भारत में निमोनिया से हर घंटे मरते हैं 18 बच्चे, इस बीमारी को जड़ से खत्म कर सकती हैं ये 4 चीजें

By उस्मान | Published: November 15, 2019 07:23 AM2019-11-15T07:23:48+5:302020-03-13T11:17:06+5:30

निमोनिया से 2018 में पांच साल से कम आयु के 1,27,000 बच्चों की मौत हुई। इसका मतलब है कि देश में 2018 में हर घंटे पांच साल से कम उम्र के 14 से अधिक बच्चों की मौत निमोनिया से हुई। 

pneumonia statistics Indian 2019 : early signs and symptoms of pneumonia, causes, risk factors, prevention tips and home remedies | भारत में निमोनिया से हर घंटे मरते हैं 18 बच्चे, इस बीमारी को जड़ से खत्म कर सकती हैं ये 4 चीजें

भारत में निमोनिया से हर घंटे मरते हैं 18 बच्चे, इस बीमारी को जड़ से खत्म कर सकती हैं ये 4 चीजें

निमोनिया एक ऐसी बीमारी है, जो छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। निमोनिया के प्रमुख दो लक्षण हैं, पहला खांसी और दूसरा सांस चलना। निमोनिया होने पर पहले हल्का सर्दी-जुकाम और फिर तेज बुखार भी होता है। निमोनिया फेफड़ों में असाधारण तौर पर सूजन आने के कारण होता है।

इसमें फेफड़ों में पानी भी भर जाता है। निमोनिया ज्यादातर बैक्टीरिया, वायरस या फंगल के हमले से होता है। मौसम बदलने, सर्दी लगने, फेफड़ों पर चोट लगने के अलावा खसरा और चिकनपॉक्स जैसी बीमारियों के बाद भी इसकी आशंका बढ़ जाती है। 

हाल ही में निमोनिया को लेकर एक हैरान करने वाली रिपोर्ट आई है। 'सेव द चिल्ड्रन', यूनीसेफ और 'एवरी बर्थ काउंट्स' द्वारा किये गये अध्ययन 'भारत में सांस लेने की लड़ाई' में कहा गया है कि निमोनिया से 2018 में पांच साल से कम आयु के 1,27,000 बच्चों की मौत हुई। इसका मतलब है कि देश में 2018 में हर घंटे पांच साल से कम उम्र के 14 से अधिक बच्चों की मौत निमोनिया से हुई। 

कुपोषण और प्रदूषण है निमोनिया के प्रमुख कारण

'सेव द चिल्ड्रन' के स्वास्थ्य एवं पोषण के उप निदेशक डा.राजेश खन्ना ने कहा कि भारत में, निमोनिया के कारण हर चार मिनट में पांच साल से कम आयु के एक बच्चे की मौत हो जाती है और इसके लिए कुपोषण और प्रदूषण दो प्रमुख कारक जिम्मेदार हैं। इसमें अधिक बच्चों की मौतों से जुड़ा कारण कुपोषण है। इन मौतों के लिए 22 प्रतिशत भीतरी वायु प्रदूषण और 27 प्रतिशत बाहरी वायु प्रदूषण जिम्मेदार है।' 

दुनिया में निमोनिया से रोजाना 2 हजार बच्चों की मौत

निमोनिया बच्चों की मौतों के लिए दुनिया की प्रमुख संक्रामक बीमारी बनकर सामने आया है जिससे हर साल पांच साल से कम आयु के आठ लाख से अधिक बच्चों की मौत हो जाती है। प्रतिदिन के हिसाब से यह संख्या दो हजार से अधिक है।

निमोनिया के लक्षण

निमोनिया के लक्षणों में तेज सांस लेना, कफ और खांसी, होंठों और नाखुन का रंग पीला पड़ना, उल्टी आना, सीने और पेट में दर्द होना शामिल हैं।

निमोनिया से राहत पाने के घरेलू उपचार

1) हल्दी और लौंग
हल्दी में मौजूद एंटीबायोटिक गुण शरीर को कई बीमारियों से दूर रखते हैं। निमोनिया होने पर थोड़ी-सी हल्दी को गुनगुने पानी में मिलाएं और इसे छाती पर लगाने से राहत मिलती है। एक गिलास पानी में 5-6 लौंग, काली मिर्च और 1 ग्राम सोडा डालकर उबाल लें। अब इस मिश्रण को दिन में 1-2 बार लेने से फायदा होता है।

2) लहसुन का पेस्ट
इसके लिए लहसुन की कुछ कलियों को मसलकर उसका पेस्ट बना लें और रात को सोने से पहले बच्चे की छाती पर लगा दें जिससे शरीर को गर्माहट मिलेगी और कफ बाहर निकलेगा।

3) लहसुन का पानी
लहसुन कुदरती रूप से बैक्‍टीरिया से लड़ने की क्षमता रखता है। यह वायरस और फंगस से भी शरीर की रक्षा करता है। लहसुन में शरीर का तापमान कम करने और छाती व फेफड़ों में जमा बलगम को बाहर निकालने की क्षमता होती है। लहसुन का गर्म का दिन में तीन-चार बार, दो से तीन चम्‍मच सेवन करने से निमोनिया में आराम मिलता है। 

4) लाल मिर्च
लाल मिर्च में कैप्‍स‍ासिन होता है जो श्‍वसन मार्ग से बलगम को हटाने में मदद करता है। लाल मिर्च बीटा-कोरटेन का भी अच्‍छा स्रोत होती है, जो कफ की झिल्‍ली को सुरक्षित रखता है। करीब 250 मिली पानी में थोड़ी सी लाल मिर्च और थोड़ा सा नींबू का रस मिलाकर दिन में कुछ बार इसका सेवन करें।

निमोनिया से ऐसे बच सकती है बच्चों की जान

रिपोर्ट के अनुसार इनमें से एक तिहाई यानी 40 लाख से अधिक मौतें टीकाकरण, उपचार और पोषण की दरों में सुधार के ठोस कदम से आसानी से टाली जा सकती हैं। दुनियाभर में यह बच्चों के लिए सबसे बड़ी जानलेवा संक्रामक बीमारी है। मलेरिया, दस्त एवं खसरा को मिलाकर जितनी मौतों होती हैं, उससे कहीं ज्यादा अकेले इस बीमारी से मौतें होती हैं।

Web Title: pneumonia statistics Indian 2019 : early signs and symptoms of pneumonia, causes, risk factors, prevention tips and home remedies

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