मरीजों की हिफाजत दांव पर, प्रीमियम बढ़े, सर्विस घटे, कौन देगा जवाब?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 9, 2025 15:43 IST2025-09-09T15:42:40+5:302025-09-09T15:43:28+5:30

मैक्स हेल्थकेयर के एक प्रवक्ता ने स्पष्ट कहा है कि निवा बूपा ने उनसे 2022 स्तर से भी कम टैरिफ लागू करने को कहा है, जो “रोगी सुरक्षा और इलाज की गुणवत्ता के लिए अनुकूल नहीं” होगा।

Patients' safety stake Premiums increased, services decreased, who will answer? | मरीजों की हिफाजत दांव पर, प्रीमियम बढ़े, सर्विस घटे, कौन देगा जवाब?

file photo

Highlightsऐसा तनाव सिर्फ़ टैरिफ का मामला नहीं रह जाता, इसका असर कैशलेस सुविधा पर भी पड़ता है। कंपनी का कहना है कि ऐसा कुछ कागज़ी दिक़्क़तों की वजह से किया गया है।

देश में स्वास्थ्य-बीमा और अस्पतालों के बीच हालिया तनातनी का सीधा शिकार आम मरीज है। बीमा कंपनियों की तरफ़ से नेटवर्क टैरिफ पर पुरानी दरें लागू करने या 2022 से भी कम टैरिफ की माँग ने कई बड़े अस्पताल-समूह को असमंजस में डाल दिया है ; और अस्पतालों का कहना है कि इससे मरीजों की सुरक्षा और सेवा प्रभावित हो सकती है। मैक्स हेल्थकेयर के एक प्रवक्ता ने स्पष्ट कहा है कि निवा बूपा ने उनसे 2022 स्तर से भी कम टैरिफ लागू करने को कहा है, जो “रोगी सुरक्षा और इलाज की गुणवत्ता के लिए अनुकूल नहीं” होगा।

ऐसा तनाव सिर्फ़ टैरिफ का मामला नहीं रह जाता, इसका असर कैशलेस सुविधा पर भी पड़ता है। उदाहरण के तौर पर निवा बूपा ने मैक्स अस्पतालों में कैशलेस सुविधा अस्थायी रूप से निलंबित कर दी है; कंपनी का कहना है कि ऐसा कुछ कागज़ी दिक़्क़तों की वजह से किया गया है।

इसके परिणाम स्वरूप रोगी या तो अग्रिम भुगतान के लिए मजबूर होते हैं या अलग नेटवर्क अस्पताल की ओर जाने को विवश हो जाते हैं, जो आपात और जटिल मामलों में जानलेवा हो सकता है। बीमा कंपनियों के खिलाफ उपभोक्ता शिकायतों का ग्राफ भी चिंताजनक रूप से बढ़ा है।

इंश्योरेंस ओम्बुड्समैन की वार्षिक रिपोर्ट(2023-24) के अनुसार नीति-धारक शिकायतों में तेज़ उछाल दर्ज हुआ है  -  स्टार हेल्थ,केयर और निवा बूपा  शीर्ष कंपनियाँ रहीं जिनके खिलाफ सबसे ज़्यादा कम्प्लेंट्स आईं; स्टार हेल्थ के खिलाफ 13,308 शिकायतें दर्ज हुईं; जिनमेंसे 10,000 से ज़्यादा का विषय आंशिक/पूर्ण क्लेम खारिज होना रहा;

केयर और निवा बूपा भी शिकायतों की सूची में ऊपर हैं (यह आँकड़ा इंश्योरेंस ओम्बुड्समैन रिपोर्ट 2023-24 में उल्लिखित है)।  और जहाँ शिकायतों का विषय अक्सर “क्लेम रिप्यूडिएशन” रहा है, वहीं एक और आँकड़ा Incurred Claims Ratio (ICR)  भी सवाल खड़ा कर रहा है।

स्वतंत्र रिपोर्टों व हॉस्पिटल फोरम की रिपोर्टिंग के अनुसार कुछ स्टैंडअलोन स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं के क्लेम्स वित्त वर्ष 2024-25 में मात्र 54-67% के दायरे में देखे गए — यानी कुल प्रीमियम का केवल इतना भाग दावों पर खर्च हुआ; इससे लगता है कि या तो दावों का ठीक से भुगतान नहीं हो रहा है, या बीमा कंपनियाँ अपना मुनाफ़ा ज़्यादा अहम मान रही हैं और दोनों ही बातें मरीजों के लिए ठीक नहीं हैं।

नतीजा; बढ़ रहे प्रीमियम के बावजूद क्लेम-सुविधा कठिन हो गई है, रिप्यूडिएशन की घटनाएँ और नेटवर्क पर अस्थिरता — इन सबका सबसे बड़ा तनाव मरीज पर पड़ता है।खासकर मध्यम और निम्न-आयवर्ग के वे परिवार जो किसी बड़े मेडिकल आपात में बीमा की शरण लेते हैं, वे आर्थिक रूप से और मानसिक रूप से टूटने के कगार पर पहुँच सकते हैं।

बीमा कंपनियाँ साल दर साल प्रीमियम की राशि बढ़ाती जा रही हैं, लेकिन जब बात आती है क्लेम सेटलमेंट की, तो वे पुराने टैरिफ़ और तकनीकी शर्तों का हवाला देकर भुगतान से बचने की कोशिश करती हैं। अस्पतालों का कहना है कि यदि बीमा कंपनियाँ 2022 या उससे पहले की दरों पर इलाज करने की ज़िद करेंगी,

तो आधुनिक उपकरणों में निवेश, प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर असर पड़ना तय है। मरीज बीमा के भरोसे इलाज करवाने आता है, लेकिन क्लेम प्रक्रिया में महीनों की देरी होती है। कई परिवारों को बीमा कंपनियों के “रिप्यूडिएशन” के चलते अपने गहने बेचने या कर्ज़ लेने तक की नौबत आ जाती है।

Web Title: Patients' safety stake Premiums increased, services decreased, who will answer?

स्वास्थ्य से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे