भारत में लोगों ने 2024 में 20 दिन लू का सामना किया, द लांसेट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 29, 2025 15:12 IST2025-10-29T15:11:50+5:302025-10-29T15:12:04+5:30

भारत में लोगों ने 2024 में औसतन लगभग 20 दिन लू का सामना किया, जिनमें से लगभग छह दिन जलवायु परिवर्तन के कारण गर्म हवा चली। ‘द लांसेट’ पत्रिका ने एक नयी वैश्विक रिपोर्ट में यह कहा है।

People in India could face 20 days of heatwaves in 2024, The Lancet | भारत में लोगों ने 2024 में 20 दिन लू का सामना किया, द लांसेट

भारत में लोगों ने 2024 में 20 दिन लू का सामना किया, द लांसेट

Highlightsभारत में लोगों ने 2024 में 20 दिन लू का सामना किया, द लांसेट

भारत में लोगों ने 2024 में औसतन लगभग 20 दिन लू का सामना किया, जिनमें से लगभग छह दिन जलवायु परिवर्तन के कारण गर्म हवा चली। ‘द लांसेट’ पत्रिका ने एक नयी वैश्विक रिपोर्ट में यह कहा है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2024 में अत्यधिक गर्मी के कारण 247 अरब घंटों के संभावित श्रम का नुकसान हुआ जो प्रति व्यक्ति करीब 420 घंटे का रिकॉर्ड स्तर है। यह 1990-1999 की तुलना में 124 प्रतिशत अधिक है। ‘द लांसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज 2025 रिपोर्ट’ के अनुसार, पिछले साल इन नुकसानों में कृषि क्षेत्र में 66 प्रतिशत और निर्माण क्षेत्र में 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक गर्मी के कारण श्रम क्षमता में कमी से 2024 में लगभग 194 अरब अमेरिकी डॉलर की संभावित आय का नुकसान हुआ। यह रिपोर्ट 71 शैक्षणिक संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के 128 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम ने तैयार की, जिसका नेतृत्व यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन ने किया। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी30) से पहले प्रकाशित की गई है और इसमें जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य के बीच संबंधों का अब तक का सबसे व्यापक आकलन प्रस्तुत किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीवाश्म ईंधनों पर अत्यधिक निर्भरता और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन की विफलता के कारण लोगों की जिंदगियां, स्वास्थ्य और आजीविका खतरे में हैं। इसके अनुसार स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को मापने वाले 20 में से 12 संकेतक अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘2024 में भारत के लोगों ने औसतन 19.8 दिन लू का अनुभव किया। इनमें से 6.6 दिन ऐसे थे जो जलवायु परिवर्तन के कारण थे।’’ इसके अलावा, 2020 से 2024 के बीच भारत में औसतन हर साल लगभग 10,200 मौतें जंगल की आग से उत्पन्न पीएम2.5 प्रदूषण से जुड़ी थीं, जो 2003-2012 की तुलना में 28 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, मानवजनित पीएम2.5 प्रदूषण 2022 में 17 लाख से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार था। इसमें कोयला और तरल गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों से होने वाले उत्सर्जन का 44 प्रतिशत योगदान था। इसके अलावा, सड़क परिवहन में पेट्रोल के उपयोग से 2.69 लाख मौतें हुईं।

Web Title: People in India could face 20 days of heatwaves in 2024, The Lancet

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