोकने में नाकाम रहे हैं। इसके चलते, रोग नियंत्रण एवं बचाव केंद्र ने हाल में 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों और कम प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों के लिए दूसरी बूस्टर खुराक की व्यवस्था की है।
इजराइल, ब्रिटेन और दक्षिण कोरिया समेत कई देशों में भी दूसरी बूस्टर खुराक को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि यह लगभग स्पष्ट हो चुका है कि दूसरी बूस्टर खुराक भी 'ब्रेकथ्रू' संक्रमण के खिलाफ लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा प्रदान नहीं कर पाएगी।
कोरोना के ब्रेकथ्रू संक्रमण से निपटने का रास्ता तलाशने की कोशिश
इसके परिणामस्वरूप मौजूदा टीकों को और अधिक प्रभावशाली बनाए जाने की जरूरत है ताकि लोगों की प्रतिरक्षा में इजाफा हो, जिससे महामारी को खत्म करने में मदद मिल सके। संक्रमण और अन्य खतरों के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का अध्ययन करने वाले प्रतिरक्षाविज्ञानी के रूप में, हम कोविड-19 के खिलाफ टीके की बूस्टर खुराक के जरिये मिलने वाली प्रतिरक्षा को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश कर रहे हैं। - दीर्घकालिक प्रतिरक्षा पैदा होना- यह एक तरह का रहस्य है कि मॉडर्ना के टीके कोविड-19 के गंभीर संक्रमण को रोकने में तो बेहद कारगर हैं लेकिन ब्रेकथ्रू संक्रमण का मुकाबला करने में बहुत प्रभावी नहीं हैं।
नए संक्रमण को रोकने और महामारी को नियंत्रित करने के लिए इस अवधारणा को समझना महत्वपूर्ण है। कोविड-19 संक्रमण इस मायने में अद्वितीय है कि अधिकतर लोग जो इसकी चपेट में आ रहे हैं, वे हल्के से मध्यम लक्षण दिखने के बाद ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ प्रतिशत लोग गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और उनकी मृत्यु हो सकती है।
यह समझना कि कोविड-19 के हल्के और गंभीर संक्रमण के दौरान हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करती है, अधिक कारगर टीके विकसित करने की प्रक्रिया के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब कोई व्यक्ति पहली बार सार्स-कोव-2 यानी कोविड-19 रोधी टीका लगवाता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली दो प्रमुख प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सक्रिय करती है, जिन्हें 'बी' और 'टी' कोशिकाएं कहा जाता है। 'बी' कोशिकाएं वाई-आकार के प्रोटीन अणु पैदा करती हैं, जिन्हें एंटीबॉडी कहा जाता है।
क्यों है बार-बार बूस्टर डोज की अभी जरूरत?
एंटीबॉडी वायरस की सतह पर उभरे हुए स्पाइक प्रोटीन के संपर्क में आते हैं। यह वायरस को कोशिका में प्रवेश करने से रोककर इसे संक्रमण पैदा करने से रोकता है। बूस्टर खुराक की जरूरत क्यों? 'बी' और 'टी' कोशिकाएं इस मायने में अद्वितीय हैं कि एक प्रारंभिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करने के बाद, वे स्मृति कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं। एंटीबॉडी के विपरीत, स्मृति कोशिकाएं कई दशकों तक किसी व्यक्ति के शरीर में रह सकती हैं और जब कोई संक्रमण शरीर में प्रवेश करता है, तो वे तेजी से प्रतिक्रिया दे सकती हैं।
ऐसी स्मृति कोशिकाओं के कारण ही चेचक जैसी बीमारियों के खिलाफ कुछ टीके दशकों तक सुरक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन हेपेटाइटिस जैसे कुछ टीकों के साथ, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए टीके की कई खुराक देना आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहली या दूसरी खुराक मजबूत एंटीबॉडी को प्रेरित करने या मेमोरी बी और टी सेल प्रतिक्रिया को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं होती। यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने और 'बी' एवं 'टी' कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है जो संक्रामक एजेंट से लड़ती हैं।
बूस्टर टीका स्मृति कोशिकाओं को भी बढ़ाता है, जिससे दोबारा संक्रमण होने की आशंका कम हो जाती है। लिहाजा कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि किसी भी अन्य संक्रमण की तरह कोविड-19 के खिलाफ भी मजबूत प्रतिरक्षा पैदा करने में समय लगता है। साथ ही यह भी तय नहीं होता कि कोई प्रतिरक्षा कितने समय तक कायम रह सकती है। इसके लिए मौजूदा टीकों को और प्रभावी बनाए जाने तथा कारगर बूस्टर टीके तैयार करने की आवश्यकता है, जिस पर पूरी दुनिया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ मंथन कर रहे हैं।