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सामाजिक दबावों के बीच पुरुष 'अकेलेपन की महामारी' का खामियाजा भुगत रहे हैं, जानिए इसके दुष्परिणाम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 23, 2024 17:24 IST

पुरुषों के लिए सामाजिक दायरे में आने वाले उनके सहकर्मी, परिवार, बचपन के करीबी दोस्त, अक्सर महिलाओं की तुलना में कम ही उपलब्ध होते हैं, इसलिए ‘अकेलेपन की महामारी’ पुरुषों पर असमान रूप से प्रभाव डालती है।

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ठळक मुद्देभावनात्मक दर्द गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ हैपुरुषों की भावनाओं और कमजोरियों की अभिव्यक्ति के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया अक्सर कमतर होती हैअकेलापन नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों से जुड़ा है

The epidemic of loneliness among men: जस्टिन बीबर और उनकी पत्नी हैली ने मई 2024 में घोषणा की थी कि वे बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं, उससे कुछ हफ्ते पहले पॉप आइकन ने एक सेल्फी सोशल मीडिया पर साझा की थी जिसमें उनकी आंखों में आंसू थे और वह परेशान दिखाई दे रहे थे। मीडिया का ध्यान तुरंत ही हैली की गर्भावस्था की ओर चला गया जबकि एक पुरुष सेलिब्रिटी और भावी पिता द्वारा सार्वजनिक रूप से अपनी कमजोरी साझा करने के महत्व पर बहुत कम ध्यान दिया गया। फिर भी, बीबर का सोशल मीडिया पोस्ट उनके आंतरिक संघर्ष को उजागर करने के लिए काफी है। भावनात्मक दर्द गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है। लेकिन, पुरुषों की भावनाओं और कमजोरियों की अभिव्यक्ति के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया अक्सर कमतर होती है, भले ही उन्हें पूरी तरह खारिज नहीं किया जाता हो।

उदाहरण के लिए, बीबर के आंसू भरे पोस्ट के जवाब में, हैली ने उन्हें ‘काफी रोने वाला’ बताया। एक साल पहले, कनाडाई रैप गायक डैक्स ने ‘टू बी ए मैन’ गाना रिलीज किया था। उस समय उन्होंने कहा था, ‘यह एक ऐसा गाना है जिसमें मैंने अपने दिल की भावनाएं पेश की हैं। मैं प्रार्थना कर रहा हूं कि यह उन सभी तक पहुंचे जिन्हें इसकी जरूरत है।’ आज, इस गाने का संदेश समय के अनुकूल है। 

इस गाने का भाव कुछ इस तरह है : 

हां, मुझे पता है कि यह जिंदगी आपको वाकई हरा सकती है, तुम चीखना चाहते हो लेकिन तुम आवाज नहीं निकाल पाओगे, इतना वजन है कि तुम उसे थामे हुए हो लेकिन एक पुरुष के तौर पर कोई भावना नहीं दिखा पाओगे, जो अनकही रह जाएगी। 

पितृत्व और परिवार में पुरुषों की भूमिका का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं के रूप में, हम इन गीतों में छिपे अकेलेपन और दर्द को पहचान सकते हैं। हमने पिताओं को अपनी भावनाओं को दबाने के प्रयासों के दुष्परिणामों के बारे में बताते सुना है। हाल ही में हमने 75 नए और भावी पिताओं पर एक अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत और सामूहिक आघात से निपटने की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने कहा कि इससे अंततः उनके परिवारों को सहायता मिलेगी। लेकिन, नए और भावी पिताओं का कहना है कि पुरुषों को उनके मानसिक स्वास्थ्य में मदद करने के लिए संसाधन अक्सर अनुपलब्ध या बहुत सीमित होते हैं। 

शोध में शामिल एक प्रतिभागी ने कहा,  ‘एक पिता और एक पुरुष होने के नाते, आपको माहौल खुशनुमा रखना है और बाहर से खुद को मजबूत दिखाना है। लेकिन, अंदरुनी तौर पर आप कुछ अलग ही महसूस कर रहे होते हैं।’ हमारा शोध एक स्थायी सामाजिक स्वास्थ्य चुनौती को दर्शाता है, वह चुप्पी जो आमतौर पर पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य के इर्द-गिर्द रहती है। पुरुषों पर अकेलेपन का असर मई 2023 में, अमेरिकी सर्जन डॉ. विवेक मूर्ति ने एक सलाह जारी की, जिसमें उन्होंने देश में  ‘अकेलेपन और अलगाव को एक महामारी’ के रूप में वर्णित किया।

हमारा शोध इस संकट की पुष्टि करता है। चूंकि पुरुषों के लिए सामाजिक दायरे में आने वाले उनके सहकर्मी, परिवार, बचपन के करीबी दोस्त, अक्सर महिलाओं की तुलना में कम ही उपलब्ध होते हैं, इसलिए  ‘अकेलेपन की महामारी’ पुरुषों पर असमान रूप से प्रभाव डालती है। इसके परिणामस्वरूप अकेलेपन के बहुत वास्तविक स्वास्थ्य परिणाम होते हैं। 

मूर्ति की रिपोर्ट में, अकेलापन नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों से जुड़ा है, जिसमें ‘हृदय रोग का जोखिम 29 प्रतिशत बढ़ जाता है, स्ट्रोक का खतरा 32 प्रतिशत बढ़ जाता है और वृद्धों के लिए मनोभ्रंश विकसित होने का खतरा 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने और अकेलेपन के कारण समय से पहले मृत्यु का जोखिम 60 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाता है।’ 

डॉ. विवेक मूर्ति की रिपोर्ट पुरुषों और महिलाओं दोनों पर केंद्रित है, लेकिन शोध से पता चलता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का सहारा लेने की संभावना कम रहती है। इसके अतिरिक्त, पुरुषों में मदद लेने के प्रति अधिक नकारात्मक दृष्टिकोण होता है, और वे महिलाओं की तुलना में अधिक बार समय से पहले उपचार समाप्त कर देते हैं। 

(यह लेख द कन्वरसेशन के लिए एल्विन थॉमस, एसोसिएट प्रोफेसर, फिलिस नॉर्थवे फैकल्टी फेलो, विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय; क्विन किन्जर, स्नातक छात्र एवं पीएचडी उम्मीदवार, उपभोक्ता विज्ञान विभाग, विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय, ने लिखा है।)

इनपुट-भाषा

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