तो हर साल बच सकती हैं 1.5 करोड़ जानें?, क्या आप सभी हैं तैयार, हमें करना होगा ये काम, लांसेट रिपोर्ट में अहम खुलासा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 3, 2025 13:49 IST2025-10-03T13:48:41+5:302025-10-03T13:49:43+5:30

मानव स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, लोगों के कामकाज और जीवनयापन की परिस्थितियों में आहार की भूमिका पर वैज्ञानिक आंकड़ों का अध्ययन किया है।

people worldwide adopted healthy, predominantly plant-based diet approximately 15 million deaths prevented each year agricultural emissions reduced up 15 percent Lancet | तो हर साल बच सकती हैं 1.5 करोड़ जानें?, क्या आप सभी हैं तैयार, हमें करना होगा ये काम, लांसेट रिपोर्ट में अहम खुलासा

सांकेतिक फोटो

Highlightsस्वच्छ ऊर्जा अपनाने के बावजूद जलवायु संकट के सबसे बुरे प्रभावों से बचना असंभव होगा।जलवायु, जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा सभी मोर्चों पर विफल रहेंगे।अनाज, फल, सब्जियां, मेवे और दालें प्रमुख हों और मांस का सेवन हफ्ते में एक बार तक सीमित हो।

शिकागोः अगर पूरी दुनिया के लोग स्वस्थ और मुख्यतः पौधों से मिलने वाले आहार अपनाएं तो हर साल लगभग 1.5 करोड़ मौतों को रोका जा सकता है और कृषि से होने वाले उत्सर्जन में 15 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है। ईएटी-लांसेट कमीशन की ताजा रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।

कमीशन ने मानव स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, लोगों के कामकाज और जीवनयापन की परिस्थितियों में आहार की भूमिका पर वैज्ञानिक आंकड़ों का अध्ययन किया है। रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि यदि मौजूदा अस्थिर खाद्य प्रणाली को नहीं बदला गया, तो स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के बावजूद जलवायु संकट के सबसे बुरे प्रभावों से बचना असंभव होगा।

अध्ययन के सह-लेखक और पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के निदेशक जोहान रॉकस्ट्रॉम ने कहा, ‘‘यदि हम मौजूदा अस्थिर खाद्य प्रणाली को नहीं बदलते हैं, तो हम जलवायु, जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा सभी मोर्चों पर विफल रहेंगे।’’ कमीशन ने 2019 की पहली रिपोर्ट में ‘प्लैनेटरी हेल्थ डाइट’ का सुझाव दिया था,

जिसमें अनाज, फल, सब्जियां, मेवे और दालें प्रमुख हों और मांस का सेवन हफ्ते में एक बार तक सीमित हो। नया अध्ययन भी यही बताता है कि संतुलित आहार से न केवल स्वास्थ्य बेहतर होगा बल्कि वैश्विक तापमान वृद्धि को भी रोका जा सकेगा। रिपोर्ट के अनुसार, आहार प्रणाली केवल जलवायु ही नहीं बल्कि जैव विविधता, भूमि उपयोग, जल गुणवत्ता और प्रदूषण पर भी गहरा प्रभाव डालती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अमीर और मध्यम आय वर्ग के देश गोमांस व भेड़ के मांस का सेवन हफ्ते में एक बार तक सीमित कर लें, तो उत्सर्जन रूस के वार्षिक स्तर के बराबर घटाया जा सकता है। साथ ही, रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया की लगभग आधी आबादी पर्याप्त भोजन व स्वस्थ पर्यावरण से वंचित है। आने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि वैश्विक नेता अपनी राष्ट्रीय नीतियों में खाद्य प्रणाली सुधार को शामिल करेंगे।

Web Title: people worldwide adopted healthy, predominantly plant-based diet approximately 15 million deaths prevented each year agricultural emissions reduced up 15 percent Lancet

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