अब दिल की धड़कनों से ही चलेंगे पेसमेकर, जानिये ये इलेक्ट्रिक डिवाइस कैसे बचा सकता है जान
By उस्मान | Published: February 23, 2019 01:59 PM2019-02-23T13:59:32+5:302019-02-23T13:59:32+5:30
पेसमेकर ने आधुनिक चिकित्सा को बदल दिया है, जिससे हृदय की धड़कन को नियंत्रित करके कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।
वैज्ञानिकों ने ऐसे पेसमेकर विकसित किये हैं जो दिल की धड़कनों की ऊर्जा से संचालित हो सकते हैं। सूअरों में इस यंत्र का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि जर्नल एसीएस नैनो में प्रकाशित यह अध्ययन एक स्व-संचालित कार्डियक पेसमेकर बनाने की दिशा में एक कदम है।
ये पेसमेकर प्रत्यारोपित भी हो सकते है और इन्होंने आधुनिक चिकित्सा को बदल दिया है, जिससे हृदय की धड़कन को नियंत्रित करके कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि, इसमें एक भारी कमी यह है कि उनकी बैटरी केवल पांच से 12 साल तक चलती है।
चीन में सेंकेंड मिलिट्री मेडिकल यूनिवर्सिटी और शंघाई जिओ टोंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस समस्या पर काबू पाने पर काम किया। एक पारंपरिक पेसमेकर को हंसली (कॉलरबोन) के पास की त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित किया जाता है। इसकी बैटरी और विद्युत-तंत्र विद्युत संकेत उत्पन्न करते हैं जो प्रत्यारोपित इलेक्ट्रोड के माध्यम से हृदय तक पहुंचाए जाते हैं।
पेसमेकर क्या होता है?
पेसमेकर एक छोटी सी डिवाइस होती है जिसका वजन मुश्किल से 25 से 35 ग्राम होता है। इस डिवाइस को उन मरीजों के दिल में फिट किया जाता है जिनका हार्ट रेट कम होता है, यह डिवाइस ह्दय की मांसपेशियों में इलेक्ट्रिक इम्पल्स भेजती है, जिससे आर्टिफिशियल हार्ट बीट बनती है और हार्ट रेट सामान्य आ जाता है।
सामान्य हार्ट रेट, प्रति मिनट 60 से 100 बीट होती है। हालांकि, अगर हार्ट रेट 40 से कम हो जाती है तो व्यक्ति को कई प्रकार की समस्या होने लगती है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर पेसमेकर को लगवाने की सलाह देते हैं।
पेसमेकर की खास बात यह है कि अगर दिल सही तरीके से धड़कने लगता है और सामान्य हार्ट रेट देता है तो यह इम्पल्स भेजना बंद कर देता है, इसे डिमांड पेसिंग कहते हैं। इससे बैट्री की बचत होती है और पेसमेकर ज्यादा समय तक चलता है।
पेसमेकर को दिल के लेफ्ट या राइट कॉलर बोन में त्वचा के नीचे फिट किया जाता है और नसों से जोड़ा जाता है। एक पेसमेकर लगभग 10 से 12 साल चलता है। इसे लगवाने के बाद व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।