एनबीआरआई, सीमैप और सीडीआरआई ने 13 महत्वपूर्ण हर्बल दवाएं विकसित की, स्टार्टअप कॉन्क्लेव में दिखा आधुनिक विज्ञान और परंपरागत ज्ञान का मेल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 17, 2025 10:55 IST2025-09-17T10:54:18+5:302025-09-17T10:55:58+5:30

लखनऊ में आयोजित स्टार्टअप कॉन्क्लेव में दिखा आधुनिक विज्ञान और परंपरागत ज्ञान का मेल, सामने आईं भारत की नई हर्बल तकनीकें।

NBRI, CIMAP and CDRI developed 13 important herbal medicines Startup Conclave showcased fusion modern science and traditional knowledge up lucknow | एनबीआरआई, सीमैप और सीडीआरआई ने 13 महत्वपूर्ण हर्बल दवाएं विकसित की, स्टार्टअप कॉन्क्लेव में दिखा आधुनिक विज्ञान और परंपरागत ज्ञान का मेल

file photo

Highlightsप्रयोगशालाओं में विकसित तकनीकों को स्टार्टअप बाजार तक पहुंचा रहा सीएसआईआर।पैक्लिटैक्सेल और फैटी लीवर व लीवर कैंसर के लिए पिक्रोलिव प्रमुख हैं।कॉन्क्लेव में सबसे ज्यादा चर्चा बीजीआर-34 पर रही।

नई दिल्लीः  भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक विज्ञान के मेल से उपचार को नई दिशा मिल रही है। लखनऊ में आयोजित दो दिवसीय सीएसआईआर स्टार्टअप कॉन्क्लेव ने इस सहयोग को नए सिरे से रेखांकित किया। यहां पहली बार एक ही मंच पर शोध संस्थानों, स्टार्टअप्स और नीति-निर्माताओं ने यह दिखाया कि कैसे हर्बल फार्मूलों से बनी सुरक्षित दवाएं प्रयोगशाला से निकलकर सीधे मरीजों तक पहुंच रही हैं। लखनऊ स्थित सीएसआईआर की तीन प्रमुख प्रयोगशालाएं एनबीआरआई, सीमैप और सीडीआरआई ने 13 महत्वपूर्ण हर्बल दवाएं विकसित की हैं। इनमें डायबिटीज की दवा बीजीआर-34, रक्त कैंसर के लिए अर्जुन की छाल से बनी पैक्लिटैक्सेल और फैटी लीवर व लीवर कैंसर के लिए पिक्रोलिव प्रमुख हैं। कॉन्क्लेव में सबसे ज्यादा चर्चा बीजीआर-34 पर रही।

इसे लखनऊ स्थित राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान संस्थान (एनबीआरआई) और सीमैप ने छह प्रमुख जड़ी-बूटियों दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, गुड़मार, मंजिष्ठा और मेथी से विकसित किया है। यह दवा न केवल ब्लड शुगर नियंत्रित करने में मदद करती है बल्कि लंबे समय में डायबिटीज रिवर्सल की दिशा में भी कारगर मानी जा रही है।

एमिल फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा, "दुनिया अब केवल डायबिटीज कंट्रोल नहीं बल्कि डायबिटीज रिवर्सल पर जोर दे रही है। बीजीआर-34 जैसे भारतीय फार्मूले आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का मेल हैं और यही भविष्य में डायबिटीज-मुक्त समाज का आधार बन सकते हैं।"

इस कानक्लेव की सबसे बड़ी उपलब्धि यह दिखाना रही कि सरकारी प्रयोगशालाओं में विकसित तकनीक कैसे स्टार्टअप और उद्योग जगत की मदद से बाजार तक पहुंच रही हैं। उद्घाटन सत्र में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह ‘प्रयोगशाला से जनमानस तक’ की अवधारणा का बेहतरीन उदाहरण है।

उन्होंने स्टार्टअप को प्रोत्साहित किया कि वे हर्बल दवाओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धी बनाएं। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदर्शनी का निरीक्षण किया और वैज्ञानिकों को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। यह आयोजन ऐसे समय में हुआ है जब दुनियाभर में प्राकृतिक और हर्बल उपचारों की मांग बढ़ रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास इस क्षेत्र में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित फार्मूलों के जरिए विश्व बाजार में नेतृत्व करने का बड़ा अवसर है। डॉ. संचित शर्मा के शब्दों में, "यह केवल दवा नहीं, बल्कि विज्ञान और परंपरा का ऐसा मॉडल है जो आने वाले वर्षों में वैश्विक हेल्थकेयर एजेंडा तय कर सकता है।" दरअसल एनबीआरआई और सीमैप जैसी संस्थाएं औषधीय पौधों की उन्नत किस्मों पर भी शोध कर रही हैं। इससे किसानों को बेहतर उत्पादन और अधिक आय का अवसर मिलेगा। वहीं, मरीजों को सस्ती और दुष्प्रभाव रहित दवाएं मिलेंगी।

Web Title: NBRI, CIMAP and CDRI developed 13 important herbal medicines Startup Conclave showcased fusion modern science and traditional knowledge up lucknow

स्वास्थ्य से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे