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IVF पेशेंट्स के लिए जगी नई उम्मीद! 3डी इमेजिंग मॉडल रिजल्ट को दे सकता है बढ़ावा, जानें कैसे

By मनाली रस्तोगी | Updated: July 10, 2024 13:05 IST

आईवीएफ के दौरान एक महिला से अंडे एकत्र किए जाते हैं और भ्रूण बनाने के लिए प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है। फिर इन भ्रूणों को गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।

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ठळक मुद्दे2022 में अमेरिका में लगभग 92,000 जन्म आईवीएफ से हुए, जो सभी जन्मों का लगभग 2.5 फीसदी है। ब्लास्टोसिस्ट की प्रतिदीप्ति इमेजिंग के साथ तुलना करने पर हुआंग की टीम ने अपने मॉडल को 90 फीसदी सटीक पाया।हुआंग ने बताया कि हालांकि कुछ 3डी विधियां मौजूद हैं, लेकिन वे नैदानिक ​​उपयोग के लिए व्यावहारिक या सुरक्षित नहीं हैं।

नई दिल्ली:चीन के टोंगजी अस्पताल के प्रजनन चिकित्सा केंद्र के डॉ बो हुआंग के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने प्रारंभिक चरण के भ्रूण के लिए एक 3डी इमेजिंग मॉडल विकसित किया है। यह नवोन्मेषी तकनीक संभावित रूप से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से गुजरने वाली महिलाओं के लिए गर्भधारण प्रक्रिया को सरल बना सकती है।

अध्ययन में 5 या 6 दिन पुराने ब्लास्टोसिस्ट भ्रूणों पर ध्यान केंद्रित किया गया और सफल गर्भधारण से जुड़ी पूर्व अज्ञात कोशिका विशेषताओं का पता चला। हुआंग के अध्ययन से पता चलता है कि ब्लास्टोसिस्ट के आंतरिक कोशिका द्रव्यमान का 3डी आकार, उसकी स्थिति और आसपास की कोशिकाओं की व्यवस्था सफल गर्भधारण के महत्वपूर्ण संकेतक हो सकते हैं। यह जानकारी पहले अज्ञात थी।

हालांकि, यह निर्धारित करना कि किस भ्रूण के सफल जन्म की संभावना सबसे अधिक है, चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। 2022 में अमेरिका में लगभग 92,000 जन्म आईवीएफ से हुए, जो सभी जन्मों का लगभग 2.5 फीसदी है। 

अध्ययन ने वर्तमान आईवीएफ प्रक्रियाओं की सीमाओं पर डाली रौशनी

आईवीएफ के दौरान एक महिला से अंडे एकत्र किए जाते हैं और भ्रूण बनाने के लिए प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है। फिर इन भ्रूणों को गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। स्थानांतरण से पहले भ्रूण के आनुवंशिक परीक्षण के बावजूद आनुवंशिक रूप से स्वस्थ भ्रूण की सफलता दर केवल 60 फीसदी से 65 फीसदी के बीच है।

यह प्रतिशत और भी कम हो जाता है यदि महिला अधिक उम्र की हो या उसकी गर्भाशय संबंधी स्थितियां ऐसी हों कि भ्रूण को प्रत्यारोपित करना मुश्किल हो जाए। 

3डी इमेजिंग मॉडल अध्ययन में बेहद सटीक साबित होता है

अध्ययन में मोटी गर्भाशय परत वाली 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को शामिल किया गया और एक से अधिक असफल भ्रूण स्थानांतरण नहीं हुआ। भ्रूण के विकास पर नज़र रखने वाली तकनीक एम्ब्रियोस्कोप+ का उपयोग करके शोधकर्ताओं ने 2,141 ब्लास्टोसिस्ट की विस्तृत छवियां लीं।ब्लास्टोसिस्ट की प्रतिदीप्ति इमेजिंग के साथ तुलना करने पर हुआंग की टीम ने अपने मॉडल को 90 फीसदी सटीक पाया।

यह नई विधि उन पारंपरिक 2डी विधियों की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार प्रदान करती है जिनमें गहराई और व्यापक संकेतकों का अभाव है। 

नया 3डी मॉडल भ्रूण मूल्यांकन विधियों में अंतर को पाटता है

हुआंग ने बताया कि हालांकि कुछ 3डी विधियां मौजूद हैं, लेकिन वे नैदानिक ​​उपयोग के लिए व्यावहारिक या सुरक्षित नहीं हैं। नया अध्ययन एक चिकित्सकीय रूप से लागू 3डी मूल्यांकन पद्धति का परिचय देता है और ब्लास्टोसिस्ट की पहले से अज्ञात विशेषताओं को उजागर करता है। 

यह शोध एम्स्टर्डम में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्शन एंड एम्ब्रियोलॉजी की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया और ह्यूमन रिप्रोडक्शन जर्नल में प्रकाशित किया गया।

टॅग्स :आईवीएफ तकनीकचीनप्रेगनेंसी
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