कोरोना से ठीक हुए मरीजों में सामने आ रही ब्रेन फॉग की शिकायत, नए अध्ययन में जानें इसका कारण

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 26, 2022 14:07 IST2022-01-26T14:05:04+5:302022-01-26T14:07:43+5:30

कोरोना वायरस दिमाग पर कई तरह से प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में कोरोना से ठीक हुए कई मरीजों में ब्रेन फॉग की शिकायत सामने आ रही है। इसी क्रम में मरीजों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देखने को मिल हैं जो दिमाग और नर्वस सिस्टम पर प्रभाव डालती हैं।

new study suggests brain fog after coronavirus could be due to covid19 effect on spinal fluid | कोरोना से ठीक हुए मरीजों में सामने आ रही ब्रेन फॉग की शिकायत, नए अध्ययन में जानें इसका कारण

कोरोना से ठीक हुए मरीजों में सामने आ रही ब्रेन फॉग की शिकायत, नए अध्ययन में जानें इसका कारण

Highlightsब्रेन फॉग मेडिकल या वैज्ञानिक परिभाषा नहीं हैजब लोगों की सोच सुस्त, धुंधली और तेज नहीं होती है, तो ये बताने के लिए ब्रेन फॉग का इस्तेमाल करते हैंपोस्ट कोविड या लॉन्ग कोविड की समस्या मरीजों में दिख रही है

नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रोन का कहर जारी है। वहीं, ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों के बीच काफी लोग ब्रेन फॉग की शिकायत कर रहे हैं। बता दें कि ब्रेन फॉग कोई मेडिकल टर्म नहीं है, बल्कि इस शब्द का इस्तेमाल तब किया जाता है जब लोगों की सोच सुस्त, धुंधली और तेज नहीं होती है। ऐसे में लोग लगातार कोरोना से ठीक होने के बाद ब्रेन फॉग की शिकायत कर रहे हैं।

कुछ मरीजों को चीजों को भूलने की शिकायत थी

वहीं, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के सीनियर कंसलटेंट रेस्पिरेटरी मेडिसिन डॉ अनिमेष आर्या ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ब्रेन फॉग एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिमाग के सोचने की क्षमता, गणना करने की क्षमता या विश्लेषणात्मक शक्ति सुस्त हो जाती है। दूसरी लहर के बाद कुछ मरीजों को चीजों को भूलने की शिकायत थी, उनकी याददाश्त उनका साथ नहीं दे रही थी। हमने निष्कर्ष निकाला कि यह कोविड के कारण हो सकता है क्योंकि उनके मस्तिष्क में न्यूरोलॉजिकल परिवर्तन थे, जिसके परिणामस्वरूप न्यूरोट्रांसमीटर का धीमा मार्ग था। 

समय के साथ ब्रेन फॉग की समस्या पूरी तरह से ठीक हो सकती है

इसके अलावा डॉ आर्या का ये भी कहना है कि ब्रेन फॉग मेनिन्जाइटिस, इन्सेफेलाइटिस, फिट्स, स्ट्रोक, कम शुगर या कम ऑक्सीजन के कारण भी हो सकता है। हालांकि, डॉ आर्या का कहना है कि समय के साथ ब्रेन फॉग में सुधार होता है और बाद में ये पूरी तरह से ठीक हो जाता है। अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि ये भी जरूरी है कि ब्रेन फॉग का असली कारण जानने के लिए मरीज न्यूरोलॉजिस्ट से जांच करा लें ताकि उन्हें सही दवा दी जा सके। 

स्पाइनल फ्लूइड के कारण हो सकती है ब्रेन फॉग की दिक्कत

उधर, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की ताजा स्टडी सामने आई है जिसमें बताया गया है कि ये स्पाइनल फ्लूइड पर वायरस के प्रभाव के कारण हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कोविड से ठीक हुए मरीजों के नमूनों में उनके मस्तिष्कमेरु द्रव का विश्लेषण करने के बाद प्रोटीन का उच्च स्तर पाया। यही नहीं, शोधकर्ताओं का दावा है कि कोविड -19 वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप यह सूजन हुई। बता दें कि ये स्टडी एनल्स ऑफ क्लिनिकल एंड ट्रांसलेशनल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुई है।

32 मरीजों पर किया गया शोध

इस स्टडी के लिए के लिए 32 मरीजों पर शोध किया गया जो हाल-फिलहाल में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए हैं। इनमें से 22 मरीजों ने संक्रमण के बाद संज्ञानात्मक मुद्दों की सूचना दी। ऐसे में मुख्य अध्ययन लेखक डॉ जोआना हेलमुथ का कहना है, "यह संभव है कि वायरस से प्रेरित प्रतिरक्षा प्रणाली, शायद एक अनपेक्षित रोग संबंधी तरीके से काम कर रही हो।" वहीं, हेलमुथ का ये भी कहना है कि ब्रेन फॉग में मरीज को याददाश्त कमजोर होना, ध्यान न लगना और सूचना को समझने में दिक्कत होना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

Web Title: new study suggests brain fog after coronavirus could be due to covid19 effect on spinal fluid

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