बच्चों को मेवे दें, नहीं देने की भूल मत करें मां-पिता?, मोटापा, एलर्जी की बात गलत?, विशेषज्ञ बोले- फायदेमंद और हृदय-पाचन स्वास्थ्य में वसा रामवाण!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 1, 2025 18:36 IST2025-09-01T18:34:53+5:302025-09-01T18:36:41+5:30

मेवों में मौजूद वसा होती है लाभकारी कम वसा वाले उत्पादों के प्रचार ने वर्षों से यह धारणा बना दी है कि वसा हानिकारक है।

Parents not make mistake not giving dry fruits children talk obesity allergy wrong Experts say fat beneficial panacea heart-digestive health! | बच्चों को मेवे दें, नहीं देने की भूल मत करें मां-पिता?, मोटापा, एलर्जी की बात गलत?, विशेषज्ञ बोले- फायदेमंद और हृदय-पाचन स्वास्थ्य में वसा रामवाण!

dry fruits

Highlightsहृदय और पाचन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है तथा शरीर में सूजन को कम करती है।ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल हैं जो मस्तिष्क, नसों और दृष्टि के विकास में सहायक होते हैं।बच्चों को अधिक समय तक भूख नहीं लगती और वे अधिक संतुष्ट महसूस करते हैं।

सिडनीः बच्चों और मेवों को एक साथ जोड़ते ही कुछ माता-पिता ऐसे प्रतिक्रिया देते हैं मानो कोई गलत शब्द कह दिया गया हो। ऐसा अक्सर वसा और डर जैसे शब्दों से जुड़ी भ्रांतियों के कारण होता है। कुछ माता-पिता बच्चों को मेवे नहीं देते क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे वजन बढ़ सकता है या फिर यह खतरनाक एलर्जी का कारण बन सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि मेवे बच्चों के लिए फायदेमंद हैं, और उन्हें दूर रखना कई बार नुकसानदायक साबित हो सकता है। मेवों में मौजूद वसा होती है लाभकारी कम वसा वाले उत्पादों के प्रचार ने वर्षों से यह धारणा बना दी है कि वसा हानिकारक है।

लेकिन मेवों में जो वसा होती है, वह असंतृप्त वसा होती है, जो हृदय और पाचन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है तथा शरीर में सूजन को कम करती है। मेवे बच्चों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जिनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल हैं जो मस्तिष्क, नसों और दृष्टि के विकास में सहायक होते हैं।

साथ ही, ये पॉलीफेनोल्स (एंटीऑक्सीडेंट्स) के भी अच्छे स्रोत हैं, जो कैंसर से बचाव जैसे कई संभावित स्वास्थ्य लाभों से जुड़े हैं। इनमें मौजूद फाइबर, प्रोटीन और अच्छे वसा पाचन में समय लेते हैं, जिससे बच्चों को अधिक समय तक भूख नहीं लगती और वे अधिक संतुष्ट महसूस करते हैं।

शोध में पाया गया है कि मेवों से प्राप्त कुल ऊर्जा का लगभग 20 प्रतिशत शरीर में अवशोषित नहीं होता, फिर भी पेट भरा हुआ लगता है। उच्च फाइबर सामग्री बच्चों की पाचन क्रिया को नियमित रखने में भी मदद करती है। मेवे वजन नहीं बढ़ाते, बल्कि नियंत्रित करते हैं मेवों को अक्सर वजन बढ़ने से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन शोध बताता है कि मेवे खाने से वजन नियंत्रित रहता है।

इनका सेवन करने वाले बच्चों में मोटापे की आशंका कम होती है। एलर्जी का डर: सही समय पर शुरुआत है समाधान हालांकि, मेवों से एलर्जी की समस्या बढ़ रही है, जिससे माता-पिता चिंतित रहते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि बचपन में ही मेवों को भोजन में शामिल करने से एलर्जी का खतरा कम होता है, यहां तक कि उन बच्चों में भी जिनके परिवार में एलर्जी का इतिहास हो।

एक अध्ययन में यह पाया गया कि बचपन से मूंगफली खिलाने पर किशोरावस्था में मूंगफली एलर्जी की आशंका 71 फीसदी तक कम हो जाती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि चार से छह माह की उम्र के बीच, बच्चों को मेवे पेस्ट के रूप में देना शुरू करें — जैसे कि 100 फीसदी मूंगफली का मक्खन (स्मूद)। शुरुआत में थोड़ी-सी मात्रा बच्चे के होठों पर लगाकर 30 मिनट तक प्रतिक्रिया देखें।

कोई प्रतिक्रिया न हो तो धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाई जा सकती है। यदि परिवार में एलर्जी का इतिहास हो, तो यह प्रक्रिया डॉक्टर की निगरानी में करनी चाहिए। मेवे: प्रकृति के उपहार बच्चों को मेवे खाने की अनुमति देने से उन्हें प्रसंस्कृत और अस्वस्थ खाद्य पदार्थों से दूर रखा जा सकता है। तीन से पांच वर्ष की उम्र के बाद, जब गले में फंसने का खतरा कम हो जाए, तब रोज़ एक मुठ्ठी भर मेवे दिए जा सकते हैं।

इससे पहले, उन्हें मेवे पेस्ट या बारीक पिसे हुए रूप में भोजन में मिलाकर देना चाहिए। अक्सर वयस्क भी मेवों को उनके उच्च कैलोरी मूल्य के कारण खाने से परहेज करते हैं, लेकिन शोध यह दिखाता है कि 100 ग्राम तक मेवे रोज़ खाने से भी वजन में मामूली गिरावट होती है, न कि वृद्धि।

ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा आहार दिशानिर्देश अभी भी मेवों के सेवन को सीमित करने की सलाह देते हैं, लेकिन यह अब साक्ष्यों पर खरे नहीं उतरते और इन्हें अगली बार अद्यतन करते समय संशोधित किए जाने की आवश्यकता है। महत्वपूर्ण सुझाव : सभी प्रकार के मेवे स्वास्थ्यवर्धक होते हैं, इसलिए बच्चों को विभिन्न प्रकार के मेवे देना बेहतर है।

कच्चे या ‘‘ड्राई-रोस्टेड’’ और बिना नमक वाले विकल्प चुनें ताकि अनावश्यक तेल और नमक से बचा जा सके। यदि बच्चा किसी मेवे को पहली बार खाकर नापसंद करे, तो घबराएं नहीं क्योंकि आठ से दस बार देने पर बच्चे उसे अपनाने लगते हैं। शुरुआत में काजू, बादाम और मूंगफली जैसे हल्के स्वाद वाले मेवे दें। अखरोट, ब्राज़ील नट्स जैसे कड़वे या कठोर मेवे बाद में धीरे-धीरे अन्य खाद्य पदार्थों में मिलाकर दें।

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