भारत में तंबाकू से संबंधित बीमारियों पर सालाना 1.77 लाख करोड़ रुपये खर्च, धूम्रपान से हर साल 13.5 लाख भारतीयों की मौत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 14, 2025 18:05 IST2025-09-14T18:04:14+5:302025-09-14T18:05:06+5:30

दिल्ली के बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पवन गुप्ता ने बताया कि ‘क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज’ (सीओपीडी) या हृदय संबंधी जोखिम वाले रोगियों के लिए सिगरेट से परहेज करना महत्वपूर्ण है।

Tobacco related diseases cost India Rs 1-77 lakh crore annually 13-5 lakh Indians die every year due smoking Experts advised use nicotine alternatives | भारत में तंबाकू से संबंधित बीमारियों पर सालाना 1.77 लाख करोड़ रुपये खर्च, धूम्रपान से हर साल 13.5 लाख भारतीयों की मौत

सांकेतिक फोटो

Highlightsधूम्रपान की तुलना में काफी कम जोखिम होता है।इस प्रमाण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।धूम्रपान की तुलना में 95 प्रतिशत तक कम हानिकारक हैं।

नई दिल्लीः तंबाकू से हर साल 13.5 लाख भारतीयों की मौत होती है लेकिन व्यापक जागरूकता के बावजूद धूम्रपान छोड़ने की दर बहुत कम है। भारत में तंबाकू से संबंधित बीमारियों पर सालाना 1.77 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च पर स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों ने धूम्रपान-मुक्त निकोटीन विकल्पों के उपयोग सहित नयी व विज्ञान-समर्थित हानि न्यूनीकरण रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया। दिल्ली के बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पवन गुप्ता ने बताया कि ‘क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज’ (सीओपीडी) या हृदय संबंधी जोखिम वाले रोगियों के लिए सिगरेट से परहेज करना महत्वपूर्ण है।

गुप्ता ने कहा, “रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन (ब्रिटेन) की समीक्षा सहित वैज्ञानिक समीक्षाएं दर्शाती हैं कि निकोटीन युक्त गोलियां या फिर तंबाकू को जलाए बिना निकोटीन प्रदान करने वाले विकल्पों में धूम्रपान की तुलना में काफी कम जोखिम होता है। इस प्रमाण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”

‘पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड’ नामक संस्था ने अनुमान लगाया कि धुआं-मुक्त निकोटीन विकल्प धूम्रपान की तुलना में 95 प्रतिशत तक कम हानिकारक हैं। विश्व स्तर पर निकोटीन पाउच सिगरेट के विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं। ये उत्पाद अब स्वीडन, नॉर्वे, अमेरिका और डेनमार्क सहित 34 देशों में उपलब्ध हैं।

एम्स-सीएपीएफआईएमएस केंद्र के फिजियोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनैना सोनी ने कहा, “भारत में धूम्रपान छोड़ने के पारंपरिक तरीकों को अक्सर सीमित सफलता मिलती है। सुरक्षित, तंबाकू-मुक्त निकोटीन विकल्प को अगर सख्ती से नियंत्रित किया जाए तो धूम्रपान करने वालों को सिगरेट छोड़ने में मदद मिल सकती है।”

उन्होंने कहा, “न धुआं, न टार, न जलाना, यही सबसे बड़ा अंतर है। विज्ञान कहता है और अब समय आ गया है कि हम सुरक्षित निकोटीन पर विचार करें।” सोनी ने बताया कि निकोटीन पाउच जोखिम-मुक्त नहीं हैं लेकिन जब इन्हें धूम्रपान के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, तो ये विश्व स्वास्थ्य संगठन के एनसीडी वैश्विक लक्ष्य के तहत 2025 तक तंबाकू के उपयोग को 30 प्रतिशत तक कम करने के भारत के घोषित लक्ष्य की ओर बढ़ने में एक सार्थक भूमिका निभा सकते हैं।

भारत में तंबाकू के इस्तेमाल की दर बहुत ज्यादा है और हर दस में से एक भारतीय की तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण असमय मौत हो जाती है। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, भारत में धूम्रपान छोड़ने की दर कम बनी हुई है और केवल लगभग सात प्रतिशत धूम्रपान करने वाले ही बिना किसी सहायता के सफलतापूर्वक धूम्रपान छोड़ पाते हैं।

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